Jitiya Vrat Dos And Dont 2024: जितिया व्रत के दिन क्या करें क्या नहीं, जानिए इस व्रत का नियम

Jitiya Vrat Dos And Dont 2024: हिंदू धर्म मे जितिया व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। इस व्रत को लेकर शास्त्रों में खास नियम बताए गए हैं। ऐसे में आइए जानें जितिया व्रत के दिन क्या करें और क्या नहीं।

Jitiya Vrat Dos And Dont 2024

Jitiya Vrat Dos And Dont 2024

Jitiya Vrat Dos And Dont 2024: जितिया का व्रत तीन दिन तक चलता है। ये व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। व्रत के तीसरे दिन जितिया व्रत का पारण किया जाएगा। इस साल जीवित्पुत्रिका व्रत 24 और 25 सितंबर 2024 को रखा जा रहा है। जितिया का व्रत माताएं अपने बच्चों की समृद्धि और उन्नत जीवन के लिए निर्जला रहकर करती हैं। जितिया का व्रत रखने से व्रती महिलाओं की संतान को सुख, समृद्धि की प्राप्ति होती है। जितिया व्रत के दिन शाम के समय जीमूतवाहन की पूजा की जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि जितिया व्रत के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं। जानें नियम।

Jitiya Vrat Dos (जितिया व्रत के दिन क्या करें)

  • जितिया व्रत के दिन निर्जला व्रत रखें।
  • इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  • जितिया व्रत के दिन बिना जल ग्रहण किये जीमूतवाहन की पूजा करें।
  • जितिया व्रत शुरू करने से पहले अच्छी मात्रा में जल ग्रहण कर लें।
  • व्रत के दौरान मन, वचन और कर्म को शुद्ध रखना चाहिए।

Jitiya Vrat Dont's (जितिया व्रत के दिन क्या ना करें)

जितिया व्रत के दिन भूलकर भी अन्न और जल ग्रहण नहीं करना चाहिए।
इस दिन तामसिक भोजन ना करें और ना ही मदिरा का सेवन करें।
जितिया व्रत के दिन चाकू, छूरी का प्रयोग ना करें।
इस दिन संभव हो सके तो बाहन जानें से बचें और घर का भी काम अधिक ना करें।
इस व्रत को धारण करने वाली महिलाओं को व्रत के दिन बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए।

Jitiya Vrat Niyam (जितिया व्रत नियम)

जितिया का व्रत बहुत ही कठिन होता है। इस व्रत का पालन भी नियमपूर्वक किया जाता है। जितिया का व्रत पहले सास के द्वारा किया जाता है। उसके बाद वो ये व्रत अपनी बहू को सौंप देती हैं। इस व्रत को बीच में नहीं छोड़ा जाता है। यदि ये व्रत बीच में छूट जाए तो आप दुबारा इस व्रत को नहीं कर सकते हैं। इस व्रत को शुरू करने से पहले एक दिन नहाय खाय की रस्म की जाती है। इसके साथ ही ब्रह्म मुहूर्त में ओंगठन किया जाता है। नहाय-खाय के दिन अलग- अलग तरह के पारंपरिक भोजन बनाकर खाए जाते हैं।
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जयंती झा author

बिहार के मधुबनी जिले से की रहने वाली हूं, लेकिन शिक्षा की शुरुआत उत्तर प्रदेश की गजियाबाद जिले से हुई। दिल्ली विश्वविद्यायलय से हिंदी ऑनर्स से ग्रेजुए...और देखें

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