योग का इतिहास, जानिए आदियोगी भगवान शिव क्यों माने जाते हैं पहले योग गुरु

International Yoga Day 2024, History Of Yoga In Hindi: माना जाता है कि कई हजारों साल पहले आदियोगी भगवान शिव ने सप्त ऋषियों को योग विज्ञान की शिक्षा प्रदान की थी। इतना ही नहीं योग का बड़े पैमाने पर सिंधु-सरस्वती घाटी सभ्यता में अभ्यास किया जाता था जिसके कई प्रमाण मिले हैं। चलिए जानते हैं योग का इतिहास।

yoga ki history

International Yoga Day 2024, History Of Yoga

International Yoga Day 2024, History Of Yoga In Hindi: हर साल 21 जून को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य यही है कि लोग मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को मजबूत रखने के लिए योग के प्रति जागरूक हो सकें। इस साल योग दिवस की थीम 'स्वयं और समाज के लिए योग' है (International Yoga Day Theme)। माना जाता है कि योग का इतिहास कई हजारों साल पुराना है। जिसकी उत्पत्ति भारत में ही हुई थी। धार्मिक मान्यताओं अनुसार योग का संबंध भगवान शिव से है या यूं कहें कि उन्होंने ही सबसे पहले योग के महत्व को जाना था। जिसके बाद सप्त ऋषियों के मन में भी इसे जानने की इच्छा हुई। इस तरह से योग का प्रचार प्रसार होता चला गया। चलिए जानते हैं योग का पौराणिक इतिहास।

योग का अर्थ (Yoga Ka Arth In Hindi)

सबसे पहले तो ये जानना जरूरी है कि योग के कई सारे प्रकार हैं और हर किसी ने इसे अपने-अपने अनुसार परिभाषित करने की कोशिश की है। पतंजलि ने 'चित्त की वृत्तियों के निरोध' को योग माना है तो व्यास ने समाधि को ही योग माना है। इस योग की शुरुआत भगवान शिव से ही हुई है। तो वहीं योगवासिष्ठ के अनुसार योग के जरिए व्यक्ति संसार सागर से पार पा सकता है। सरल शब्दों में समझें तो योग के माध्यम से हम ध्यान, समाधि और मोक्ष तक पहुंचने की कोशिश करते हैं।

योग का इतिहास (History Of Yoga In Hindi)

सबसे पहले योग शब्द का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। इसके बाद कई उपनिषदों में भी इसका जिक्र किया गया है। शास्त्रों अनुसार योग का प्रारंभ भगवान शिव से हुआ। इसलिए ही शिव को आदि योगी या आदि गुरु कहा जाता है। भगवान शिव के बाद ऋषि-मुनियों से योग का प्रारम्भ माना जाता है। तो वहीं इसके बाद भगवान कृष्ण, महावीर जी औ भगवान गौतम बुद्ध ने अपने-अपने तरह से योग का विस्तार किया। इतना ही नहीं योग से जुड़े सबसे प्राचीन ऐतिहासिक साक्ष्य सिन्धु घाटी सभ्यता से मिली वो वस्तुए हैं जिनमें योग के विभिन्न शारीरिक मुद्राओं और आसन को दर्शाया गया है।

पहले योग गुरु (Who Is Yoga Guru)

सद्गुरु अनुसार कई हजारों साल पहले हिमालय में आदियोगी प्रकट हुए। जो कभी परमानंद में मग्न होकर नाचने लगते तो कभी अचानक से शांत भाव से स्थिर होकर बैठ जाते। लेकिन ज्यादातर समय वह ध्यान मुद्रा में ही रहते। ध्यान मुद्रा के दौरान उनकी आंखों से बहते आंसूं ही उनके जीवित होने का प्रमाण देते। इस स्थिति में एक बात तो साफ थी कि वह एक ऐसा अनुभव ले रहे थे, जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। ये देखकर लोग उनके आसपास जमा होने लगे। लेकिन जब उन्होंने किसी पर ध्यान नहीं दिया तो भीड़ थोड़-थोड़ा कम होने लगी। आखिरी में वहां सिर्फ 7 गंभीर साधक ही बचे। फिर उन्होंने विनती की, कृपया हम जानना चाहते हैं कि आप क्या जानते हैं और किस चीज का अनुभव ले रहे हैं? साधकों के विनम्र आग्रह पर आदियोगी ने उन्हें आरंभिक साधना की दीक्षा दी। सातों ऋषियों ने चौरासी वर्षों तक पूरी एकाग्रता से साधना की और इसके बाद आदियोगी ने पाया कि अब वे ऋषि ज्ञान पुंज की तरह जगमगा रहे हैं। फिर भगवान शिव ने पूरे 28 दिन तक उनका निरीक्षण करने के बाद अपने आपको उनके प्रथम गुरु यानी आदि गुरु के रूप में बदल लिया। जिसके बाद कांति सरोवर के तट पर आदियोगी ने अपने सातों शिष्यों को योग विज्ञान के बारे में बताया। कहते हैं यही सात साधक आज सप्त ऋषि के नाम से जाने जाते हैं।
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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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