Hartalika Teej Puja Vidhi In Hindi: हरतालिका तीज की पूजा विधि क्या है, जानिए स्टेप बाय स्टेप पूरी जानकारी

Hartalika Teej Puja Vidhi in Hindi (हरतालिका तीज पूजा विधि ) Hartalika Teej Mantra and Slok: इस साल हरतालिका तीज व्रत 6 सितंबर को पड़ा है। इस व्रत में शिव-पार्वती की प्रतिमा बनाई जाती है और फिर शुभ मुहूर्त में महिलाएं इन मूर्तियों की पूजा करती हैं। चलिए जानते हैं हरतालिका तीज की पूजा विधि।

Hartalika Teej Puja Vidhi With Mantra

Hartalika Teej Puja Vidhi in Hindi (हरतालिका तीज पूजा विधि ) Hartalika Teej Mantra and Slok: हरतालिका तीज व्रत पति की लंबी उम्र के लिए किया जाने वाला सबसे कठिन व्रत माना जाता है। इस व्रत में लगभग 30 घंटों तक अन्न और जल कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता है। मान्यताओं अनुसार सबसे पहले माता पार्वती ने ये व्रत किया था। कहते हैं भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को पार्वती जी ने रेत से शिवलिंग बनाकर उसकी विधि विधान पूजा की थी। इसी व्रत के परिणामस्वरूप उन्हें भगवान शिव की प्राप्ति हुई थी। कहते हैं तभी से ये व्रत सुहागिन महिलाओं में लोकप्रिय हो गया है। इस साल हरतालिका तीज व्रत 6 सितंबर को मनाया जा रहा है। चलिए जानते हैं इसकी पूजा विधि क्या है।

हरतालिका व्रत पूज विधि (Hartalika Teej Puja Vidhi In Hindi)

  • हरतालिका तीज व्रत में भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की पूजा की जाती है।
  • पूजा शुरू करने से पहले इन तीनों देवी-देवताओं की प्रतिमा बनाएं।
  • इसके बाद इन मूर्तियों को पूजा के स्थान पर स्थापित करें।
  • अब सबसे पहले भगवान गणेश को तिलक करें और फिर उन्हें दूर्वा अर्पित करें।
  • फिर माता पार्वती और भगवान शिव की विधि विधान पूजा करें।
  • प्रतिमाओं पर फूल माला चढ़ाएं।
  • महिलाएं पार्वती माता को सुहाग का एक पिटारा चढ़ाएं। साथ में भगवान शिव को धोती चढ़ाएं।
  • फिर हरतालिका तीज की कथा सुनें।
  • अंत में आरती करके भोग लगाएं।
  • पूजा के बाद सुहाग की पिटारी और धोती किसी ब्राह्मण को दान कर दें।
  • इसके बाद अगले दिन व्रत खोल लें।
कुंवारी लड़की हरतालिका तीज कैसे करें (Kuwari Ladki Hartalika Teej Kaise Kare)

हरतालिका तीज व्रत बिना खाए पिए रखा जाता है। कहते हैं अगर ये व्रत एक बार शुरू कर दिया जाए तो इसे जीवन भर रखना चाहिए। व्रत को बीच में छोड़ना नहीं चाहिए। व्रत वाले दिन महिलाओं को सोना नहीं चाहिए। संभव हो तो रात्रि भर जागरण करना चाहिए। फिर व्रत के अगले दिन फिर से शिव-पार्वती की पूजा कर अपना व्रत खोलना चाहिए। ये व्रत सुहागिन महिलाओं के अलावा कुंवारी कन्याएं भी करती हैं।

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