Kabirdas Jayanti 2024: कबीर दास की जयंती पर पढ़ें उनके ये प्रेरक प्रसंग, जीवन को मिलेगी नई दिशा
Kabirdas Jayanti 2024: कबीर दास हिंदी साहित्य के भक्तिकाल के सबसे प्रमुख कवियों में से एक थे। कबीर दास के दोहे आज भी समाज में प्रसांगिक हैं। आइए यहां पढ़ें कबीर दास के प्रेरक प्रसंग।
Kabirdas Jayanti 2024: कबीर दास की जयंती हर साल ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा तिथि पर मनाई जाती है। इस साल कबीर दास जयंती 22 जून 2024 को शनिवार के दिन मनाई जाएगी। कबीर दास जयंती हर साल बहुत ही धूमधाम के साथ मनाई जाती है। संत कबीर दास भक्तिकाल से प्रसिद्ध कवियों में से एक थे। इनकी रचनाओं ने ना केवल साहित्य में अपना योगदान दिया, बल्कि समाज कल्याण में भी इनकी रचनाएं बहुत कारगर सिद्ध हुईं हैं। कबीर दास रचनाकार के साथ- साथ एक समाज सुधारक भी थे। उनकी लेखनी आज भी समाज में प्रासंगिक हैं। कबीर ने अपनी रचनाओं में समाज में व्यापत कुरीतियों को बखूबी दर्शाया है। आइए यहां पढ़ें संत कबीर दास जी के कुछ प्रेरक प्रसंग।
कबीर के मृत्यु से जुड़ा प्रसंगसंत कबीर दास ने समाज में व्यापत फैली अनेक भ्रांतियों को अपने जीवन में तोड़ा है। उन्होंने अपना अंत समय काशी को छोड़कर मगहर का रास्ता चुना। कबीर ने अपना पूरा जीवन काशी में बिताया था। उस समय समाज में इस बात की मान्यता था कि जिस व्यक्ति का देह त्याग काशी में होता है। उसको सीधे स्वर्ग की प्राप्ति होती है, लेकिन कबीर ने इस भ्रांति को तोड़ने के लिए खुद अंत समय में काशी का त्याग करके उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के पास मगहर में जाकर शरीर त्याग किया। ऐसा माना जाता था कि मगहर में जिन लोगों का देह त्याग होता है वो नरक में जाते हैं। मगहर में जब कबीर का देह त्याग हो गया तो उनके हिंदू और मुस्लिम अनुयायियों ने जब उनका अंतिम संस्कार करने के लिए उनके शरीर से चादर उठाई तो उनको केवल वहां पर फूलों का ढेर पड़ा मिला। उसके बाद आधे फूल से हिंदूओं ने और आधे फूल से मुस्लिमों ने अपने- अमने रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार कर दिया। कबीर दास ने अपने अंत समय में भी अंधविश्वास को तोड़ने का कदम उठाया। उनकी इस बात से ये संकेत मिलता है कि व्यक्ति का कर्म अच्छा होना चाहिए और उसका मन शुद्ध होना चाहिए। फिर वो चाहे जहां भी मरे उसे स्वर्ग की ही प्राप्ति होगी।
सुखी गृहस्थ जीवन के लिए कबीन दास ने बताई ये खास बात
एक बार की बात संत कबीर दास प्रवचन दे रहे थे। जब प्रवचन समाप्त हुआ तब सभी लोग वहां से जाने लगे मगर एक व्यक्ति वहां पर बैठा ही रहा। कबीर समझ गए कि ये किसी बात को लेकर परेशान हैं। कबीर ने व्यक्ति से पूछा की क्यों परेशान हो। उस पर व्यक्ति ने बताया कि वो अपने गृहस्थ जीवन के ठीन से ना चल पाने के कारण बहुत परेशान हैं। उसका उसकी पत्नि से हर रोज वाद- विवाद होता रहता है। व्यक्ति ने कबीर से इस समस्या का समाधान पूछा।
व्यक्ति की बात सुनने के बाद कबीर ने कहा कि तुम अपनी पत्नि को एक दीपक जलाकर लाने को कहो। अपनी पत्नि ने जलता हुआ दीपक लाकर कबीर के पास रख दिया। अब शिष्य सोचने लगा कि इस धूप में दिए की क्या जरूरत है। फिर कबीर ने अपनी पत्नि से कुछ मीठा लाने को कहा, तो उन्होंने मीठे की जगह नमकीन रख दिया। इस बात पर शिष्य हैरान हो गया। वो सोचने लगा कि मीठे की जगह उनकी पत्नि नमकीन क्यों लेकर आई हैं। उस कुछ समझ नहीं आ रहा था तो वो वहां से उठकर जानें लगा। तब कबीर दास ने उसे रोका। फिर उसको समझाया कि मेरी पत्नि इतनी धूप में दीपक इसलिए लेकर आई कि उनको लगा मुझे कुछ काम होगा, लेकिन मेरे मीठा मांगने पर वो नमकीन लेकर आ गई, क्या पता इस समय घर में कुछ मीठा हो ही ना। ये मेरे और मेरी पत्नि के बीच का विश्वास है। उन्होंने कहा कि हर छोटी बात पर विवाद करने की जगह हर बात के पीछे का कारण देखना चाहिए। यही एक सुखी गृहस्थ जीवन का रहस्य है। आपस में हमेशा तालमेल बनाकर रखना चाहिए और एक दूसरे पर विश्वास रखना चाहिए। उसके बाद वो कबीर दास की सारी बाते समझ गया और उनका धन्यवाद करके वहां से चला गया।
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