Diwali Kali Puja 2023: दिवाली पर माता काली की पूजा क्यों की जाती है? जानें इसका महत्व और शुभ मुहूर्त

Kali Puja On Diwali: दिवाली की रात में मां काली की पूजा करने का विधान है। ये पूजा विशेष रूप से तांत्रिकों के लिए खास होती है। इस बार काली पूजा का मुहूर्त रात 10:55 से 11:47 तक रहेगा। ​​​

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दिवाली पर काली माता की पूजा क्यों की जाती है?

Kali Puja On Diwali: दिवाली पर जहां एक तरफ प्रदोष काल में मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है तो वहीं आधी रात में माता काली की पूजा होती है। इस साल दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:05 से 07:03 तक रहेगा। जबकि काली पूजा का शुभ मुहूर्त रात 10:55 से 11:47 तक रहेगा। दीपावली की अमावस्या वाली काली रात्रि तांत्रिकों के लिए एक सर्वश्रेष्ठ सुअवसर है। एक जिंदगी का वह अमिट तांत्रिक पन्ना है जिसकी हर लिखावट पर अमावस्या के तप के निशान हैं।
तंत्र की देवी माता काली जिनके आशीर्वाद के बिना कोई भी तांत्रिक अनुष्ठान अधूरा है, इस दिन अपने तांत्रिक भक्तों की इस काली भयावह रात्रि में परीक्षा लेती हैं। कठिन साधना। तप और उपासना। मां की आराधना। एक तरफ संसार खुशियों संग दीपों के पर्व में आनंदित है तो वहीं तांत्रिक बिना अन्न जल ग्रहण किये कठिन तप और साधना से माता काली और तंत्र के और देवियों को अपनी कठिन साधना से प्रसन्न करने का प्रयास कर रहे हैं ताकि पूरे वर्ष उनकी साधना लोक कल्याण में काम आए।
उच्चाटन, मारण, सम्मोहन इत्यादि की साधना को स्वसुखाय प्रयोग करके वे केवल स्वकेन्द्रित होते हैं। वहीं बंगलामुखी साधना लोक हितकारी है। यदि कोई मुकदमे से परेशान है, अनचाही बाधाएं प्रगति के मार्ग में आ रही हैं, कोई जाने अनजाने में पाप का फल मिल रहा हो या किसी का श्राप जीवन को बर्बाद कर रहा हो तो यह तांत्रिक सिद्धि बहुत काम आती है। अत्यंत सावधानी पूर्वक और नियम से ही यह साधना करनी पड़ेगी अन्यथा इसका दुष्प्रभाव भी है।
दुर्गाशप्तशती के कई मंत्र भी आज की रात्रि बहुत आसानी से सिद्ध हो जाते हैं। श्री सूक्त के ऋग्वैदिक श्री सूक्तं के 16 मंत्रों को अमावस्या की रात्रि में सिद्ध किया जा सकता है। इस रात्रि उल्लू दिख जाए तो उसको प्रणाम करिये। उल्लू की मूर्ति की भी उपासना की जाती है। अमावस्या की रात्रि में भोज पत्र पर श्री यंत्र बनाकर स्वर्ण या चांदी की ताबीज में भरकर धारण करने से धन की प्राप्ति होती है। नदी के तट पर बंगलामुखी उपासना तेज काम करती है। साबर मंत्र भी जपे जाते हैं। बिना सही ज्ञान या गुरु के निर्देशन में कोई भी तांत्रिक क्रिया मत करें अन्यथा उसका दुष्परिणाम भी भोगना पड़ेगा।
महामृत्युंजय और लघुमृत्युंजय भी इस रात्रि में बहुत तेज कार्य करते हैं। तंत्र में भैरो उपासना का एक अलग स्थान है। इस अमावस्या की काली रात्रि में भैरो पूजा को विधि विधान से करके कुछ बीज मंत्रो की सहायता से वो सिद्धि प्राप्त की जा सकती है जो पूरे वर्ष कार्य करेगी जिससे राहु और केतु के किसी भी अनिष्ट का प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस अमावस्या की रात्रि में यही तांत्रिक पूजाएं दीपक की भांति कार्य करके समस्त जगत को आलोकित करती हैं।
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सुजीत जी महाराज author

सुजीत जी महाराज ज्योतिष और वास्तु विज्ञान एक्सपर्ट हैं जिन्हें 20 वर्षों का ज्योतिष, तंत्र विज्ञान का अनुभव हासिल हैं। 25000 से ऊपर लेख देश के कई बड़...और देखें

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