Jitiya Puja Vidhi In Hindi: जितिया व्रत कैसे किया जाता है, यहां जानिए इसकी पूजा विधि स्टेप बाय स्टेप

Jitiya Puja Vidhi In Hindi: जितिया का व्रत माएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। इस व्रत में जीमूतवाहन की पूजा की जाती है। चलिए जानते हैं जितिया व्रत की पूजा विधि क्या है।

Jitiya Puja Vidhi In Hindi

Jitiya Puja Vidhi In Hindi (जितिया पूजा विधि): जितिया व्रत आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रहती हैं। छठ की तरह ही ये पर्व भी तीन दिन मनाया जाता है। जिसमें पहले दिन नहाय खाय की परंपरा निभाई जाती है। दूसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और तीसरे दिन व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन प्रदोष काल में महिलाएं जीमूत वाहन की पूजा करती हैं। चलिए जानते हैं जितिया व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।

जितिया पूजा विधि (Jitiya Puja Vidhi In Hindi

जितिया व्रत के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर ओंगठन की रस्म निभाती हैं। बिहार में इस रस्म को उठगन के नाम से भी जाना जाता है। इस रस्म को निभाने के बाद ही जितिया व्रत की शुरुआत की जाती है। बता दें जितिया व्रत की मुख्य पूजा पूजा प्रदोष काल में की जाती है। इस दिन महिलाएं पूजन स्‍थल को गोबर से लीपकर साफ करती हैं या पूजा के स्थान पर गंगाजल छिड़कर उसे शुद्ध कर लेती हैं। इसके बाद पूजा स्थल पर एक छोटा-सा तालाब बनाया जाता है और उसके पास एक पाकड़ की डाल भी खड़ी की जाती है। फिर तालाब के जल में कुशा से बनी जीमूतवाहन की मूर्ति स्‍थापित की जाती है। साथ ही मिट्टी और गाय के गोबर से चील और सियारिन की मूर्तियां बनाई जाती हैं। इसके बाद विधि विधान पूजा की जाती है। इसके बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है। अंत में आरती करके भोग लगाया जाता है।

जीवित्पुत्रिका व्रत विधि (Jitiya Vrat Vidhi In Hindi)

जितिया व्रत से एक दिन पहले नहाय खाय की परंपरा निभाई जाती है। इसके बाद व्रत के मुख्य दिन पर निर्जला व्रत रखा जाता है और शाम में जितिया की कथा सुनी जाती है। इसके बाद अगले दिन व्रत का पारण किया जाता है। जितिया व्रत पारण से पहले महिलाएं सूर्य को अर्घ्य देती हैं। इसके बाद ही भात, मरुआ की रोटी और नोनी का साग खाकर अपना व्रत खोलती हैं।
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