Holashtak 2024 Start And End Date: होलाष्टक क्या होता है, कब से कब तक रहेगा, जानें इस दौरान वर्जित कार्य

Holashtak 2024 Start And End Date: पंचांग अनुसार इस साल होलाष्टक 17 मार्च से शुरू होकर 24 मार्च को यानी होलिका दहन (Holika Dahan) पर समाप्त होगा। तो वहीं 25 मार्च को रंगवाली होली (Rangwali Holi) खेली जाएगी। यहां जानिए होलाष्टक क्या होता है, इसका मतलब क्या है और इस दौरान क्या नहीं करना चाहिए।

Holashtak 2024 Start Time And Date

Holashtak 2024 Start Time And Date

Holashtak 2024 Start And End Date: पंचांग अनुसार होलाष्टक का प्रारंभ फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होता है और इसकी समाप्ति फाल्गुन पूर्णिमा पर। हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार होली से पहले के ये 8 दिन बेहद अशुभ माने जाते हैं। इसलिए इस दौरान शुभ और मांगलिक कार्यों को करने की मनाही होती है। होलाष्टक हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर भारत के अन्य क्षेत्रों में माना जाता है। इस दौरान विशेष रूप से शादी, मुंडन संस्कार और गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। जानिए होलाष्टक के बारे में सबकुछ।

होलाष्टक का अर्थ (Holashtak Meaning In Hindi)

होलाष्टक शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है होली और दूसरा अष्ट अर्थात 8 दिन। ऐसे में होलाष्टक शब्द का अर्थ हुआ होली से पहले के 8 दिन। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होली से पहले के इन आठ दिनों में शादी, विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य नहीं किये जाते।

होलाष्टक कब से कब तक रहेगा (Holashtak 2024 Start And End Date)

होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तिथि तक रहता है। इस साल होलाष्टक की शुरुआत 17 मार्च 2024 से होगी और इसकी समाप्ति 24 मार्च 2024 को होगी। इसी दिन होलिका दहन भी किया जाएगा फिर 25 मार्च 2024 को होली खेली जाएगी।

होलाष्टक क्या होता है (Holashtak Kya Hota Hai)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक के आठ दिनों में वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है। इसलिए ही इस दौरान किसी भी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। कहते हैं कि फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन चंद्रमा, नवमी तिथि पर सूर्य, दशमी पर शनि, एकादशी पर शुक्र, द्वादशी पर गुरु, त्रयोदशी पर बुध, चतुर्दशी पर मंगल और पूर्णिमा पर राहु उग्र अवस्था में रहता है। ऐसे में अगर इस दौरान किसी भी तरह के मांगलिक या शुभ कार्य किए जाएं तो व्यक्ति को तमाम तरह की परेशानियां, बाधाओं और समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि किसी भी शुभ कार्य के लिए ग्रहों का शुभ अवस्था में होना जरूरी होता है।

होलाष्टक के दौरान क्या नहीं करना चाहिए (Holashtak Me Kya Nahi Karna Chahiye)

  • होलाष्टक के दिनों में विवाह, मुंडन, नामकरण, गृह प्रवेश, सगाई समेत सभी 16 संस्कार वर्जित माने गए हैं।
  • इस दौरान नया मकान, वाहन की खरीदारी से भी बचना चाहिए।
  • होलाष्टक के समय यज्ञ हवन भी नहीं करना चाहिए।
  • होलाष्टक के दौरान नई नौकरी ज्वाइन भी नहीं करनी चाहिए।
  • इसके अलावा इस दौरान नया व्यवसाय भी शुरू नहीं करना चाहिए।
होलाष्टक में क्या करें (Holashtak Me Kya Kare)

होलाष्टक के दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर सकते हैं। कहते हैं इससे तमाम रोग और दोषों से छुटकारा मिल जाता है। इसके अलावा इस दौरान आप अपनी यथाशक्ति के अनुसार दान पुण्य भी कर सकते हैं। होलाष्टक में भगवान शिव और भगवान विष्णु की उपासना करना भी शुभ माना जाता है। कहते हैं इस अवधि में गंगाजल घर में छिड़कने से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है।

होलाष्टक में क्या करते हैं (Holashtak Mein Kya Karte Hain)

होलाष्टक शुरू होते ही लोग एक पेड़ की शाखा को रंग-बिरंगे कपड़ों से सजाना शुरू कर देते हैं। इस दौरान प्रत्येक व्यक्ति शाखा पर कपड़े का एक टुकड़ा बांधता है और अंत में उसे जमीन में गाड़ दिया जाता है। वहीं कुछ जगहों पर होलिका दहन के दौरान कपड़ों के इन टुकड़ों को जला भी दिया जाता है। कुछ जगहों पर होलाष्टक की शुरुआत के दिन होलिका दहन के स्थान का चयन कर लिया जाता है और होलाष्टक के प्रत्येक दिन होलिका दहन के स्थान पर छोटी-छोटी लकड़ियां एकत्र करके रख ली जाती है।

होलाष्टक में क्या दान करें (Holashtak Me Kya Daan kare)

होलाष्टक में दान का विशेष महत्व माना जाता है। इस दौरान कपड़े, अनाज, धन और अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान किया जा सकता है।

होलाष्टक क्यों मनाया जाता है (Holashtak Kyu Manaya Jata Hai)

कहते हैं होलिका दहन से 8 दिन पहले ही प्रहलाद को उनके पिता हिरणकश्यप और उनकी बहन होलिका ने बहुत ज्यादा प्रताड़ित किया गया था। क्योंकि हिरणकश्यप चाहता था कि उसका पुत्र प्रहलाद उनकी पूजा करे लेकिन वो तो श्री हरि के भक्त थे जिसके चलते हिरणकश्यप ने अपने पुत्र को 7 दिनों तक कड़ी यातनाएं दी थी। फिर आठवें दिन हिरंणकश्यप ने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वे प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए। क्योंकि होलिका को ऐसा वरदान था कि आग उसे जला नहीं सकेगी। लेकिन श्री हरि की कृपा से होलिका आग में जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं हुआ। कहते हैं तभी से होली के पहले के 8 दिन अशुभ माने जाते हैं और इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। वहीं आठवें दिन होलिका दहन किया जाता है।

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    TNN अध्यात्म डेस्क author

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