Joshimath: पल-पल गर्त में गिर रहा जोशीमठ, क्या आप जानते हैं इस पवित्र स्थान का यह पहलू, नाम में ही बसा है अध्यात्म

Joshimath News: जोशीमठ जमीन धंसने की खबरों के कारण है सुर्खियों में। सनातन धर्म में प्रमुख स्थल है जोशीमठ। आदि गुरु शंकराचार्य की है तपोस्थली जोशीमठ। स्वयं आदिगुरु शंकराचार्य ने की थी यहां मठ की स्थापना। धौलीगंगा और अलकनंदा नदियों का यहां होता है पवित्र संगम। भक्त प्रहलाद ने भी की थी यहां भगवान नरसिंह का क्रोध शांत करने के लिए तपस्या।

Joshimath

जोशीमठ, उत्तराखंड

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
− हिमालय की वादियों में बसा है जोशीमठ− आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी स्थापना− धौलीगंगा और अलकनंदा का संगम स्थल

Joshimath News: हिमालय की पहरेदारी में बसा जोशीमठ। बर्फ की चादर से लिपटे पहाड़, प्रकृति की शांत तबियत, नीला आसमान, कभी बादलों का आवरण तो कभी गुनगुनी धूप का आनंद। पहाड़ों से बहते झरने, जैसे अशांत मन भी यहां आकर लगता हो चहकने। आत्मा का ज्ञान यानी अध्यात्म के परमानंद काे प्राप्ति करने का सहज, सरल, सुलभ स्थल लेकिन आज प्रकृति के किसी अनजान गुस्से को दर्शा रहा है। जमीन धंसने के कारण लगातार इन दिनों सुर्खियों में बना जोशीमठ, अब तक अपने शांत स्वभाव की तरह ही खबरों की भीड़ से दूर ही रहता था लेकिन धरा की कंपकंपाहट और दरारों ने इसे शायद अशांत होती प्रकृति का आईना बनाकर इन दिनों प्रस्तुत कर दिया है।

उत्तराखंड में नर और नारायण पर्वतों के बीच बसे जोशीमठ का इतिहास उतना ही प्राचीन है जितना ही आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा पुनः धर्म की स्थापना का शुभ कर्म है। आइये आज आपको इस आध्यात्मिक क्षेत्र के सनातन इतिहास की जानकारी देते हैं।

आदिगुरु शंकराचार्य से जुड़ा है इतिहास

जोशीमठ का एक नाम ज्योर्तिमठ भी है। उत्तराखंड का एक प्रमुख नगर है ये। हरिद्वार− बद्रीनाथ के मार्ग के मध्य स्थित जोशीमठ आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रयासरत लोगों की विशेष पसंद रहा है। उत्तराखंड में जिस स्थान पर अलकनंदा और धौलीगंगा का संगम होता है, उस स्थान पर ही जोशीमठ स्थित है। आत्मा का ज्ञान जिसे प्राप्त करना होता है वो यहां आकर ध्यान की अलौकिक ऊर्जा से स्वयं को उर्जित करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ध्यान के लिए उपयुक्त इस स्थान को सबसे पहले किसने जाना था। आदिगुरु शंकराचार्य ने स्वयं यहां पर मठ की स्थापना की थी।

Shimla Famous Temples: टूरिस्ट स्पॉट के साथ शिमला में हैं कई प्राचीन मंदिर, दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु

सनातन धर्म की पुनः स्थापना के लिए निकले अद्वेत सिद्धांत के प्रचारक आदिगुरु शंकराचार्य जिन्हें भगवान शंकर का अंश अवतार भी कहा जाता है, उन्होंने चार मठों की स्थापना अपने जीवनकाल में की थी। उन्हींं में से एक जोशीमठ भी है। कहा जाता है कि यहां स्वयं आदिगुरु ने ध्यान के द्वारा ज्ञान की प्राप्ति की थी। जोशीमठ की स्थापना करने के बाद उन्होंने यहां की गद्दी अपने शिष्य टोटका को सौंप दी थी।

एक मान्यता इस क्षेत्र को लेकर इस समय से पूर्व की भी जुड़ी है। बताया जाता है कि जब हिरण्यकश्यप का संहार कर भगवान विष्णु नरसिंह अवतार में अत्यंत क्रोधित थे तो उनका क्राेध शांत करने के लिए भक्त प्रहलाद ने मां लक्ष्मी के कहने से यहां तपस्या की थी। जिसके बाद भगवान का क्रोध शांत हुआ था।

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

लेटेस्ट न्यूज

टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल author

अक्टूबर 2017 में डिजिटल न्यूज़ की दुनिया में कदम रखने वाला टाइम्स नाउ नवभारत अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। अपने न्यूज चैनल टाइम्स नाउ नवभारत की सोच ए...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited