40 साल पुराने पुल को बहा ले गई भयंकर बाढ़, फिर भी अडिग रहा 400 साल पुराना पंजवक्त्र महादेव मंदिर
Panchvaktra Mahadev Temple Mandi in Himachal Pradesh Flood: मंडी जिले में सैलाब से मचे हाहाकार के बीच एक बार फिर चमत्कार हुआ है। जहां एक ओर पुल, पहाड़ और बड़े-बड़े मकान धराशाई हो गए, वहीं ब्यास नदी और सुकेती खड्ड के किनारे बने पंचवक्त्र मंदिर पर कोई असर नहीं पड़ा है।

Panchvaktra Mahadev Temple Mandi
मंडी जिले में सैलाब से मचे हाहाकार के बीच एक बार फिर चमत्कार हुआ है। जहां एक ओर पुल, पहाड़ और बड़े-बड़े मकान धराशाई हो गए, वहीं ब्यास नदी और सुकेती खड्ड के किनारे बने पंचवक्त्र मंदिर पर कोई असर नहीं पड़ा है। यह मंदिर केदारनाथ जैसा दिखता है। पानी के बीच यह मंदिर काफी हद तक डूब गया लेकिन इसका बाल भी बांका नहीं हुआ। 100 साल के बाद बाढ़ ने मंदिर के बगल स्थित सुकेती खड्ड पर बने विक्टोरिया ब्रिज को भी अपनी चपेट में ले लिया लेकिन मंदिर अडिग रहा।
400 साल पुराना है मंदिर
मंडी का प्रसिद्ध ऐतिहासिक पंचवक्त्र मंदिर 300 साल से ज्यादा पुराना है। मंदिर में स्थापित पंचमुखी शिव की प्रतिमा के कारण इसे पंचवक्त्र नाम दिया गया है। इसे तत्कालीन राजा सिद्ध सेन ( 1684-1727) ने बनवाया था।
पंचवक्त्र मंदिर की खासियत
पंचवक्त्र मंदिर के गर्भगृह में स्थित शंकर भगवान की मूर्ति के पांच मुख हैं। मान्यता है कि यह पांच मुख शिव के अलग-अलग रूप ईशान, अघोरा, वामदेव, तत्पुरुष और रुद्र को दिखाते हैं। पंचवक्त्र महादेव मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के संरक्षित स्मारकों में है। रविवार सुबह यहां के पंचवक्त्र मंदिर के अंदर ब्यास नदी का पानी पहुंच गया था। शाम होते-होते मंदिर के आसपास जलप्रलय जैसे हालात हो गए।
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