Jhulan Yatra 2024: सावन में कब से शुरू होगी झूलन यात्रा, यहां जानिए सही तिथि और इसका महत्व

Jhulan Yatra 2024: झूलन यात्रा भगवान कृष्ण के भक्तों के द्वारा सावन के महीने में जन्माष्टमी आने से पहले निकाली जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं इस साल झूलन यात्रा कब निकाली जाएगी और इसका क्या महत्व है।

Jhulan Yatra 2024

Jhulan Yatra 2024

Jhulan Yatra 2024: हर साल झूलन यात्रा सावन महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से लेकर सावन महीने की पूर्णिमा तिथि के बीच में निकाली जाती है। ये यात्रा भगवान कृष्ण को समर्पित होती है। ये यात्रा भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं को याद करके निकाली जाती है। इसमें अलग- अलग कृष्ण की बाल लीलाओं का प्रदर्शन भी किया जाता है। कृष्ण भक्तों के लिए ये यात्रा बहुत ही खास मानी जाती है। इस पर्व में जे-धजे झूलों, गीत और नृत्य के प्रदर्शन किये जाते हैं। राधा और कृष्ण की प्यारी- प्यारी झांकी भी निकाली जाती है। आइए जानते हैं इस साल झूलन यात्रा कब से शुरू हो रही है।

Jhulan Yatra 2024 (कब से शुरू है झूलन यात्रा 2024)

झूलन यात्रा की शुरुआत सावन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से होती है। इस साल झूलन यात्रा की शुरुआत 16 अगस्त 2024 को शुक्रवार से होगी। वहीं इस यात्रा का समापन सावन महीने की पूर्णिमा तिथि के दिन होगी। ऐसे में इस साल इस यात्रा का समापन 19 अगस्त 2024 को सोमवार के दिन होगा।

झूलन यात्रा कहां- कहां निकाली जाती है

झूलन यात्रा भगवान कृष्ण को समर्पित होती है। ये यात्रा खासतौर पर कृ्ष्ण की नगरी मथुरा, वृंदावन, पुरी, मायापुर में निकाली जाती है। इस यात्रा में शमिल होने के लिए और इस भव्य उत्सव का आनंद लेने के लिए हजारों की संख्या में भक्त मथुरा और वृंदावन में आते हैं। इस यात्रा में भगवान कृष्ण और राधा रानी की मूर्तियों से वेदी से उतारकर सजे हुए झूले पर पूरी साज सिंगार के साथ सजाया जाता है। इस यात्रा का दृश्य बहुत ही मनमोहक होता है। भगवान को सभी भक्त झूला झूलाते हैं और अपने मंगल की कामना करते हैं। गौड़िया मठ, बांके बिहारी मंदिर और राधा-रमण मंदिर में ये पर्व बहुत ही भव्य तरीके से मनाया जाता है।

झूलन यात्रा का महत्व

वैष्णव धर्ण में झूलन यात्रा का बहुत ही विशेष महत्व है। ये यात्रा कृष्ण के अनुयायी द्वारा निकाली जाती है। इस यात्रा में कृष्ण और राधा की प्यारी- प्यारी झांकी निकाली जाती है और उनको झूले पर बैठाया जाता है। ये यात्रा चार दिन तक चलती है। इस दौरान भक्त कृष्ण और राधा को झूला झूलाते हैं और सुंदर- सुंदर कृष्ण की बाल लीलाओं का आनंद उठाते हैं। इस पर्व के द्वारा भगवान कृष्ण और उनके प्रकृति प्रेम को दर्शाया जाता है। इस पर्व संदेश देता है कि कैसे मानसून के मौसम में मौसम का आनंद ठंडी- ठंडी हवाओं में झूला झूल के लिया जा सकता है।
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जयंती झा author

बिहार के मधुबनी जिले से की रहने वाली हूं, लेकिन शिक्षा की शुरुआत उत्तर प्रदेश की गजियाबाद जिले से हुई। दिल्ली विश्वविद्यायलय से हिंदी ऑनर्स से ग्रेजुए...और देखें

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