Makar Sankranti 2023: सिर्फ अध्यात्म से ही नहीं जुड़ा है सूर्य उपासना का महत्व, सेहत के लिए भी है शुभ
Makar Sankranti 2023: सूर्य देव को अर्घ्य देते समय घुटने टेक कर घुटनों के नीचे कुशा रखें। अर्घ्य देते समय ताम्रपात्र में लाल चंदन, लाल पुष्प और श्यामक, ताण्डुल भी होना चाहिए। सूर्य प्रकाश में पानी की धारा का बूंदों के द्वारा स्पेक्ट्रम बनता है जोकि कारगर है विभिन्न रोगों को दूर करने में। कैंसर और कुष्ठ रोग में मिलता है आराम।
सूर्य उपासन से दूर होते हैं रोग
Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति का पुण्य दिन सूर्य उपासना के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन से यदि सूर्य उपासना आरंभ की जाए तो सोया भाग्य जाग जाता है। इसके अलावा सेहत बनी रहती है। सूर्य को जल का अर्घ्य देना भी एक वैज्ञानिक उपचार है। प्रातः स्नान के पश्चात सूर्य को ताम्रपात्र में जलभर कर अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य हमसे करोड़ाें मील दूर है। फिर इस क्रिया द्वारा हम कैसे सूर्य देव को जल अर्पण कर सकते हैं। और उसका फल भी किस तरह से पा सकते हैं। आइये आपको बताते हैं क्या कहता है इस पर सनातन धर्म विज्ञान।
सूर्यदेव को जल का अर्घ्य इस तरह करता है कार्य
सूर्यदेव को अर्घ्य भाैतिक एवं रासायनिक क्रिया है। प्रथम चरण में सूर्य को ताम्र पात्र से जल अर्पण दोनों हाथों से उपर उठाकर शरीर के उपर से किया जाता है। इस प्रकार अर्पण करने से सूर्य प्रकाश में पानी की धारा का बूंदों के द्वारा स्पेक्ट्रम बनता है। स्पेक्ट्रम के साताें रंग विचलित होकर शरीर पर पड़ते हैं। यह शरीर का उपचार करते हैं। इस प्रकार के स्पेक्ट्रम से शरीर रोगाणुओं से मुक्त होता है तथा यकृत से निकलने वाले रस पुष्ट होते हैं। किडनी से विसर्जन अवरोध दूर हाेते हैं तथा अमाशय से संबंधित रोगों का उपचार अपने आप हो जाता है। शरीर के सारे रोगों की जड़ होती है अपच।
इस क्रिया के द्वारा गैसीय विकृ्त शरीर को प्रभावित नहीं करती है और शरीर स्वस्थ बना रहता है। पानी में खड़े होकर सूर्य अर्घ्य देना सबसे अधिक लाभप्रद माना जाता है। स्पेक्ट्रम से प्राप्त अलग− अलग रंग की प्रकाश किरणें शरीर के नियत भाग को प्रभावित करती हैं। यह शरीर से कैंसर जैसे रोग को नष्ट करता है। कैंसर रोगियों को भी सोडियम रेंज की किरणाें से उपचारित किया जाता है। इस प्रक्रिया में शरीर के आन्तरिक तंत्रों को गति मिलती है। शरीर ओजमय बनता है।
इस तरह दें सूर्य को अर्घ्य
सूर्य देव को अर्घ्य देते समय घुटने टेक कर घुटनों के नीचे कुशा रखने का प्रावधान है। अर्घ्य देते समय ताम्रपात्र में लाल चंदन, लाल पुष्प और श्यामामक, ताण्डुल भी होना चाहिए। कुमकुम भी जल में डाल सकते हैं। इन पदार्थाें के कारण पराबैंगनी किरणाें का प्रभाव शरीर पर नहीं पड़ता है। सूर्य देव के प्रभाव से कुष्ठ रोग उत्पन्न नहीं हाेता है।
डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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