Jitiya Vrat 2023: 6 सितंबर को रखा जाएगा जितिया का व्रत, जान लें नहाय खाय की पूरी विधि
Jitiya Vrat 2023: जितिया व्रत का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। ये व्रत संतान की लंबी आयु और मंगल की कामना के लिए किया जाता है। इस व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना गया है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। आइए जानते हैं कब रखा जाएगा जितिया व्रत। नहाय खास कब है। यहां जानें सारी जानकारी।

Jitiya Vrat 2023
Jitiya Vrat 2023 Kab Hai: जितिया व्रत को जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत संतान की लंबी उम्र के लिए किया जाता है। इस व्रत को अधिकतर यूपी और बिहार,झारखंड के लोगों द्वारा मनाया जाता है। इस जिन व्रती महिलाएं पूरे दिन भूखे, प्यासे रहकर व्रत रखती हैं। जितिया का व्रत हर साल अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस साल जितिया का व्रत 6 सितंबर 2023 को शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। इस व्रत के दिन पहले छठ पूजा की तरह ही नहाय खाय किया जाता है। इस बार जितिया व्रत का नहाय खाय 5 सितंबर को किया जाएगा। आइए जानते हैं नहाय खाय विधि के बारे में।
जितिया व्रत नहाय खाय विधिहिंदू धर्म में ये सबसे कठिन व्रत में से एक माना जाता है। इस जितिया व्रत में छठ पूजा की ही तरह एक दिन पहले नहाय खाय किया जाता है। नहाय खाय से मतलब होता है कि इस दिन नहा धोकर पूजा करने के बाद ही भोजन ग्रहण किया जाए। नहाय खाय के बाद अगले दिन पूरे 24 घंटे तक निर्जला व्रत किया जाता है। उसके बाद तीसरे दिन जाकर इस व्रत का पारण होता है। जितिया के नहाय खाय के दिन व्रत महिला को सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। यदि आप किसी नदी में स्नान नहीं करने जा सकते तो पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर सकती हैं। उसके बाद सुबह में पूजा के समय खीरे और चने का भोग लगाकर उसे छत पर रख देना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ये भोजन चील व सियारिन के लिए रखा जाता है। उसके बाद नहाय खाय की शाम को पूजा के बाद व्रती महिला मरुआ के आटे का रोटी, नूनी साग आदि भोजन में कर सकती हैं। बिहार के कुछ इलाकों में नहाय खाय के दिन मछली का झोर और मरुआ रोटी खाने की परंपरा है। नहाय खाय के अगले दिन जब से ही अष्टमी तिथि का आरंभ होता है। जितिया का व्रत भी शुरू हो जाता है। तब से लेकर जब तक अष्टमी तिथि समाप्त नहीं होती ये व्रत चलता रहता है।
क्यों किया जाता है जितिया व्रतजितिया का व्रत संतान की लंबी आयु और मंगल कामना के लिए किया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार जो भी माता जितिया का व्रत करती हैं। उनके संतान पर कभी भी कोई संकट नहीं आता है। इस व्रत के प्रताप से संतान पर जो भी विपदा आने वाली होती है। वो टल जाती है। ऐसा भी कहा जाता है कि जितिया व्रत करने से संतान सुख की भी प्राप्ति होती है। लेकिन यह व्रत मुख्यतौर पर संतान की प्राप्ति के बाद ही किया जाता है।
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