Kartik Purnima Satyanarayan Puja Vidhi, Samagri List: कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण भगवान की पूजा कैसे करें, यहां जानिए पूरी विधि सामग्री समेत
Kartik Purnima 2024 Satyanarayan Puja Vidhi, Samagri List In Hindi: कार्तिक पूर्णिमा पर श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। इसलिए कई लोग इस दिन अपने घर में सत्यनारायण कथा जरूर कराते हैं। चलिए आपको बताते हैं सत्यनारायण पूजा की विधि क्या है।
Satyanarayan Puja Vidhi, Samagri List
Kartik Purnima 2024 Satyanarayan Puja Vidhi, Samagri List In Hindi: धार्मिक मान्यताओं अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस पूर्णिमा पर भगवान विष्णु अपने सत्यनारायण स्वरूप में धरती पर आते हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा उनके सत्यनारायण रूप में करना बेहद शुभ माना जाता है। बता दें इस कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर को मनाई जाएगी। चलिए जानते हैं इस दिन श्री सत्यनारायण की पूजा कैसे करनी है।
सत्यनारायण पूजा सामग्री लिस्ट (Satyanarayan Puja Samagri List In Hindi)
चावल, कपूर, धूप, दीया, श्रीफल, ऋतुफल, नैवेद्य, आम के पत्ते, वस्त्र, फूल, भगवान सत्यनारायण की कोई प्रतिमा या तस्वीर, पान के पत्ते, सुपारी, हवन सामग्री, देसी घी, मिष्ठान, गंगाजल, कलावा, हवन के लिए लकड़ी, अक्षत, रोली, जनेऊ, कपूर, शहद, चीनी, हल्दी, आदि।
सत्यनारायण पूजा विधि (Satyanarayan Puja Vidhi In Hindi)
सत्यनारायण पूजा या तो सुबह के समय करनी चाहिए या फिर शाम में करें। इस पूजा के लिए आपको एक चौकी पर भगवान सत्यनारायण की तस्वीर रखनी है। साथ में एक कलश भी स्थापित करें। मंदिर में घी का दीपक जलाएं। अब सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। साथ में नवग्रहों की पूजा भी करें। उसके बाद सत्यनारायण भगवान का ध्यान करें। भगवान को जल, पंचामृत, पंजीरी, वस्त्र भी जरूर अर्पित करें। फिर सत्यनारायण भगवान की कथा सुनें। कथा के बाद पूजा में शामिल हुए सभी लोगों के साथ सत्यनारायण भगवान की आरती करें। आरती के बाद सभी में प्रसाद बांट दें। इसके बाद भगवान सत्यनारायण से प्रार्थना करें की वो आपकी मनोकामना को पूर्ण करें।
सत्यनारायण जी की आरती (Satyanarayan Ji Ki Aarti)
जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
रत्न जडि़त सिंहासन, अद्भुत छवि राजै ।
नारद करत निराजन, घण्टा ध्वनि बाजै ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
प्रकट भये कलि कारण, द्विज को दर्श दियो ।
बूढ़ा ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी ।
चन्द्रचूड़ एक राजा, तिनकी विपत्ति हरी ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीन्ही ।
सो फल भोग्यो प्रभुजी, फिर-स्तुति कीन्हीं ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
भाव भक्ति के कारण, छिन-छिन रूप धरयो ।
श्रद्धा धारण कीन्हीं, तिनको काज सरयो ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
ग्वाल-बाल संग राजा, वन में भक्ति करी ।
मनवांछित फल दीन्हों, दीनदयाल हरी ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
चढ़त प्रसाद सवायो, कदली फल, मेवा ।
धूप दीप तुलसी से, राजी सत्यदेवा ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
श्री सत्यनारायण जी की आरती, जो कोई नर गावै ।
ऋद्धि-सिद्ध सुख-संपत्ति, सहज रूप पावे ॥
जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा ॥
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 सा...और देखें
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