Kansh Vadh: जानिए कंस वध से जुड़ी रोचक कहानी, क्यों हुई भगवान के हाथों मृत्यु

Kansh Vadh 2023: कंस का वध भगवान श्री कृष्ण ने किया था। कंस भगवान कृष्ण के मामा थे। हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की दसमी तिथि को कंस वध होता है। इसी दिन भगवान ने दुराचारी कंस का अंत किया था। आइए जानते हैं कंस वध से जुड़ी कहानी हिंदी में।

Kansh Vadh

Kansh Vadh 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की दसमी तिथि के दिन भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध इसी दिन किया था। इस साल कंस वध की तिथि 22 नवंबर को पड़ रही है। कंस भगवान श्री कृष्ण के मामा थे। महा दुराचारी कंस ने भगवान श्री कृष्ण के माता पिता को अपने पास बंदी बनाकर रखा हुआ था। कंस ने अपने पिता को जबरदस्ती कद्दी से हटाकर अपना राज मथुरा पर स्थापित कर लिया था। कंस इतना दुराचारी था कि अपने मृत्यु के भय से उसने अपनी बहन देवकी और वासुदेव को बंदी बना लिया था। आइए जानते हैं कंस वध से जुड़े रोचक कहानी के बारे में।

कंस को मिला था श्राप

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने कंस को हर जन्म में वध करने का श्राप दिया था। इस कारण पिछले जन्म में उनकी मृत्यु भी भगवान विष्णु के हाथों हुई थी। द्वापर युग में कंस के घर हिरण्याक्ष का जन्म हुआ। उसका नाम कालनेमि था। असुर कालनेमि के छह बेटे और एक बेटियां थीं। पुत्री का नाम वृंदा था। वृंदा का विवाह राक्षस जलंधर से हुआ था, जिसके साथ बाद में भगवान विष्णु ने बाद में विवाह किया जिनका नाम बाद में तुलसी रखा गया। कालनेमि बहुत क्रोधित हुआ। स्कंद पुराण की कथा के अनुसार देवताओं से अमृत कलश छीनने के लिए उसने राक्षसों की सेना लेकर देवताओं पर आक्रमण कर दिया। इस पर भगवान विष्णु क्रोधित हो गये और उसका वध कर दिया। हिरण्याक्ष के पौत्रों को उसके राक्षसी रूप के बारे में पता था और इसलिए उसने उसकी स्तुति करने से इनकार कर दिया। इस कारण हिरण्याक्ष ने उन सभी को पातालवासी होने का श्राप दे दिया। लेकिन कालनेमि के पुत्रों ने बहुत से पुण्य कर्म किये इसलिए इस श्राप का उन पर कुछ प्रभाव नहीं पड़ा।

कंस पर था पापों का बोझ

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