Havan Puja Vidhi 2023: नवरात्रि के दौरान घर में इस तरह से करें हवन, जान लें पूरी विधि

Havan Puja Vidhi 2023: नवरात्रि के दौरान हवन को बहुत महत्व है। कुछ लोग नवरात्रि की अष्टमी तिथि को हवन करते हैं। कुछ लोग नवमी तिथि को हवन करते हैं। नवरात्रि की पूजा हवन के बिना अधूरी मानी जाती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं हवन पूजा विधि के बारे में। यहां पढ़ें हवन करने की पूजा विधि हिंदी में।

Havan Puja Vidhi

Havan Puja Vidhi

Havan Puja Vidhi 2023: जल्द ही शारदीय नवरात्रि का समापन होने वाला है। नवरात्रि की अष्टमी तिथि कल यानि 22 अक्टूबर को है और नवमी तिथि 23 अक्टूबर सोमवार के दिन है। नवरात्रि पूजा में हवन का बहुत महत्व होता है। शास्त्रों में ऐसा माना गया है कि नवरात्रि की पूजा हवन के बिना अधूरी होती है। घर के शुद्धिकरण के लिए हवन बहुत जरूरी होता है। नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि की पूजा हवन के साथ ही पूरी होती है। ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि में हवन करने से माता रानी प्रसन्न होती हैं और साधक की सारी मनोकामना पूरी करती हैं। आइए यहां जानते हैं घर पर सरल तरीके से हवन करने की विधि के बारे में । हवन पूजा विधि हिंदी में ।

Havan Puja Vidhi 2023 In Hindi ( हवन पूजा विधि हिंदी में)

हवन के लिए किसी उपयुक्त स्थान पर 8 पत्थर रखकर एक हवन कुंड बनाएं। आप चाहें तो बाजार से बना-बनाया हवन कुंड भी ला सकते हैं। हवन कुंड के पास एक अखंड दीपक जलाएं। कुंड पर स्वस्तिक बनाएं, नाड़ा बांधें और उसकी पूजा करें। - अब हवन कुंड में आम की लकड़ी से अग्नि प्रज्वलित करें। अब फल, शहद, घी, लकड़ी आदि अर्पित करें। मंत्रोच्चारण के साथ हवन कुंड की अग्नि में आहुति देते रहें।

Havan Mantra ( हवन मंत्र)ओम आग्नेय नम: स्वाहा, ओम गणेशाय नम: स्वाहा, ओम गौरियाय नम: स्वाहा,ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा,ओम दुर्गाय नम: स्वाहा,ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा,ओम हनुमते नम: स्वाहा, ओम भैरवाय नम:स्वाहा, ओम कुल देवताय नम: स्वाहा,ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा,ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा,ओम विष्णुवे नम: स्वाहा,ओम शिवाय नम: स्वाहा,ओम जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा,स्वधा नमस्तुति स्वाहा।ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा। ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा। ओम शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।

इसके बाद सूखे नारियल के चारों ओर लाल कपड़ा या करवा लपेट लें। उस पर पान, सुपारी, लौंग, बतासा, पूड़ी, खीर आदि रखें। फिर इसे हवन कुंड के बीच में डालें। अब जो भी आपके पास हवन की साम्रगी बची हो। उसे इस मंत्र के साथ तुरंत अर्पित कर दें। ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णत पुण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा। अब अंत में मां दुर्गा को दक्षिणा दें और अपनी क्षमता के अनुसार वहां धन आदि रखें। अंत में हम माँ दुर्गा की आरती और माँ महागौरी की आरती करते हैं। इस प्रकार हवन दुर्गा अष्टमी और महानवमी को सम्पन्न होता है।

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