Kamada Ekadashi Vrat katha: कामदा एकादशी व्रत कथा यहां देखें
Kamada Ekadashi 2023 Vrat Katha: मान्यता है कामदा एकादशी व्रत करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। व्रती इस दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा।
कामदा एकादशी व्रत कथा यहां देखें
Kamada Ekadashi Vrat Katha: कामदेवी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। ये व्रत समस्त कामनाओं की पूर्ति करने वाला माना गया है। कहते हैं जो व्यक्ति सच्चे मन से कामदा एकादशी का व्रत करता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है। ये एकादशी चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। इस दिन व्रत रखने वाले जरूर पढ़ें कामदा एकादशी की व्रत कथा।
कामदा एकादशी व्रत कथा (Kamada Ekadashi Vrat Katha)
भगवान श्री कृष्ण ने कामदा एकादशी की कथा पाण्डु पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाई थी। हालांकि इससे पहले वशिष्ठ मुनि ने इस व्रत की महिमा राजा दिलीप को सुनाई थी, जो इस प्रकार है: प्राचीन समय में पुण्डरीक नामक राजा भोगीपुर नगर में राज्य करता था। उस नगर में अनेक अप्सरा, किन्नर और गंधर्व निवास करते थे। राजा का दरबार इन लोगों से हमेशा भरा रहता था। दरबार में हर दिन गंधर्वों और किन्नरों का गायन होता था। उस नगर में ललिता नामक एक खुबसूरत अप्सरा अपने पति ललित नामक श्रेष्ठ गंधर्व के साथ रहती थी। दोनों के बीच खूब प्रेम था। वे हमेशा एक-दूसरे की यादों में खोये रहते थे।
एक बार राजा के दरबार में गन्धर्व ललित गायन कर रहा था कि अचानक उसे अपनी पत्नी ललिता की याद आ गई। इस कारण उसका अपने स्वर पर नियंत्रण नहीं रहा। इस बात को दरबार में मौजूद कर्कट नामक नाग समझ लिया और राजा पुण्डरीक को पूरी बात बता दी। यह सुनते ही राजा को क्रोधित होकर ललित को राक्षस होने श्राप दे दिया। इसके बाद गंधर्व ललित वर्षों तक राक्षस योनि में घूमता रहा। पत्नी ललिता भी उसका अनुसरण करती रही। किंतु अपने पति को इस हालत में देख वह काफी दुःखी रहती थी।
कुछ वर्ष बीत जाने के बाद भटकते-भटकते ललित की पत्नी विन्ध्य पर्वत पर रहने वाले ऋष्यमूक ऋषि के पास गई। वहां ऋषि से अपने श्रापित पति के उद्धार का उपाय पूछने लगी। ऋषि को उनकी कहानी सुन दया आ गई। इसपर ऋषि ने कामदा एकादशी व्रत रखने को कहा। इसके बाद ऋषि का आशीर्वाद पाकर गंधर्व पत्नी अपने स्थान पर लौट आई और श्रद्धापूर्वक कामदा एकादशी का व्रत किया। इस एकादशी व्रत के प्रभाव से पति ललित श्राप मुक्त हो गया। इस प्रकार दोनों पुनः अपने गन्धर्व स्वरूप में जीवन यापन करने लगे।
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लवीना शर्मा author
धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 सा...और देखें
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