jitiya vrat vidhi: जितिया व्रत कैसे किया जाता है,जानिए इसकी पूरी विधि
jitiya vrat vidhi: जितिया व्रत का सनातन परंपरा में बहुत महत्व है। इस व्रत जिवित्पुत्रिका के नाम से भी जाना जाता है। जितिया का व्रत सुहागिन स्त्रियों द्वारा किया जाता है। इस व्रत को संतान की लंबी आयु के लिए किया जाता है। ये व्रत पूरी तरह से निर्जल रहकर किया जाता है। आइए जानते हैं जितिया व्रत कैसे करें। इसकी विधि के बारे में।
jitiya vrat vidhi
jitiya vrat vidhi: हर साल जितिया का व्रत आश्विम महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस व्रत को करने से संतान को दीर्घायु का वरदान प्राप्त होता है। इस साल ये व्रत आज यानि 6 अक्टूबर को रखा जा रहा है। इस व्रत को पूरे विधि- विधान से किया जाा है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी माताएं इस व्रत को पूरे विधि- विधान के साथ करती हैं उनकी संतान पर कभी कोई संकट नहीं आता है। इस व्रत को करने से संतान की बुद्धि का भी विकास होता है। इस दिन माताएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शाम के समय जीमूतवाहन भगवान की पूजा करती हैं। इस व्रत की शुरुआत सप्तमी तिथि से ही हो जाता है पर इसका समापन नवमी तिथि पर होता है। आइए जानते हैं जितिया व्रत विधि के बारे में।
जितिया व्रत विधि ( jitiya vrat vidhi)
मान्यताओं के अनुसार जितिया व्रत के दिन भगवान जीमूतवाहन भगवान की पूजा की जाती है। इस दिन प्रदोष काल में पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। सुबह उठकर स्नान करने के बाद महिलाएं साफ कपड़े पहनती हैं और व्रत रखती हैं। पूजा के लिए कुशी से बनी भगवान जीमूतवाहन की मूर्ति को एक चौकी पर स्थापित किया जाता है। धूप, दीप, फल, फूल आदि। भगवान को अर्पित किये जाते हैं। इसके अलावा, सियारों और चील की मूर्ति को गाय के गोबर से लीपा जाता है और फिर मूर्ति पर लाल सिन्दूर लगाया जाता है। पूजा (जितिया व्रत पूजा) करने के बाद भगवान जीमूतवाहन और जितिया व्रत की कथा सुनी जाती है।
जितिया व्रत महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जीवित्पुत्रिका व्रत विवाहित महिलाएं पुत्र प्राप्ति और दीर्घायु के लिए रखती हैं। इस दिन लोग 24 घंटे का उपवास रखते हैं और कुछ भी नहीं खाते-पीते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो महिलाएं यह व्रत रखती हैं उनके बच्चे जीवन में बहुत तरक्की करते हैं। इसके अलावा, वे लंबे समय तक जीवित भी रहते हैं।
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