EXCLUSIVE: छठ पूजा में सिंदूर का महत्व, जानें क्यों और कितने रंग का सिंदूर इस्तेमाल करती हैं महिलाएं
Chhath Puja Sindoor: छठ पूजा में महिलाएं सिंदूर लगाकर पूरी तरह से श्रृंगार कर पूजा करती है। महिलाएं पति की लंबी आयु और समाज में उसके सम्मान के लिए लंबा सिंदूर लगाती है। माना जाता है की लाल रंग का सिंदूर सती की उर्जा का प्रतिक होता है।
CHHATH POOJA 2022: हर साल दिवाली से ठीक 6 दिन के बाद महापर्व छठ का त्योहार मनाया जाता है। इस पर्व में भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा की जाती है। 4 दिन के इस पर्व में महिलाएं अपने संतान और पति की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं और तैयार होकर सूर्य देव को अध्र्य देती है। इस पर्व में महिलाएं पूरी तरह से श्रृंगार कर पूजा करती है। महिलाओं के श्रृंगार में जो महत्वपूर्ण चीज होती है वो है सिंदूर जो हर शादीशुदा महिलाएं लगाती हैं। तो आइए आज हम जानते हैं कि छठ के इस महापर्व में सिंदूर कितना महत्वपूर्ण होता है।
सती की उर्जा का प्रतिक सिंदूर का लाल रंग
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हमारे देश में हिंदू विवाह के दौरान सिंदूर लगाने की रस्म शादी की सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र रस्म मानी जाती है। और कोई भी शादी इस रस्म को किए बिना पूरी नहीं मानी जाती। पौराणिक कथाओं की मानें तो लाल रंग शक्ति का रंग माना जाता है और सिंदूर को पार्वती और सती की उर्जा का प्रतीक माना जाता है। हमारे देश में सती को एक आदर्श पत्नी के रूप में पूजा जाता है। जिन्होंने अपने पति के सम्मान के लिए अपना जीवन त्याग दिया था।
भारतीय घरों में सिंदूर को विवाह का प्रतीक माना जाता है और हर शादीशुदा महिला के माथे पर सिंदूर का मतलब वो विवाहित है। इतिहास के रूप में देख तो पाएंगे की भारत में सिंदूर पहनने की यह परंपरा हड़प्पा सिविलाइजेशन के जमाने से चलती आ रही है। उस वक्त भी महिलाएं अपने पति के लंबी उम्र के लिए सिंदूर लगाती थी। मान्यता थी की जो महिला जितना लंबा सिंदूर लगाती है उनके पति की आयु उतनी लंबी होती है। इसी वजह से महिलाएं उस समय भी लंबा सिंदूर लगाती थी।
नाक से मांग तक सिंदूर लगाने की मान्यता
आपने ज्यादातर देखा होगा की छठ पर्व के दौरान महिलाएं लंबा सिंदूर लगाती हैं जो नाक से लेकर माथे के बीच तक लगाया जाता है। छठ पूजा में लंबा सिंदूर लगाने के पीछे मान्यता है कि जो महिला सिंदूर बालों में छुपा लेती है उनका पति समाज में छुप जाता है और तरक्की नहीं कर पाता और साथ ही उसकी आयु कम हो जाती है। जिसके कारण छठ के दौरान महिलाएं लंबा सिंदूर लगाती हैं उनके पति की आयु के साथ सम्मान और रूतबा भी समाज में बढ़े।
छठ में सिंदूर बहुत ही शुभ माना जाता है और इसका इस्तेमाल अर्घ्य में भी किया जाता है। अर्घ्य भरने से पहले उसे सिंदूर लगाकर सजाया जाता है साथ ही उसमें सिंदूर चढ़ाया भी जाता है। बिहार में सिंदूर लगाने के पीछे अलग-अलग जगहों पर हर तरह की मान्यताएं है। ऐसे ही यहां सिंदूर के कई रंगों की भी अलग-अलग मान्यता है। छठ पूजा के दौरान बिहार में 3 तरह के सिंदूर का इस्तेमाल किया जाता है।
सुर्ख लाल सिंदूर
आमतौर पर हम सबने इस लाल रंग का सिंदूर ही देखा है जिसे हर शादीशुदा महिलाओं को लगाते देखा जाता है। कहा जाता है की लाल रंग का सिंदूर मां पार्वती और सती की उर्जा का प्रतीक होता है और लाल रंग का सिंदूर लगाने से पति की आयु लंबी होती है इसलिए आमतौर पर महिलाएं लाल के सिंदूर का ही इस्तेमाल करती है।
पीला सिंदूर
बिहार में ज्यादातर घरों में महिलाएं पीले या नारंगी रंग के सिंदूर का ही इस्तेमाल करती है। छठ पूजा के दौरान भी महिलाएं पीले रंग के सिंदूर को नाक से लेकर माछे तक सजाकर पूजा करती हैं। छठ पूजा के दौरान जो भी महिला ने व्रत रखा होता है वो इस सिंदूर से दूसरी शादीशुदा महिला की मांग को भी सजाती है। कहा जाता है की इस सिंदूर से छठी मैया और भगवान सूर्य का आशीर्वाद मिलता है और पति का सम्मान बढ़ता है।
मटिया सिंदूर
आमतौर पर आप मटिया सिंदूर जो पिंक कलर का होता है वो आप मार्केट में नहीं पाएंगे। इस सिंदूर का इस्तेमाल खासतौर पर बिहार में किया जाता है वहां इसे सबसे शुद्ध सिंदूर के तौर पर माना जाता है। महिलाएं रोजमर्रा में इस सिंदूर का इस्तेमाल नहीं करती है। बिहार में शादी के दौरान खासतौर पर इस सिंदूर का इस्तेमाल किया जाता है और लड़की का मांग को इसी सिंदूर से भरा जाता है। ये सिंदूर एकदम मिट्टी की क्वालिटी का होता है जिसकी वजह से इसे मटिया सिंदूर कहा जाता है। छठ पूजा के दौरान पूजा में चढ़ाने के लिए खासतौर पर इस सिंदूर का इस्तेमाल किया जाता है।
कहां से कितने दाम में मिलेगा सिंदूर
आप सिंदूर की खरीदारी के लिए आजादपूर की छठ पूजा मार्केट जा सकते है यहां आपको हर क्वालिटी के सिंदूर अलग-अलग रेट के मिल जाएंगे। आपको ये सिंदूर यहां 40 रूपए प्रति किले से लेकर 60 रूपए प्रति किलों भी आपको सिंदूर मिल जाएगा। साथ ही आप अपनी जरूरत के हिसाब से भी सिंदूर पैक करवा सकते है।
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मैं सोनाली ठाकुर टाइम्स नाउ नवभारत में बतौर सीनियर रिपोर्टर कार्यरत हूं। मेरी महिलाओं से जुड़े मुद्दों के साथ-साथ एंटरटेनमेंट और ऐतिहासिक मुद्दों पर भ...और देखें
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