Phalgun Purnima 2023: फाल्गुन पूर्णिमा का क्या महत्व है, जानें इस दिन क्या करें, किन गलतियों के भुगतने पड़ते हैं परिणाम
Phalgun Purnima 2023: फाल्गुन पूर्णिमा इस बार 6 मार्च को शुरू होकर 7 मार्च को समाप्त होगी। उदयातिथि 7 मार्च को है, इसलिए होलिका दहन भी इसी दिन होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलिका दहन वाले दिन नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव ज्यादा होता है। इसलिए होलिका दहन के दिन क्या करें और क्या न करें या जानना जरूरी है।
फाल्गुन पूर्णिमा का है विशेष महत्व
- श्री सूक्त का पाठ व विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ फाल्गुन पूर्णिमा के दिन करें
- पितर को खुश करने के लिए इस दिन पिंडदान कर सकते हैं
- होलिका दहन के समय काले या सफेद रंग का वस्त्र न पहनें
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फाल्गुन पूर्णिमा पर पूजा का महत्व
फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है और इस दिन कई लोग व्रत भी रखते हैं। इस दिन सुबह उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहनकर विष्णु भगवान के नरसिंह रूप की पूजा की जाती है। इस पूजा को करते समय अपने मुख को उत्तर या पूर्व दिशा की ओर रखना चहिए। फाल्गुन पूर्णिमा वाले दिन व्रत रखकर पूरे दिन फलाहार करें। होलिका दहन के दिन सुबह बदन पर उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद गाय के गोबर से होलिका बनाकर उसकी पूजा करें और फिर होलिका दहन की तैयारी करनी चाहिए। होलिका दहन करने के बाद अग्नि की 5 या 7 बार परिक्रमा करनी चाहिए। इसके बाद बड़ों का आर्शीवाद लेकर चेहरे पर गुलाल लगाकर सभी से गले मिलना चाहिए।
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फाल्गुन पूर्णिमा को क्या करें और क्या न करें
फाल्गुन पूर्णिमा के दिन आप श्री सूक्त का पाठ, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ और कनकधारा स्त्रोत करते हैं, तो इससे आपका मनचाहा कार्य पूरा हो सकता है। यदि आप आर्थिक परेशानी से जूझ रहे हैं, तो इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ माता लक्ष्मी की पूजा भी कर सकते हैं। वहीं, अगर आपकी कुंडली में चंद्र दोष है, तो पूर्णिमा की रात में चंद्र देव को दूध चढ़ाएं और रुद्राक्ष की माला के साथ ‘ॐ सों सोमाय नमः’ का जाप करें। इसके अलावा, अगर आपके पितर नाराज हैं, तो उन्हें खुश करने के लिए आप फाल्गुन पूर्णिमा के दिन पिंडदान कर सकते हैं। होलिका दहन वाले दिन लोगों को पैसे का लेन-देन नहीं करना चाहिए। होलिका दहन के समय काला या फिर सफेद वस्त्र धारण करने से बचना चाहिए। इन दोनों रंगों पर नकारात्मकता का प्रभाव जल्द हो सकता है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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