Holi Bhai Dooj Katha In Hindi: होली भाई दूज व्रत कथा इन हिंदी यहां देखें
Holi Bhai Dooj Vrat Katha in Hindi: धार्मिक मान्यातओं अनुसार होली भाई दूज के दिन जो भाई बहन से तिलक करवाता है उसके जीवन में खुशहाली और समृद्धि बनी रहती है। जानें होली भाई दूज की कथा।
होली भाई दूज व्रत कथा
Holi Bhai Dooj Vrat Katha in Hindi: होली भाई दूज का पर्व हर साल चैत्र मास की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। ये पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम को दर्शाता है। इस साल 9 मार्च को ये भाई दूज मनाई जा रही है। इस दिन बहन अपने भाईयों को तिलक कर उनके सुखद और स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं, वहीं भाई अपनी बहन को उपहार भेंट करके उनकी रक्षा करने का संकल्प लेते हैं।
शास्त्रों अनुसार होली के अगले दिन भाई को तिलक करने से उसे जीवन के सभी संकटों से मुक्ति मिल जाती है। मान्यता है कि इस दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा के बाद यमदेव की भी पूजा करनी चाहिए। साथ ही व्रत रखा इस कथा को जरूर पढ़ना चाहिए।
होली भाई दूज की कथा (Holi Bhai Dooj Katha In Hindi)
होली भाई दूज की कथा के अनुसार एक नगर में एक बुढ़िया रहती थी, जिसके एक बेटा और एक बेटी थी। बेटी की शादी हो चुकी थी। एक बार होली के बाद उस बुढ़िया के बेटे के मन में अपनी बहन से मिलने का ख्याल आया और उसने अपनी मां से बहन के यहां जाकर तिल करवाने का आग्रह किया। बेटे के लगातार आग्रह करने पर मां ने उसे अपनी बहन के यहां जाने दिया। लड़का अपनी बहन से मिलने के लिए घर से निकल गया और रास्ते में उसे एक नदी मिली, नदी ने कहा कि मैं तेरा काल हूं और इसमें पैर रखने से तू डूब जाएगा। इसे सुन वह भयभीत हो गया और उसने कहा कि मैं अपनी बहन के यहां जाकर तिलक करा लूं फिर मेरे प्रांण ले लेना।
इसके बाद वो लड़का जैसे ही थोड़ी आगे बढ़ा उसे जंगल में एक खूंखार शेर मिला। उसने शेर से भी वही कहा जो उसने नदी से कहा था। कुछ दूर चलने के बाद एक सांप ने उसके पैर को जकड़ लिया, बुढ़िया के बेटे ने सांप से भी वही कहा। इसके बाद वह अपनी बहन के घर जा पहुंचा, बहन ने अपने भाई को देखते ही उसे गले से लगा लिया और तिलक लगाने के बाद बैठाकर भोजन करवाया। भोजन करते समय भाई को उदास देख बहन दुखी हो जाती है और उससे उसके दुख का कारण पूछती है। भाई उसे वो सब बता देता है जो उसके साथ रास्ते में हुआ था।
बहन अपने भाई से कहती है कि रूको भाई मैं पानी पीकर आती हूं और वह एक तालाब के पास जाती है जहां उसे एक बुढ़िया मिलती है वह उस बुढ़िया को अपनी सारी परेशानी बता देती है। इसे सुन बुढ़िया कहती है कि ये सब तेरे पिछले जन्मों का कर्म है, जो तुम्हारे भाई को भुगतना पड़ रहा है। अगर तू चाहे तो उसे बचा सकती है इसके लिए तुझे उसकी शादी होने तक उसकी हर विपदा को टालना होगा इससे तेरा भाई बच जाएगा।
बुढ़िया की बात सुन बहन भाई के साथ घर चलने के लिए तैयार हो गई। वह शेर के लिए मांस, सांप के लिए दूध और नदी के लिए ओढ़नी लेकर भाई के साथ चल देती है। रास्ते में उसे शेर मिलता, शेर को देखते ही वह उसके सामने मांस डाल देती है, फिर कुछ दूर चलने के बाज उसे सांप मिलता है, वह उसके सामने दूध रख देती है। वहीं और आगे चलने के बाद उसे नदी मिलती है वह उस नदी को ओढ़नी दे देती है। इस प्रकार बहन अपने भाई के ऊपर आने वाली हर विपदा को टाल देती है। इस दिन से प्रत्येक वर्ष चैत्र मास की द्वितीया तिथि यानी होली के अगले दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है।
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