Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत कैसे किया जाता है, कब शुरू करें, कौन रख सकता है, क्या फायदे हैं...जानें सबकुछ

Pradosh Vrat Vidhi: प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी (Trayodashi Vrat) तिथि को रखा जाता है। इसलिए इसे त्रयोदशी व्रत भी कहते हैं। प्रदोष व्रत किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से शुरू किया जा सकता है। इस व्रत को कोई भी रख सकता है। मान्यता है प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं। जानिए प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat Kaise Kare) से जुड़ी हर एक जानकारी यहां।

How To Do Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से शुरू किया जा सकता है।

मुख्य बातें
  • प्रदोष व्रत किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से शुरू कर सकते हैं
  • इस व्रत में प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है
  • मान्यताओं अनुसार इस व्रत को करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं
Pradosh Vrat Vidhi, Katha, Time: प्रदोष व्रत त्रयोदशी के दिन रखा जाता है। इसलिए इसे त्रयोदशी के नाम से भी जानते हैं। प्रत्येक महीने में दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है। मान्यता है इस व्रत को करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों के लिए भी ये व्रत बेहद फलदायी माना जाता है। पंडित सुजीत जी महाराज अनुसार इस दिन पार्थिव पूजन का बहुत महत्व है। घर में पार्थिव का शिवलिंग बनाकर रुद्राभिषेक करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। जानिए प्रदोष व्रत से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी यहां।

प्रदोष व्रत कैसे करें (How To Do Pradosh Vrat In Hindi)

प्रदोष व्रत दो तरीके से रखा जा सकता है। पहले तरीके के अनुसार व्रत वाले दिन के सूर्योदय से लेकर अगले दिन के सूर्योदय तक उपवास कर सकते हैं। दूसरे तरीके के अनुसार सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक व्रत कर सकते हैं। आप अपनी सुविधा अनुसार किसी भी तरीके से प्रदोष व्रत रख सकते हैं। प्रदोष का मतलब सूर्यास्त के आसपास के समय से होता है इसलिए प्रदोष व्रत वाले दिन इस प्रदोष काल में शिव जी की पूजा जरूर करें।

प्रदोष व्रत की विधि (Pradosh Vrat Vidhi)

  • ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके पूजा पे बैठना चाहिए।
  • पूजन स्थल को साफ करें।
  • इसके बाद रंगोली बनाएं।
  • फिर उत्तर पूर्व दिशा की तरफ मुख करके या जिधर आपके घर का वास्तु अनुरूप मंदिर है उसकी तरफ मुख करके भगवान शिव की पूजा करें।
  • ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करें और साथ में दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
  • सोम प्रदोष को रोग मुक्ति के लिए किसी शिव मंदिर में कुश और गंगा जल से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें इससे रोगों से मुक्ति मिलेगी।
  • पूरा दिन फलाहार का व्रत रखें और सायंकाल मंदिर अवश्य जाएं।
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