jyesthat purnima 2024: कब रखा जाएगा ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत, यहां जानें डेट और महत्व
jyesthat purnima 2024: सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। ये तिथि गंगा स्नान और दान के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। ऐसे में आइए जानें ज्येष्ठ पूर्णिमा कब है और महत्व के बारे में।
jyesthat purnima 2024
jyesthat purnima 2024: हर पूर्णिमा तिथि का अपना खास महत्व होता है, लेकिन ज्येष्ठ मास में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि विशेष होती है। इस दिन गंगा स्नान और दान किया जाता है। ज्येष्ठ के महीने में गर्मी बहुत होती हैं। इस कारण इस महीने में जल दान करना बहुत शुभकारी होता है। पूर्णिमा पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म भी किये जाते हैं। कई जगहों पर ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा पर वट सावित्री का व्रत भी किया जाता है। इस दिन चंद्रमा और भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है। इस दिन श्री हरि माता लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को सुख, समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानें इस साल कब है ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा।
jyesthat purnima 2024 (ज्येष्ठ पूर्णिमा 2024 डेट )
हिंदू पंचांग के अनुसार इस ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 21 जून को सुबह 6 बजे हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 22 जून को सुबह 5 बजकर 7 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा 21 जून को मनाई जाएगी।jyesthat purnima Puja Vidhi (ज्येष्ठ पूर्णिमा पूजा विधि)
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर गंगा स्नान करें।उसके बाद माता लक्ष्मी और विष्णु जी की मूर्ति स्थापित करें।
फिर उन्हें अक्षत,चंदन, पीले फूल अर्पित करें।
इस दिन आप पीपल के पेड़ में एक लौटा जल भी चढ़ा सकते हैं।
यदि संभव हो तो पितरों का तर्पण करें।
इस शाम के समय में चंद्र देवता को अर्घ्य दें और मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं।
खीर का भोग लगाने के बाद उसके प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
jyesthat purnima Importance (ज्येष्ठ पूर्णिमा महत्व)
सनातन परंपरा में ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को बहुत ही खास माना गया है। इस खासतौर पर लोग गंगा जल भरकर अमरनाथ की यात्रा के लिए निकलते हैं। इस महीने में बहुत गर्मी होती हैं। इस कारण इस मास में जल्द की बर्बादी नहीं करनी चाहिए और राहगीरों को पानी पिलाना चाहिए। इस मास में जल का दान करना बहुत लाभकारी होता है। इसके साथ ही पूर्णिमा पर छाता, पंखा आदि चीजों का दान भी करना चाहिए। पूर्णिमा पर पीपल पेड़ की पूजा करने से रुका हुआ धन वापस आने की संभावना बनती है। पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की पूजा करने से उनकी कृपा सदा साधक पर बनी रहती है। देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (spirituality News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |
TNN अध्यात्म डेस्क author
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