Kamakhya Temple: इस मंदिर में होती है योनि की पूजा, जानिए क्या है इतिहास और महत्व

Kamakhya Temple Story: मां कामख्या का मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। जिस- जिस स्थान पर मां सती के अंग गिरे वहां पर शक्तिपीठ का निर्माण हो गया है। आइए आज हम आपको कामख्या मंदिर के बारे में बताते हैं।

Kamakhya Temple
Kamakhya Temple Story: मां कामख्या मंदिर असम के गुवाहाटी में स्थित है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठ से एक मंदिर है। इस मंदिर को लेकर बहुत सारी मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। इसके साथ ही इस मंदिर में बहुत सारे चमत्कार देखने को मिलते हैं। इस मंदिर को सारी शक्तिपीठ का महापीठ माना जाता है। कामख्या मंदिर में कोई भी मूर्ति विराजमान नहीं है। इस मंदिर में एक कुंड है जो फूलो से ढका रहता है। यहां पर उसी कुंड की पूजा की जाती है। इस कुंड को योनि कुंड के नाम से जाना जाता है। इसमें से हमेशा पानी निकलता रहता है। यह मंदिर तांत्रिक साधनाओं के लिए भी बहुत ही उत्तम माना गया है। इस मंदिर में तंत्र विद्या सीखने वाले लोग तप और ध्यान में लगे रहते हैं। आइए जानें इस मंदिर की खासियत।

कब हुई मंदिर की स्थापना

पौराणिक मान्यता के अनुसार जब सती के मृत्यु के बाद महादेव उनके शरीर को लेकर भ्रमण कर रहे थे। तब भगवान विष्णु ने माता सती के शरीर को काटकर अंग भंग कर दिया। माता सती के अंग जिन स्थानों पर गिरे वहां- वहां पर शक्तिपीठ बन गए। ऐसी मान्यता है कि नीलांचल पर्वत पर माता सती के योनि का अंग भाग गिरा था। वहां पर कामख्या देवी शक्तिपीठ की स्थापना हो गई। मां की योनि गिरकर एक विग्रह में बदल गई। वह विग्रह आज भी उस मंदिर में उपस्थित है। उस कुंड से आज भी मां रजस्वला होती है।

कब बंद रहता है माता मंदिर

कामख्या का मंदिर का पट 22 जून से लेकर 25 जून तक बंद रहता है। इस समय में ब्रह्मपुत्र नदी का रंग लाल हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस समय में मां रजस्वला होती हैं। इन तीन दिनों में पुरुषों का मंदिर में जाना वर्जित होता है। उसके बाद 26 जून की सुबह भक्तों के लिए मंदिर के पट खोल दिए जाते हैं। इस मंदिर में भक्तों को मां का अनोखा प्रसाद मिलता है। यहां पर भक्तों को अम्बुवाची मां का लाल वस्त्र लोगों को प्रसाद में दिया जाता है।

कामख्या मंदिर महत्व

मां कामख्या का मंदिर सम राज्य गुवाहटी शहर से से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर बसा हुआ है। यहां पर हर साल मां के दर्शन के लिए लाखों की संख्या में भक्त आते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त इस मंदिर में सच्चे मन से आता है और भक्ति करता है। उसकी सारी मुरादे पूरी होती हैं। इसके साथ ही मां की कृपा सदा भक्तों पर बनी रहती है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें ( Hindi News ) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म ( spirituality News ) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |
End Of Feed
अगली खबर