Jyeshtha Amavasya 2024: कब है ज्येष्ठ महीने की अमावस्या, जानिए सही तिथि और महत्व

Jyeshtha Amavasya 2024: हर महीने की अमावस्या तिथि अपना एक खास महत्व होता है। अमावस्या पर गंगा स्नना और दान का विधान है। ऐसे में आइए जानते हैं ज्येष्ठ महीने की अमावस्या कब है और इसके महत्व के बारे में।

Jyeshtha Amavasya

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Jyeshtha Amavasya 2024: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। इस दिन गंगा स्नान और पितरों का तर्पण किया जाता है। पितरों के श्राद्ध कर्म और तपर्ण के लिए अमावस्या की तिथि सबसे उत्तम मानी जाती है। हर अमावस्या का अपना अलग- अलग महत्व होता है, लेकिन ज्येष्ठ मास की अमावस्या कई मायनो में बहुत खास मानी जाती है। इस दिन शनि जयंती, वट सावित्री जैसे पर्व मनाये जाते हैं। ज्येष्ठ अमावस्या पर भगवान विष्णु और शनिदेव की पूजा की जाती है। इस दिन शनिदेव की पूजा करने से साधक को शनि दोषों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं कब है ज्येष्ठ अमावस्या और इसका महत्व।

Jyeshtha Amavasya 2024 (ज्येष्ठ अमावस्या डेट 2024)

हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत 6 जून 2024 को रखा जाएगा। इस दिन पितरों की पूजा करने से और ब्राह्मण भोजन करवाने से पितरों का आशीर्वाद सदा परिवार पर बना रहता है।

Jyeshtha Amavasya 2024 Shubh Muhurat (ज्येष्ठ अमावस्या शुभ मुहूर्त 2024)

इस साल ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि की शुरुआत 5 जून की रात को 7 बजकर 54 मिनट से शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन 6 जून को शाम 6 बजकर 7 मिनट पर होगा। ऐसे में अमावस्या का व्रत 6 जून को रखा जाएगा। इस दिन गंगा स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 4 बजे से लेकर 7 बजे तक रहेगा। पितृ पूजा के लिए सुबह 11 बजकर 30 मिनट से लेकर दोपहर 2 बजे तक रहेगा। इस दिन शनिदेव की पूजा शाम 6 बजे से लेकर रात 9 बजे तक कर सकते हैं।

Jyeshtha Amavasya Puja Vidhi (ज्येष्ठ अमावस्या पूजा विधि)

ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सुबह उठकर गंगा स्नान करें।
उसके बाद सूर्य देवता को जल अर्पित करें।
इस दिन पितरों का तर्पण करें और जल में काले तिल को प्रवाहित करें।
फिर पीपल के पेड़ की पूजा करें और 11 बार परिक्रमा करें।
ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि देव और वट वृक्ष की पूजा भी की जाती है।

Jyeshtha Amavasya Importance (ज्येष्ठ अमावस्या महत्व)

ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि बहुत सारे कारणों की वजह से बहुत खास मानी जाती है। इस दिन शनि जंयती मनाई जाती है। ज्येष्ठ अमावस्या पर ही शनि देव का जन्म हुआ था। इस दिन न्याय के देवता शनि देव की विधिवत पूजा की जाती है। इसके साथ इस दिन वट सावित्री का व्रत भी किया जाता है। वट सावित्रि के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। इस दिन काले रंग के वस्त्र, जूते, चप्पल, काला छाता दान करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है।
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