Amavasya Katha In Hindi: बड़ अमावस्या की संपूर्ण कथा यहां देखें

Bar (Jyeshtha) Amavasya Vrat Katha in Hindi (बड़ अमावस्या व्रत कथा हिंदी | ज्येष्ठ अमावस्या व्रत कहानी): ज्येष्ठ अमावस्या व्रत वाले दिन पीपल के पेड़ की पूजा जरूर करनी चाहिए। इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व माना जाता है। ज्येष्ठ अमावस्या को बड़ा अमावस्या (Bad Amavasya 2023) भी कहते हैं। ज्येष्ठ अमावस्या व्रत रखने वाले इस पावन कथा को पढ़ना बिल्कुल भी न भूलें।

Jyeshtha Amavasya Vrat Katha

Jyeshtha Amavasya Vrat Katha

Bad (Jyeshtha) Amavasya Vrat Katha in Hindi 2023, Jyeshtha Amavasya 2023 Vrat Katha, Kahani, Story in Hindi (ज्येष्ठ अमावस्या व्रत कथा हिंदी में, बड़ अमावस्या व्रत कथा): हिंदू धर्म में ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पितरों की शांति के लिए किए जाने वाले कर्मकांड के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व होता है। कहते हैं जो व्यक्ति इस दिन अपने पितरों के नाम से पिंड दान और तर्पण करता है उसके ऊपर से पितृदोष का अशुभ प्रभाव खत्म हो जाता है। कई लोग अमावस्या तिथि पर व्रत भी रखते हैं। इस दिन व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होने की मान्यता है। यहां जानिए ज्येष्ठ अमावस्या (बड़ अमावस्या) की व्रत कथा।

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Bad Amavasya Vrat Katha in Hindi 2023

ज्येष्ठ अमावस्या व्रत कथा के अनुसार, एक गरीब ब्राह्मण परिवार था। जिसमें पति-पत्नी और उसकी एक पुत्री साथ रहती थी। उनकी पुत्री समय के साथ-साथ धीरे-धीरे बड़ी होने लगी। उस पुत्री में बढ़ती उम्र के साथ सगुणों का विकास हो रहा था। वो कन्या दिखने में बहुत सुंदर, संस्कारवान और गुणवान थी लेकिन गरीब होने की वजह से उसका विवाह नहीं हो पा रहा था।

एक दिन उस गरीब ब्राह्मण के घर एक साधु महाराज पधारें। साधु उस कन्या की सेवाभाव से काफी प्रसन्न हुए और उन्होंने कन्या को लंबी आयु का आशीर्वाद दिया लेकिन साथ में साधु महाराज ने ये भी कहा कि इस कन्या के हाथ में विवाह रेखा नहीं है।

तब ब्राह्मण पति-पत्नी ने साधु से अपनी पुत्री का विवाह करने का उपाय पूछा। साधु महाराज ने कुछ देर विचार किया इसके बाद अपनी अंतर्दृष्टि में ध्यान करके बताया कि यहां से कुछ ही दूरी पर एक गांव में सोना नाम की एक धोबिन महिला रहती है जो बहुत ही संस्कार संपन्न और पति परायण है।

यदि ये कन्या उस धोबिन की सच्चे दिल से सेवा करे और धोबिन महिला इसकी शादी में अपने मांग का सिंदूर लगा दे, तो इस कन्या का विवाह हो जाएगा, तो इस कन्या का वैधव्य योग मिट जाएगा।

साधु महाराज की बात सुनकर ब्राह्मणी ने अपनी बेटी को धोबिन की सेवा करने के लिए भेज दिया। अगले दिन से ही कन्या सुबह उठ कर उस धोबिन के घर जाकर उसके घर का सारा काम करके वापस लौट आई। लेकिन उस कन्या ने ये बात धोबिन को पता नहीं चलने दी। वो सुबह-सुबह सभी के सोने के समय ही काम करके वापस लौट आती।

एक दिन सोना धोबिन अपनी बहू से पूछती है कि, तुम तो सुबह ही उठकर सारे काम कर लेती हो और मुझे पता ही नहीं चलता। बहू ने कहा: मां जी, मैंने सोचा कि आप ही सुबह उठकर सारे काम कर लेती हैं। मैं तो देर से उठती हूं। यह सब जानकार दोनों सास-बहू चिंता में पड़ गईं और घर की निगरानी करने लगी कि कौन है जो सुबह ही घर का सारा काम करके चला जाता है।

कई दिनों के बाद धोबिन ने उस कन्या को पकड़ लिया। उसने देखा कि मुंह ढके अंधेरे में घर में आती है और सारे काम करने के बाद चली जाती है। जब वह जाने लगी तो सोना धोबिन उससे पूछने लगी कि आप कौन हैं और इस तरह छुपकर मेरे घर की चाकरी क्यों कर रही हैं?

तब कन्या ने साधु द्वारा कही गई सारी बात धोबिन को बता डाली। सोना धोबिन पति परायण थी, अतः उसमें तेज था। वह उस कन्या की सहायता करने के लिए तैयार हो गई, सोना धोबिन का पति थोड़ा अस्वस्थ थे। उसने अपनी बहू से अपने लौट आने तक घर पर ही रहने को कहा।

सोना धोबिन ने जैसे ही अपने मांग का सिन्दूर उस कन्या को लगाया, वैसे ही उसका पति मर गया। सोना धोबिन उस दिन घर से बिना कुछ खाए पिए ही चली थी, यह सोचकर कि रास्ते में कहीं पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसकी परिक्रमा करके ही जल ग्रहण करेगी।

जिस दिन ये घटना हुई उस दिन सोमवती अमावस्या थी। ब्राह्मण के घर मिले पूए-पकवान की जगह उस धोबिन ने ईंट के टुकड़ों से 108 बार भंवरी देकर 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की और उसके बाद जल ग्रहण किया। ऐसा करते ही उसका पति जीवित हो उठा।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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