Jaya Ekadashi Vrat Katha In Hindi: जया एकादशी के दिन जरूर पढ़ें ये पौराणिक कथा
Jaya Ekadashi Vrat Katha In Hindi: हिंदू धर्म में जया एकादशी व्रत बेहद शुभ फलदायी माना जाता है। कहते हैं जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की अराधना करता है उसके सारे सपने पूरे हो जाते हैं। यहां आप जानेंगे जया एकादशी की व्रत कथा।

Jaya Ekadashi Vrat Katha In Hindi
Jaya Ekadashi Vrat Katha In Hindi (जया एकादशी व्रत कथा): साल में आने वाली चौबीस एकादशी तिथियों में से जया एकादशी का सबसे ज्यादा महत्व माना जाता है। जो इस साल 8 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन व्रत उपवास रखने से भूत, प्रेत, और पिशाच जैसे रूपों से मुक्ति मिल जाती है। दक्षिण भारत में विशेष रूप से कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में, जया एकादशी को भूमि एकादशी और भीष्म एकादशी के रूप में भी मनाया जाता है। चलिए जानते हैं जया एकादशी व्रत की पौराणिक कथा।
Jaya Ekadashi Puja Vidhi In Hindi
जया एकादशी व्रत कथा (Jaya Ekadashi Vrat Katha)
जया एकादशी की व्रत कथा अनुसार एक बार स्वर्ग के देवता इंद्र देव की सभा में उत्सव चल रहा था जिसमें सभी देवता और संत आदि उपस्थित थे। इस उत्सव में उस दौरान गंधर्व गीत गा रहे थे तो वहीं गंधर्व कन्याएं नृत्य कर रही थीं। इन्हीं गंधर्वों में से एक माल्यवान नामक का गंधर्व था जो बहुत ही मधुर गीत गाता था। वहीं गंधर्व कन्याओं में एक पुष्यवती नाम की रूपवान नृत्यांगना भी थी। जब इस उत्सव में पुष्यवती और माल्यवान की एक-दूसरे पर नजर पड़ी तो दोनों अपने सुध-बुध खो बैठे। जिस कारण वह दोनों अपनी लय और ताल से भटक गए। ये देखकर देवराज इंद्र क्रोधित हो गए और उन्होंने उन दोनों को स्वर्ग से वंचित होकर पृथ्वी पर पिशाचों सा जीवन जीने का श्राप दे दिया।
इंद्रदेव द्वारा दिए गए श्राप के प्रभाव से वह दोनों प्रेत योनि को प्राप्त हुए और इसके बाद हिमालय के पर्वत पर एक वृक्ष पर रहते हुए अनेक कष्ट भोगने लगे। पिशाच जीवन अत्यंत दुखदायी था जिस कारण वो दुखी रहते थे। एक दिन माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को उन दोनों ने सिर्फ फलाहार किया था और रात में वे भगवान से प्रार्थना करते हुए अपनी भूल के लिए पश्चाताप कर रहे थे। ठंड की वजह से उन दोनों की मृत्यु हो गई क्योंकि उन्होंने जाने-अनजाने में ही सही लेकिन जया एकादशी का व्रत पूरा कर लिया था उससे उन्हें पिशाच योनि से मुक्ति मिल गई थी और इस तरह दोनों को फिर से स्वर्ग लोक की प्राप्ति हुई। तभी से जया एकादशी व्रत का महत्व बढ़ता चला गया।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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