Kaal Bhairav Jayanti 2022: इस दिन मनाया जाएगा महादेव के रौद्र रूप काल भैरव का जन्मोत्सव, पूजा से भय और कष्ट होंगे दूर
काल भैरव जयंती मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होती है। मान्यता है कि, इसी दिन भगवान शिवजी के उग्र रूप से काल भैरव का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को काल भैरव के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन काल भैरव की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति सभी तरह के कष्टों से मुक्त रहता है।
ऐसे करें काल भैरव की पूजा
मुख्य बातें
- भगवान शिव के क्रोध से हुआ था काल भैरव का अवतरण
- मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी को होती है काल भैरव जयंती
- काल भैरव की पूजा से भय, पीड़ा और समस्या होती है दूर
Kaal Bhairav Jayanti 2022 Date Puja Vidhi in Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव की जयंती के रूप में मनाया जाता है। भगवान काल भैरव को शिवजी का पांचवा अवतार कहा जाता है। जोकि रौद्र, उग्र और क्रोधित रूप है। काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति भय, दुख, कष्ट और दरिद्रता से दूर रहता है। इस साल काल भैरव जयंती बुधवार 16 नवंबर 2022 को पड़ेगी। इसे भैरव अष्टमी, भैरव जयंती, कालाष्टमी और काल भैरव अष्टमी भी कहा जाता है। जानते हैं इस दिन कैसे करें विधि-विधान से भैरवनाथ जी की पूजा।
काल भैरव जंयती शुभ मुहूर्त
काल भैरव जयंती हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह (माघ) के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को होगी।
कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि का आरंभ- बुधवार 16 नवंबर 2022 सुबह 05 बजकर 49 मिनट से शुरू होगा।
कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि की समाप्ति- गुरुवार 17 नवंबर 2022 सुबह 07 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगा।
भैरवनाथ की पूजा विधि
काल भैरव जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करें और साफ कपड़े पहन लें। फिर भगवान शिव और माता पार्वती के साथ भैरवनाथ की भी पूजा करें। भैरवनाथ को हल्दी का तिलक लगाएं और फूल चढ़ाएं। पूजा में इमरती, पान, नारियल आदि चीजों का भोग अर्पित करें। इसके बाद एक चौमुखी दीपक जलाएं। पूजा के आखिर में काल भैरव और भगवान शिव की आरती करें। इस दिन शिव चालीसा का पाठ करना उत्तम होता है। साथ ही बटुक भैरव पंजर कवच का पाठ करना भी फलदायी होगा। काल भैरव का वाहन काला कुत्ता होता है और इनके हाथ में एक छड़ी भी होती है।
काल भैरव की पूजा में इन मंत्रों का करें जाप
काल भैरव मंत्र
धर्मध्वजं शङ्कररूपमेकं शरण्यमित्थं भुवनेषु सिद्धम्।
द्विजेन्द्र पूज्यं विमलं त्रिनेत्रं श्री भैरवं तं शरणं प्रपद्ये।।
काल भैरव गायत्री मंत्र
ओम शिवगणाय विद्महे।
गौरीसुताय धीमहि।
तन्नो भैरव प्रचोदयात
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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