जगन्नाथ यात्रा 2023: पुरी में रथ यात्रा से पहले नवकलेबर उत्सव क्या होता है, क्यों हर 12 साल में बदली जाती हैं जगन्नाथ मंदिर की मूर्तियां

Jagannath Rath Yatra 2023 Date, Navakalevara Festival in Hindi: पुरी जगन्नाथ धाम में होने वाली ऐतिहासिक रथ यात्रा से कुछ सप्ताह पहले नवकलेबर नाम के अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है जिसमें भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा को सुदर्शन चक्र के साथ पूरे रीति-रिवाज से प्रतिस्थापित किया जाता है। यहां जानें जगन्नाथ मंदिर के रहस्य, क्या होता है नवकलेबर उत्सव और पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा 2023 की डेट।

जगन्नाथ यात्रा 2023

Jagannath Rath Yatra 2023 Date: हिन्दू धर्म में चार धाम का वर्णन किया गया है जो कि बद्रीनाथ, द्वारिका, रामेश्वरम और पुरी जगन्नाथ हैं। पुरी के जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की काठ (लकड़ी) की प्रतिमाएं है। लकड़ी की मूर्तियों वाला ये देश का इकलौता मंदिर है। जगन्नाथ मंदिर में स्थापित प्रतिमा को बनाने के लिए एक विशेष तरह के पेड़ का प्रयोग किया जाता है, जिसे दारू ब्रह्मा वृक्ष कहा जाता है। यह बेहद दुर्लभ वृक्ष है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जब भगवान कृष्ण ने अपनी देह का त्याग किया तो उनका पूरा शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया लेकिन दिल लगातार धड़कता रहा। माना जाता है कि उनका हृदय आज भी भगवान जगन्नाथ की मूर्ति में है।

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हर 12 साल में क्यों बदली जाती हैं जगन्नाथ मंदिर की मूर्तियां

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पुरी जगन्नाथ मंदिर में स्थापित तीनों प्रतिमाएं हर 12 साल में बदली जाती हैं। जगन्नाथ मंदिर की प्रतिमाओं के निर्माण के लिए सही पेड़ खोजने का काम बेहद कठिन है। इसके लिए मंदिर के पुजारी पास के गांव काकटपुर के मंगला देवी मंदिर जाते हैं और देवी से उनकी मदद के लिए प्रार्थना करते हैं। देवी पुजारी के स्वप्न में आकर पेड़ का सही स्थान बताती है। इस तरह बनी मूर्ति को बदलने की प्रक्रिया भी बड़ी रोचक है। जिस वक्त मूर्तियां बदली जाती है, उस वक्त मंदिर के आस पास की बिजली काट दी जाती है और मंदिर में किसी को प्रवेश की अनुमति नहीं होती है। मान्यता के अनुसार मूर्ति बदलते समय पुजारी भगवान के दिल (ब्रह्म पदार्थ) को नई प्रतिमा के अंदर स्थापित करते हैं।

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