Jitiya Vrat Ki Kahani: जितिया व्रत कथा से जानिए क्यों मनाया जाता है ये पावन पर्व
Jitiya Vrat Katha In Hindi: जितिया व्रत महिलाए संतान की लंबी आयु और खुशहाल जीवन की कामना से रखती हैं। ये व्रत हर साल आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी को पड़ता है। जितिया व्रत में जीमूतवाहन की पूजा की जाती है। यहां जानिए जीमूतवाहन और गरुड़ की कहानी।
Jitiya Vrat Katha In Hindi: जीवित्पुत्रिका व्रत कथा
Jitiya Vrat Katha In Hindi (जितिया व्रत कथा): आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखे जाने का विधान है। इस बार ये व्रत 6 अक्टूबर को पड़ा है। ये व्रत तीन दिनों तक चलता है लेकिन इसका सबसे महत्वपूर्ण दिन दूसरा माना जाता है। इस दिन महिलाएं कठोर निर्जला व्रत रखती हैं और प्रदोष काल के समय जीमूतवाहन की विधि विधान पूजा कर व्रत कथा सुनती हैं (Jivitputrika Vrat Katha In Hindi)। यहां जानिए जितिया व्रत की कथा (Jivitputrika Vrat Katha)।
Jitiya Vrat Katha In Hindi (जितिया व्रत कथा)
जितिया व्रत की पौराणिक कथा अनुसार जीमूतवाहन गंधर्व के बुद्धिमान परोपकारी राजा थे। लेकिन वे शासक बनने से संतुष्ट नहीं थे जिस वजह से उन्होंने अपने भाइयों को राज्य की सभी जिम्मेदारियां दे दीं और अपने पिता की सेवा के लिए जंगल में चले गए। जीमूतवाहन जब एक दिन जंगल में भटक रहे थे तो उन्हें एक बुढ़िया विलाप करती हुई मिली। उन्होंने बुढ़िया से उसके दुख का कारण पूछा। इस पर उसने बताया कि वह सांप के परिवार से है और उसका एक ही बेटा है। एक शपथ के अनुसार हर दिन एक सांप पक्षीराज गरुड़ को चढ़ाया जाता है और आज उसके ही बेटे का नंबर था।
जिमूतवाहन ने बुढ़िया को आश्वासन दिया कि वह उनके बेटे को जीवित वापस लेकर आएंगे। तब वह खुद गरुड़ का चारा बनकर चट्टान पर लेट जाते हैं। तब गरुड़ आता है और लाल कपड़े से ढंके हुए जिमूतवाहन को पकड़कर चट्टान पर चढ़ जाता है। गरुड़ को हैरानी होती है कि जिसे उसने पकड़ा है वह एकदम चुपचाप है और कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं दे रहा है। तब वह जिमूतवाहन से उनके बारे में पूछता है। गरुड़ जिमूतवाहन की वीरता और परोपकार से काफी प्रसन्न होते हैं और सांपों से कोई और बलिदान न लेने का वादा करते हैं। कहते हैं तभी से ही संतान की लंबी उम्र और कल्याण के लिए जितिया व्रत मनाया जाने लगा।
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