Jitiya 2023 Aarti And Mantra:आज रखा जा रहा है जितिया व्रत, पूजा के समय करें इन खास मंत्रों का जाप

Jitiya Vrat 2023 Mantra :शास्त्रों में उल्लेख है कि जितिया का त्योहार महाभारत काल से मनाया जाता रहा है। इस व्रत के प्रभाव से बालक तेजस्वी, ऊर्जावान तथा विविध प्रतिभाओं से संपन्न बनता है। इसके अलावा नारायण स्वयं भक्त की संतान की रक्षा करते हैं। आइए जानते हैं जितिया व्रत की पूजा के समय किन मंत्रों का जाप करना चाहिए।

Jitiya Mantra

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Jitiya Vrat 2023: जितिया का व्रत हर वर्ष आश्विन महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस साल यह व्रत 6 अक्टूबर यानि आज रखा जा रहा है। जितिया में प्रदोष काल में पूजा का बहुत महत्व है। इस दिन शाम के समय आंगन में सभी महिलाओं द्वारा एकत्रित होकर जीमूतवाहन भगवान की पूजा की जाती है और उनकी कथा सुनी जाती है। जितिया का व्रत स्त्रियां संतान की लंबी आयु और उनके जीवन में सुख, समद्धि के लिए करती हैं। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में जीतिया त्योहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। जितिया पर्व का उल्लेख शास्त्रों में महाभारत काल में ही मिलता है। व्रत के इस गुण की बदौलत बच्चे बुद्धिमान, और बहु-प्रतिभाशाली बनते हैं। साथ ही इससे बच्चे की उम्र भी लंबी होती है। इसके अलावा, नारायण स्वयं अपने भक्तों के बच्चों की रक्षा करते हैं। इसलिए जितिया व्रत का विशेष महत्व है। अगर आप भी जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु की कृपा पाना चाहते हैं तो जितिया व्रत के दिन पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप करें । यहां देखें मंत्र।

जितिया मंत्र ( Jitiya Vrat 2023 Mantra)

सर्व मंगल मांग्लयै शिवे सर्वार्थ साधिके |

शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ||

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।

सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।

वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम् ।

देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ।।

जितिया की आरती

ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।

त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥ ओम जय कश्यप...

सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।

दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥ ओम जय कश्यप....

सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।

अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥ ओम जय कश्यप...

सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।

विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥ ओम जय कश्यप...

कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।

सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥ ओम जय कश्यप...

नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।

वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥ ओम जय कश्यप...

सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।

हर अज्ञान मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥ ओम जय कश्यप...

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