Hartalika Teej 2024 Puja Muhurat : हरतालिका तीज पूजा का सुबह और शाम का शुभ मुहूर्त यहां देखें

Hartalika Teej 2024 Date And Puja Muhurat In Hindi: हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। चलिए जानते हैं इस साल हरतालिका तीज पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।

Hartalika Teej Puja Muhurat 2024

Hartalika Teej 2024 Date And Puja Muhurat In Hindi (हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त): हरतालिका तीज व्रत में महिलाएं रेत से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियां बनाकर उनकी पूजा करती हैं। कहते हैं जो महिला इस व्रत को विधि विधान करती है उसके वैवाहिक जीवन में सदैव खुशहाली बनी रहती है। हरतालिका तीज पूजा के लिए वैसे तो सुबह का ही समय सबसे शुभ माना जाता है। लेकिन अगर सुबह पूजा कर पाना संभव न हो तो प्रदोषकाल में शिव-पार्वती की पूजा की जा सकती है। पूजा के समय हरतालिका तीज की व्रत कथा (Hartalika Teej Vrat Katha In Hindi) जरूर पढ़नी चाहिए। चलिए जानते हैं 2024 में हरतालिका तीज पूजा का शुभ मुहूर्त (Hatalika Teej Shubh Muhurat 2024) क्या रहेगा।

हरतालिका तीज 2024 डेट और टाइम (Hartalika Teej 2024 Date And Time)

हरतालिका तीज कब है 20246 सितंबर 2024, शुक्रवार
हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त 202406:02 AM से 08:33 AM
हरतालिका तीज पूजा की अवधि02 घण्टे 31 मिनट्स
हरतालिका तीज प्रदोष काल मुहूर्त06:36 से 06:59 PM
हरतालिका तीज तिथि प्रारंभ5 सितंबर 2024, 12:21 PM
हरतालिका तीज तिथि अंत6 सितंबर 2024, 03:01 PM

हरतालिका तीज चौघड़िया मुहूर्त 2024 (Hartalika Teej Choghadiya Muhurat 2024)

हरतालिका तीज दिन का चौघड़ियाहरतालिका तीज रात्रि का चौघड़िया
चर - सामान्य - 06:02 AM से 07:36 AMलाभ - उन्नति - 09:28 PM से 10:54 PM
लाभ - उन्नति - 07:36 AM से 09:10 AMशुभ - उत्तम - 12:19 AM से 01:45 AM, सितम्बर 07
अमृत - सर्वोत्तम - 09:10 AM से 10:45 AMअमृत - सर्वोत्तम - 01:45 AM से 03:11 AM, सितम्बर 07
शुभ - उत्तम - 12:19 PM से 01:53 PMचर - सामान्य - 03:11 AM से 04:36 AM, सितम्बर 07
चर - सामान्य - 05:02 PM से 06:36 PM

हरतालिका तीज क्यों मनाई जाती है (Hartalika Teej Kyu Manai Jati Hai)

हरतालिका तीज क्यों मनाई जाती है इस बारे में जानकारी इसकी पौराणिक कथा से मिलती है। हरतालिका तीज की कथा के अनुसार पार्वती माता की सहेलियां उनका अपहरण कर उन्हें घनघोर जंगल में ले गई थीं। जिससे पार्वतीजी के उनके पिता उनका विवाह भगवान विष्णु से न कर दें। क्योंकि माता पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं।
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