Marriage Rituals: विदाई के समय दुल्हन द्वारा चावल फेंकने की रस्म में छुपा है बड़ा राज, जानें इस रिवाज का कारण
Marriage Rituals: हिंदू धर्म में होने वाली शादी में कई रिवाज निभाए जाते हैं, इन्हीं में से एक रस्म विदाई के समय दुल्हन द्वारा चावल फेंकने की है। शादी की यह सबसे आखिरी रस्म होती है। इस रस्म को निभाने के बाद दुल्हन पीछे मुड़कर नहीं देखती है। इस रस्म के पीछे बेहद खास मान्यताएं जुड़ी हैं जो समृद्धि का कारक है।
विदाई के समय दुल्हन द्वारा चावल फेंकने की रस्म में छुपा है बड़ा राज
मुख्य बातें
- हिन्दू धर्म में शादी की आखिरी रस्म होती है चावल फेंकना
- परिवार की खुशहाली और समृद्धि से जुड़ा है यह खास रस्म
- इस रस्म को अदा करने के बाद दुल्हन पीछे मुड़कर नहीं देखती
Marriage Rituals: हिंदू धर्म में होने वाली शादियों में कई तरह की रीति-रिवाज और रस्म निभाई जाती है। इन सभी की अपनी-अपनी मान्यता और महत्व है। इन सभी में एक रस्म विदाई के समय दुल्हन द्वारा थाली से चावल पीछे की ओर फेंकना भी शामिल है। शादी में सभी रस्मों के बाद और डोली में बैठने से ठीक पहले यह रस्म दुल्हन तब निभाती है, जब वह अपना घर छोड़ रही होती है। इस रस्म को अदा करने के बाद वह पीछे मुड़कर नहीं देखती। रस्म आपको अजीब भले लग सकती है, लेकिन लड़की की विदाई के समय निभाई जाने वाली इस रस्म का काफी महत्व है। आइये इस रस्म के बारे में जानें।
इस रस्म के पीछे खास मान्यताएं जुड़ी हैं जो समृद्धि का कारक हैं। शादी में चावल फेंकने की रस्म आखिरी रस्म होती है। विदाई के दौरान दुल्हन घर की दहलीज पार करती है तो वह अपनी मुठ्ठी में चावल भरकर पीछे की ओर फेंकती है, जिसे लड़की के माता-पिता या घर का कोई बड़ा सदस्य इकट्ठा कर लेता है।
शास्त्रों में चावल को घर में सुख-समृद्धि और संपन्नता का प्रतीक माना गया है। दुल्हन घर छोड़ते समय चावल के जरिए अपने परिवार के खुशहाल रहने की कामना करती है। इसे सहजकर रखा जाता है, जो उन्नति का कारक होता है।
बेटियों को घर की लक्ष्मी माना जाता है। मान्यता है कि, शादी के बाद जब वह घर छोड़ती है तो इसलिए चावल फेंकती है, जिससे उनके जाने के बाद भी घर में मां लक्ष्मी का वास बना रहे। उनके मायके में धन-दौलत की कमी न हो।
मान्यताओं के अनुसार, दुल्हन चावल फेंकने की ये रस्म पांच बार निभाती है। इसे पूरा करने के बाद वो पीछे मुड़कर नहीं देख सकती है। इन चावलों के जरिए वह अपने परिवार को दुआएं देकर जाती है।
एक मान्यता यह भी है कि, विदा होती लड़की इस रस्म से माता-पिता और परिवार को धन्यवाद कहती है। उसके परिवार ने बचपन से लेकर बड़े होने तक उनके लिए जो कुछ किया उसके लिए आभार व्यक्त करती है।
चावल से जुड़ी एक रस्म ससुराल में भी निभाई जाती है। जब पहली बार दुल्हन का गृह प्रवेश करती है तो वह चावल से भरा कलश अपने दाएं पैरों से गिराती है। मान्यता है कि, इससे जीवनभर के लिए घर में सुख-समृद्धि स्थिर हो जाती है।
(यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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