Jagannath Yatra 2024 Date: इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा कब निकाली जाएगी, जानिए कैसे शुरू हुई ये परंपरा
Jagannath Yatra 2024 Date: हिंदू धर्म में जगन्नाथ रथ यात्रा का विशेष महत्व माना जाता है। जो हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाती है। मान्यता है इस यात्रा में भाग लेने पर सौ यज्ञों के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। जानिए इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा कब निकाली जाएगी।

Jagannath Rath Yatra 2024 Date
Jagannath Rath Yatra 2024 Date: जगन्नाथ रथ यात्रा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है। जो हर साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाती है। इस यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ साल में एक बार गुंडिचा माता के मंदिर जाते हैं। रथ यात्रा से एक दिन पहले श्रद्धालुओं के द्वारा गुंडीचा मंदिर को अच्छे से धुला जाता है। इस परंपरा को गुंडीचा मार्जन के नाम से जाना जाता है। बता दें उड़ीसा राज्य के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ जी का मंदिर भारत के चार पवित्र धामों में से एक है। चलिए जानते हैं इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा कब निकाली जाएगी।
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जगन्नाथ रथ यात्रा 2024 में कब है (Jagannath Rath Yatra 2024 Date)
इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा 7 जुलाई को निकाली जाएगी। पंचांग अनुसार 7 जुलाई 2024 की सुबह 04:28 से 8 जुलाई 2024 की सुबह 05:01 तक आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि रहेगा।
पौराणिक कथा
जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी मान्यताओं अनुसार एक बार गोपियों ने माता रोहिणी से कान्हा की रास लीला के बारे में जानने का आग्रह किया। जिस समय ये चर्चा हो रही थी उस समय कान्हा की बहन सुभद्रा भी वहां मौजूद थीं। तब रोहिणी ने सुभद्रा को बाहर भेज दिया और उनसे कहा कि ध्यान रखना कि अंदर कोई न आए। कहते हैं इसी समय कृष्ण जी और बलराम सुभद्रा के पास पहुंचे और उनके दाएं और बाएं खड़े होकर अपनी माता की बातें सुनने लगे। कहते हैं इसी दौरान देव ऋषि नारद भी वहां पहुंचे। जब उन्होंने तीनों भाई-बहन को एक साथ देखा। तब नारद जी ने उन तीनों से उनके इसी रूप में दैवीय दर्शन देने का आग्रह किया। तब तीनों ने नारद की मुराद पूरी की और आज जगन्नाथ पुरी मंदिर में बलभद्र, सुभद्रा एवं कृष्ण जी के इसी रूप में दिव्य दर्शन होते हैं।
क्यों प्रतिवर्ष निकाली जाती है जगन्नाथ रथ यात्रा (Why Jagannath Rath Yatra Is Celebrated)
पद्मा पुराण के अनुसार एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने नगर देखने की इच्छा जताई। तब उनके भाई जगन्नाथ भगवान और बलभद्र ने अपनी बहन को रथ पर बिठाकर पूरा नगर दिखाया। इस यात्रा के समय वे अपनी मौसी के घर गए जहां पर उन्होंने 7 दिनों तक विश्राम किया। माना जाता है कि तभी से जगन्नाथ यात्रा निकालने की परंपरा शुरू हो गई।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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