Holi Katha In Hindi: रंगवाली होली का त्योहार क्यों मनाया जाता है, यहां जानें इसकी पौराणिक कथा

Holi Katha In Hindi: रंगवाली होली से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं मिलती हैं। एक कथा के अनुसार होली पर्व राधा-कृष्ण से जुड़ा है तो दूसरी कथा के अनुसार इस पर्व की कहानी कामदेव और भगवान शिव से जुड़ी है। यहां जानिए होली की पौराणिक कथाएं।

holi ki katha

Holi Story In Hindi

Holi Katha In Hindi (होली कथा इन हिंदी): होली हर किसी का पसंदीदा त्योहार होता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और मिलकर इस त्योहार का आनंद लेते हैं। इस साल होली का त्योहार 25 मार्च को मनाया जा रहा है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार पौराणिक काल से ही ये त्योहार मनाया जाता आ रहा है। माना जाता है कि होली पर रंग लगाने की शुरुआत भगवान कृष्ण ने की थी। तो वहीं कई लोग इस त्योहार का संबंध भगवान शिव और कामदेव से मानते हैं। यहां जानिए होली क्यों मनाई जाती है, इसकी कथा क्या है।

होली की राधा-कृष्ण वाली कथा

हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार एक बार बाल गोपाल ने अपनी माता यशोदा से पूछा 'माता राधा इतनी गौरी क्यों हैं और मेरा रंग काला क्यों है। तब माता ने मजाक में कृष्णा से कहा कि अगर तुम राधा को रंग लगा दोगे तो उनका रंग भी तुम्हारे जैसा ही हो जाएगा।' कहते हैं इसके बाद बाल गोपाल ने राधा रानी को रंग लगा दिया फिर राधा जी ने भी कृष्ण का रंग लगाया। इस तरह से होली पर रंग से खेलने की शुरुआत हो गई।

होली से जुड़ी होलिका और प्रहलाद वाली कथा

होली की भगवान शिव और कामदेव वाली कथा

होली की एक कहानी कामदेव से भी जुड़ी है। कहते हैं कि जब पार्वती माता भगवान शिव से विवाह करने के लिए उनकी तपस्या में लीन थीं तो खुद शिव भी ध्यानमग्न थे। जिसकी वजह से काफी समय तक शिव जी का माता पार्वती की तरफ ध्यान नहीं गया। ऐसे में कामदेव से रहा नहीं गया और उन्होंने महादेव पर पुष्प बाण चला दिया। जिससे शिव जी का ध्यान भंग हो गया। गुस्से में भगवान शिव ने अपनी तीसरी आंख खोल दी जिससे कामदेव भस्म हो गए। कामदेव के भस्म होने पर उनकी पत्नी रति रोने लगीं और अपने पति को जीवित करने की गुहार लगाई। क्रोध शांत होने पर शिव ने कामदेव को जीवित कर किया। ऐसा माना जाता है कि कामदेव के भस्म होने पर ही होलिका जलाई जाती है, तो वहीं उनके जीवित होने की खुशी में होली का त्योहार मनाया जाता है।

होली की महाभारत काल वाली कथा

श्रीराम के पूर्वज रघु के शासन मे एक असुर महिला थी। जिसे ऐसा वरदान प्राप्त था कि उसे कोई नहीं मार सकता है। एक दिन गुरु वशिष्ठ ने बताया कि उस असुर महिला को मारा जा सकता है। यदि सभी बच्चे अपने हाथों में लकड़ी के टुकड़े लेकर शहर के बाहर चले जाएं और सूखी घास के साथ उनका ढेर लगाकर जला दें। फिर उस अग्नि के चारों ओर परिक्रमा करें, ताली बजाएं, गाना गाएं, नृत्य करें और नगाड़े बजाएं। बच्चों ने ऐसा ही किया जिससे वह असुर मारी गई। कहते हैं इसी घटना के बाद से बुराई पर जीत के प्रतीक के रूप में होली मनाई जाती है।

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