Kamika Ekadashi Vrat Katha: कामिका एकादशी की व्रत कथा सुनने से हर पाप से मिलेगी मुक्ति

Kamika Ekadashi Vrat Katha: कहते हैं कामिका एकादशी की व्रत कथा भीष्म पितामह ने नारदजी को सुनाई थी। पितामह भीष्म श्रावण मास की कामिका एकादशी के महत्व के बारे में बताते हुए कहते हैं कि जो व्यक्ति विधि विझान ये उपवास रखता है उसके जीवन के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। चलिए आपको बताते हैं कामिका एकादशी की कथा क्या है।

Kamika Ekadashi Vrat Katha

Kamika Ekadashi Vrat Katha (कामिका एकादशी व्रत कथा): कामिका एकादशी हर साल श्रावण कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। जो इस बार 31 जुलाई को मनाई जा रही है। मान्यताओं अनुसार इस एकादशी व्रत को रखने से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं जिससे मरने के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं जो भक्त सच्चे मन से कामिका एकादशी की कथा सुनता है उसे भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है। चलिए जानते हैं कामिका एकादशी की कथा विस्तार से यहां।

कामिका एकादशी व्रत कथा (Kamika Ekadashi Vrat Katha In Hindi)

एक गांव में एक वीर क्षत्रिय रहता था। एक बार किसी वजह से उसकी ब्राह्मण से हाथापाई हो गई जिससे उस ब्राह्मण की मृत्य हो गई। अपने हाथों गलती से मारे गए ब्राह्मण की क्रिया उसने करनी चाही। परन्तु पंडितों ने उसे क्रिया में शामिल होने से ही मना कर दिया। तब ब्राह्मणों ने उससे कहा कि तुम पर ब्रह्म-हत्या का दोष है। पहले इस पाप का प्रायश्चित करो तब हम तुम्हारे घर भोजन करेंगे।

तब क्षत्रिय ने इस पाप से मुक्त होने का उपाय पूछा। ब्राह्मणों ने बताया कि तुम श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का विधि विधान व्रत रखो और ब्राह्मणों को भोजन कराके और दक्षिण देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करो इससे तुम्हे पापों से मुक्ति मिल जाएगी। पंडितों के कहे अनुसार उस क्षत्रिय ने विधि पूर्वक व्रत किया और फिर व्रत वाली रात में भगवान श्रीधर ने उसे दर्शन देकर कहा कि तुम्हें ब्रह्म-हत्या के पाप से मुक्ति मिल गई है।

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