Kartik Purnima Vrat Katha: कार्तिक पूर्णिमा की कथा से जानिए कैसे भगवान शिव कहलाए त्रिपुरारी

Kartik Purnima Katha: कार्तिक पूर्णिमा का रखा है व्रत तो इस दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा। जानें कैसे भगवान शिव कहलाए त्रिपुरारी।

Kartik Purnima Vrat Katha: कार्तिक पूर्णिमा व्रत कथा

Kartik Purnima 2022: कार्तिक पूर्णिमा इस बार 8 नवंबर को मनाई जा रही है। इस दिन चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) भी है। मान्यताओं अनुसार इस दिन देवों के देव महादेव ने त्रिपुरासुरों नामक राक्षसों का वध किया था। कहते हैं इस दिन दीप दान और गंगा स्नान करने से सारे पाप कट जाते हैं। कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं। व्रत रखने वालों के लिए इस कथा को पढ़ना जरूरी माना जाता है।

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पौराणिक कथाओं के अनुसार तारकासुर नाम का एक राक्षस था। जिसके तीन पुत्र थे जिनका नाम तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली था। भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय जी ने तारकासुर का वध कर दिया जिसे देख उस राक्षस के पुत्र बेहद दुखी हुए। उन्होंने देवताओं से अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए ब्रह्मा जी की घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें वरदान मांगने को कहा। तीनों ने ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान मांगा, लेकिन ब्रह्मा जी ने उन्हें कहा ऐसा संभव नहीं है इसके अलावा कुछ अलग वरदान मांग लो। यह सुनने के बाद तीनों ने तीन नगरों का निर्माण करवाने के लिए कहा, जिसमें वह बैठकर पूरे पृथ्वी और आकाश का भ्रमण कर सकें। साथ ही उन्होंने कहा कि एक हजार वर्ष बाद जब हम एक जगह पर मिलें तो तीनों नगर मिलकर एक हो जाएं और जो देवी-देवता अपने एक बाण से तीनों नगरों को नष्ट करने की क्षमता रखता हो वही हमारा वध कर सके।

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