Holika Dahan Puja Vidhi: होलिका दहन के दिन क्या करना चाहिए, इसकी पूजा विधि क्या है, यहां जानें सारी जानकारी
Holika Dahan 2024 Puja Vidhi: होलिका दहन पूजा की तैयारी 10-12 दिन पहले से ही शुरू हो जाती है। शुभ दिन देखकर लोग लकड़ियां, गोबर के उपले आदि इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं और फिर फाल्गुन पूर्णिमा के दिन इन चीजों को जलाकर होलिका दहन का पर्व मनाते हैं। यहां जानिए होलिका दहन पूजा विधि विस्तार से।
Holika Dahan 2024 Puja Vidhi
होलिका दहन पूजा विधि (Holika Dhahan Puja Vidhi)
- होलिका दहन खुले स्थान में किया जाता है। जिस जगह होलिका दहन करना है उस स्थान को अच्छे से साफ कर लें और वहां सूखी लकड़ियां, गोबर के उपले आदि चीजें इकट्ठा कर लें।
- बहुत सी जगह कई दिन पहले से ही होलिका दहन की सामग्री एकत्रित करना शुरू कर दिया जाता है।
- होलिका दहने के लिए जो लकड़ियां इकट्ठा की जाती है और उसमें होलिका और प्रह्लाद को शुद्ध गोबर से बनाकर स्थापित किया जाता है। इसे ही गुलारी या बड़कुल्ला कहते हैं।
- होलिका दहन के लिए पांच बड़कूले छेद वाले बनाये जाते है, जिससे उनको आसानी से माला मे पिरोया जा सके तो दो बड़कूले बिना छेद वाले बनाये जाते है। बड़कूले बाजार में बने बनाए भी मिल जाते हैं।
- इसके बाद गोबर से सूरज, चांद, तारे और अन्य खिलौने तैयार किये जाते हैं। इसके अलावा पान, पाटा, चकला बनाये जाते है। फिर इन पर आटे, हल्दी, गुलाल, मेहंदी आदि से बिंदियां लगाई जाती हैं और इन्हें अच्छे से सजा लिया जाता है। होलिका की आंखों को कौड़ी से बनाया जाता है। अंत में ढाल और तलवार बना ली जाती है।
- फिर तैयार किए हए बड़कूले से माला बनाई जाती है। उस माला में होलिका, खिलोंने, तलवार, ढाल बनाई गई सभी सामग्री डाल दी जाती है।
- इसके बाद होलिका के पास गोबर से बनी ढाल बनाई जाती है और उसमें बनाई गई चार मालाएं रखी जाती हैं। जिसमें एक माला पितरों के नाम समर्पित की जाती है, दूसरी माला हनुमान जी को अर्पित की जाती है, तीसरी शीतला माता को तो चौथी माला घर परिवार के लिए रखी जाती है।
- आप अगर घर पर ये माला नहीं बना सकते तो बाजार से बनी बनाई माला भी खरीद सकते हैं।
- इस प्रकार से सभी सामग्री तैयार कर लें। फिर होलिका दहन की पूजा शुरू करें।
- ध्यान रहे कि पूजा के समय अपना मुख पूर्व या उतर दिशा की ओर होना चाहिए।
- अब सबसे पहले गंगाजल लें और उसकी बूंदों का छिड़काव आसपास करें फिर पूजा की थाली पर और फिर स्वयं पर करें।
- फिर कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या सात बार लपेटें।
- फिर लोटे से शुद्ध जल चढ़ाएं।
- इसके बाद नरसिंह भगवान और प्रह्लाद का स्मरण करें और माला, फूल, चावल, गंध, साबुत हल्दी, गुड़, साबुत मूंग, रौली, मेहंदी, गुलाल, नारियल आदि चीजें होलिका दहन में डालें।
- फिर नई फसल गेहूं और चने की बालियां भी होलिका दहन की अग्नि में डालें।
- इसके बाद होलिका के पास गोबर से बनी ढाल तथा अन्य खिलौने रख दें।
- फिर चावल, मूंग और बताशे का भोग लगाया जाता है।
- इसके बाद सभी लोग हाथ जोड़कर होलिका से सुख समृद्धि की कामना करें।
- इसके बाद होलिका दहन किया जाता है। ध्यान रखें कि होलिका दहन में आहुति बहुत ही जरुरी मानी जाती है इसलिए होलिका दहन में आहुतियां जरुर दें।
- इसके अलावा होलिका में कच्चे आम, चीनी के बने खिलौने, नई फसल का कुछ भाग गेहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल अनाज में जो भी हो आपके पास और मसूर आदि की आहुति दी जाती है।
- इसके बाद पुरुषों के माथे पर तिलक लगाया जाता है।
- फिर रोली चावल मिलाकर सात बार अर्घ्य देकर होलिका की सात परिक्रमा करनी चाहिए।
- इसके बाद लाये गए हरे गेहूं और चने को होली की अग्नि में भून लें। दरअसल भूने हुए गेहूं या चने को प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया जाता है।
- फिर होली की थोड़ी सी अग्नि अपने घर लाकर इस अग्नि से अपने घर में धूनी कर लें। कहते हैं होलिका दहन की अग्नि की धूनी घर में करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर चली जाती है।
- अंत मे भूने हुए गेहूं और चने प्रसाद के रूप में ग्रहण कर लें और सभी में बांट दें। कहते हैं होलिका मे सेककर खाये गये धान्यों को खाने से व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। साथ ही होली की राख को घर लाने से घर में सकारात्मकता आती है।
- गोबर से बनी ढाल और चार मालाएं अलग से घर लाकर सुरक्षित रख ली जाती है।
- होलिका प्रज्वलित करके दण्ड यानि डंडे को बाहर निकाल लें। फिर अपने बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करें।
होलिका दहन करने से क्या लाभ होता है
मान्यताओं अनुसार होलिका दहन करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है और सुख-शांति का वास होता है। साथ ही अच्छे स्वास्थ्य की भी प्राप्ति होती है।
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