Holi 2024 Date: होली 2024 कब है, देखें 2030 तक भारत में होली की डेट्स, कितनी मिलेंगी छुट्टी

Holi 2024 Date (2024 में होली की तारीख): होली भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है जो जीवन के प्रति उल्लास और आपसी भाईचारे को दिखाता है। 2023 में होली का पर्व 8 मार्च को मनाया गया। यहां जानें 2024 में होली कब है और 2030 तक किन तारीख को होली का पर्व मनाया जाएगा।

Holi 2024 date in India

Holi 2024 date in India

Holi 2024 Date (2024 में होली की तारीख): होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक भारतीय त्योहार है। देशभर में इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। रंगवाली होली पारंपरिक रूप से दो दिन का उत्सव है जिसमें पहले दिन होलिका दहन की परंपरा है। वहीं, अगले दिन रंग-गुलाल से धुलंडी यानी होली खेली जाती है। 2023 में होली का पर्व 8 मार्च को मनाया गया। यहां देखें कि अगले साल यानी 2024 में होली कब मनाई जाएगी (When is Holi in 2024)।

होली की डेट पंचांग द्वारा निर्धारित की जाती है। ये हर साल बदलती रहती है।हिंदू कैलेंडर के अनुसार, होली हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को सेलिब्रेट किया जाता है। यह आमतौर पर अंग्रेजी महीने के मार्च में मनाई जाती है। पर, तिथियों के घट-बढ़ होने से कभी-कभी फरवरी के अंत में भी मनाया जाता है। तो चलिए इसी कड़ी में जानते हैं अगले 5 सालों में आने वाली होली की डेट।

Holi Date 2024 in India

साल 2024 में रंगवाली होली का त्योहार 25 मार्च दिन मंगलवार को मनाई जाएगी। वहीं इससे ठीक एक दिन पहले यानी 24 मार्च, सोमवार को होलिका दहन होगा।

Holi Date in coming years

सालडेटदिन
होली डेट 202425 मार्चमंगलवार
होली डेट 202514 मार्चशनिवार
होली डेट 20264 मार्च बुधवार
होली डेट 202722 मार्चमंगलवार
होली डेट 202811 मार्चरविवार
होली डेट 20291 मार्चगुरुवार
होली डेट 203020 मार्चबुधवार
होली क्यों मनाई जाती है

होली से जुड़ी हिरण्यकश्यप, प्रह्लाद और होलिका की एक पुरानी कहानी है। पौराणिक कथा के अनुसार, आदिकाल में हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस था। वह खुद को ईश्वर से भी बड़ा ओर महान समझता था। दैत्यराज चाहता था कि समस्त लोग सिर्फ उसकी पूजा करें। लेकिन उसका खुद का पुत्र प्रह्लाद ही भगवान विष्णु का परम भक्त था।

इसी वजह से दैत्य अपने पुत्र को भगवान की भक्ति से हटना चाहते थे। उसने कई प्रयास किए। लेकिन पुत्र प्रह्लाद प्रभु की भक्ति को नहीं छोड़ पाए। तब हिरण्यकश्यप ने अपने ही बेटे को जान से मारने की कई बार कोशिशें की। पर, हर बार प्रह्लाद प्रभु की कृपा से बच जाता था।

इसके बाद हिरण्यकश्यप अपने पुत्र को मारने के लिए अपनी बहन होलिका से मदद ली, जिसे वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती।

योजना अनुसार, होलिका पुत्र प्रह्लााद को गोद में लेकर आग की चिता पर बैठ गई। उस दौरान प्रह्लााद सिर्फ भगवान विष्‍णु के स्मरण में लीन रहा। परिणामतः होलिका का वरदान समाप्त हो गया। होलिका अग्नि में जल गई। मगर, भगवान विष्णु की असीम कृपा से भक्त प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होली पर्व मनाया जाता है।

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