Hariyali Teej Vrat Katha In Hindi
Hariyali Teej Vrat Katha in Hindi 2023, Hariyali Teej Vrat Katha, Vidhi, Kahani: उत्तर भारत की सुहागित महिलाओं के बीच लोकप्रिय त्योहारों में से एक है हरियाली तीज। हरियाली तीज श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इसे श्रावणी तीज (Shravani Teej Vrat Katha), सिंधारा तीज (Sindhara Teej Vrat Katha) और छोटी तीज (Choti Teej Vrat Katha) के नाम से भी जाना जाता है। ये त्योहार नाग पंचमी (Nag Panchami 2023) से दो दिन पहले मनाया जाता है। इस साल हरियाली तीज 19 अगस्त को मनाई जा रही है। इस दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और शिव-पार्वती की विधि विधान पूजा करती हैं। लेकिन एक चीज जिसके बिना ये व्रत अधूरा है वो है हरियाली तीज की व्रत कथा। हरिलायी तीज पूजा के समय जरूर पढ़ें शिव-पार्वती की ये पावन कथा।
भगवान शिव ने पार्वतीजी को उनके पूर्वजन्म का याद दिलाने के लिए तीज की कथा सुनाई थी। शिवजी कहते हैं- हे पार्वती तुमने मुझे वर के रूप में पाने के लिए हिमालय पर जाकर घोर तप किया था। अन्न-जल सबकुछ का त्याग कर दिया था। चाहे सर्दी-गर्मी रही या बरसात किसी भी मौसम का तुम्हारी तपस्या पर कोई असर नहीं पड़ा। पत्ते खाकर तुम अपनी तपस्या में लगी रहीं।
तुम्हारी ये स्थिति देख तुम्हारे पिता दुःखी थे। उसी समय नारदजी तुम्हारे घर पधारे और कहा- मैं विष्णुजी के भेजने पर आया हूं। वह आपकी कन्या से विवाह करना चाहते हैं। तुम्हारे पिता पर्वतराज प्रसन्नता से तुम्हारा विवाह विष्णुजी से करने के लिए तैयार हो गए। पर जब तुम्हें इस बात का पता चला तो तुम्हें बड़ा दु.ख हुआ क्योंकि तुम मुझे मन से अपना पति मान चुकी थीं। तुमने अपने मन की बात सहेली को बताई। तुम्हारी सहेली तुम्हें एक ऐसे घने वन में ले गई जहां तुम्हारे पिता भी नहीं पहुंच सकते थे। फिर वहां तुम तप करने लगी। तुम्हारे लुप्त होने से पिता चिंतित हो गए।
फिर तुम्हारे पिता ने तुम्हारी खोज में धरती-पाताल सब एक कर दिया पर तुम न मिली। दूसरी तरफ तुम गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी आराधना में लीन थी। तुम्हारी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर मैंने तुम्हें मनोकामना पूरी करने का वचन दिया। तुम्हारे पिता खोजते हुए गुफा तक पहुंच गए।
तुमने अपने पिता से कहा कि मैंने अपना अधिकांश जीवन शिवजी को पतिरूप में पाने के लिए तप में बिताया है। आज शिवजी ने मेरा वरण कर लिया है। फिर आगे तुम अपने पिता से कही हो कि मैं आपके साथ एक ही शर्त पर घर चलूंगी यदि आप मेरा विवाह शिवजी से कराएंगे।
पर्वतराज मान गए। बाद में विधि-विधान के साथ तुम्हारा-हमारा विवाह संपत्त हुआ। हे पार्वती! तुमने जो कठोर व्रत किया उसी के फलस्वरूप हमारा विवाह हो सका। अत: इस व्रत को जो कोई भी स्त्री पूरी निष्ठा से करेगी मैं उसे मनवांछित फल दूंगा। उसे तुम जैसा अचल सुहाग का वरदान प्राप्त होगा।
Hariyali Teej Ke Geet (हरियाली तीज के लोकगीत)
पहला गीत
नांनी नांनी बूंदियांनांनी नांनी बूंदियां हे सावन का मेरा झूलणा,
एक झूला डाला मैंने बाबल के राज में,
बाबुल के राज में...
संग की सहेली हे सावन का मेरा झूलणा,
नांनी नांनी बूंदियां हे सावन का मेरा झूलणा.
ए झूला डाला मैंने भैया के राज में,
भैया के राज में..
गोद भतीजा हे सावन का मेरा झूलणा,
नांनी नांनी बूंदियां हे सावन का मेरा झूलणा।
दूसरा गीत
सावन का महीना, झुलावे चित चोर, धीरे झूलो राधे पवन करे शोर,मनवा घबराये मोरा बहे पूरवैया, झूला डाला है नीचे कदम्ब की छैयां…
कारी अंधियारी घटा है घनघोर, धीरे झूलो राधे पवन करे शोर,
सखियां करे क्या जाने हमको इशारा, मन्द मन्द बहे जल यमुना की धारा…
सावन का महीना झूलावे चित चोर…
श्री राधेजी के आगे चले ना कोई जोर, धीरे झूलो राधे, पवन करे शोर,
मेघवा तो गरजे देखो बोले कोयल कारी, पाछवा में पायल बाजे नाचे बृज की नारी…
श्री राधे परती वारो हिमरवाकी और, धीरे झूलो राधे पवन करे शोर,
सावन का महीना झूलावे चित चोर…
तीसरा गीत
झुला झूल रही सब सखियाँ, आई हरयाली तीज आज,राधा संग में झूलें कान्हा झूमें अब तो सारा बाग़,
झुला झूल रही सब सखियाँ, आई हरयाली तीज आज,
नैन भर के रस का प्याला देखे श्यामा को नदं लाला,
घन बरसे उमड़ उमड़ के देखों नृत्य करे बृज बाला,
छमछम करती ये पायलियाँ खोले मन के सारे राज,
झुला झूल रही सब सखियाँ, आई हरयाली तीज आज।