Kamada Ekadashi Vrat Katha 2024 In Hindi: कामदा एकादशी करें इस व्रत कथा का पाठ, श्री हरि की बरसेगी कृपा

Kamada Ekadashi Vrat Katha 2024 In Hindi : कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन का व्रत रखने से और विधिवत पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन कामदा एकादशी व्रत का पठ करना भी शुभ माना जाता है। यहां पढ़ें कामदा एकादशी व्रत कथा।

Kamada Ekadashi Vrat Katha

Kamada Ekadashi Vrat Katha 2024 In Hindi (कामदा एकादशी व्रत कथा): कामदा एकदाशी का व्रत हर साल चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। ये एकादशी हिंदू नववर्ष की पहली एकदाशी होती है। इस साल ये व्रत आज यानि 19 अप्रैल को रखा जा रहा है। इस दिन पूरे विधि- विधान के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस कथा का पाठ करना भी बहुत लाभकारी होती है। यहां पढ़ें कामदा एकादशी की पूरी कथा हिंदी में।

Kamada Ekadashi Vrat Katha 2024 In Hindi (कामदा एकादशी व्रत कथा)प्राचीन काल में पुण्डरीक नाम का एक राजा रहता था, जो भोग-विलास में लीन रहता था। उनके राज्य में ललित और ललिता नाम के स्त्री-पुरुष बहुत सौहार्दपूर्वक रहते थे। एक दिन ललित राजा के दरबार में गाना गा रहा था, लेकिन तभी उसका ध्यान अपनी पत्नी से हट गया और उसकी आवाज खराब हो गई। यह देखकर राजा पुण्डरीक बहुत क्रोधित हो गये और उन्होंने क्रोध में आकर ललित को राक्षस बन जाने का श्राप दे दिया। ललित एक मांसाहारी राक्षस बन गया। राजा की पत्नी अपने पति की हालत से बहुत दुखी हो गई।

कई लोगों से अपने पति के इलाज के लिए कहने के बाद आखिरकार ललिता विंध्याचल पर्वत पर श्रृंगी ऋषि के आश्रम में गईं। वहां पहुंचकर उसने अपने पति का सारा हाल बताया। ऋषि ने ललिता को कामदा एकादशी व्रत, रखने के लिए कहा। ऋषि ने यह भी कहा कि यदि वह कामदा एकादशी का व्रत रखेगी, तो उसके पुण्य के कारण उसका पति ललित मानव रूप में वापस आ जाएगा। ललिता ने भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए कामदा एकादशी का व्रत पूरे विधि-विधान से किया।

ऋषि की सलाह पर उसने चैत्र शुक्ल एकादशी का व्रत किया और अगले दिन द्वादशी को पारण कर व्रत पूरा किया। व्रत पूरा करने के बाद, भगवान विष्णु ने ललिता के पति को राक्षस रूप से मुक्त कर दिया, और उसे मानव रूप में वापस दे दिया। इस तरह, दोनों का जीवन कष्टों से मुक्त हो गया और अंततः दोनों को मोक्ष प्राप्त हुआ।

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