Kartik Purnima Katha In Hindi: कार्तिक पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है, जानिए इसकी पौराणिक कथा

Kartik Purnima 2024 Katha In Hindi: कार्तिक पूर्णिमा के दिन महादेव जी ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था इसलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। जानिए कार्तिक पूर्णिमा की व्रत कथा।

Kartik Purnima Katha In Hindi

Kartik Purnima 2024 Katha In Hindi (कार्तिक पूर्णिमा कथा): कार्तिक पूर्णिमा इस साल 15 नवंबर को मनाई जा रही है। पौराणिक कथाओं अनुसार इस पूर्णिमा पर भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। तो वहीं इस दिन संध्या के समय श्री हरि विष्णु भगवान का मत्स्यावतार भी हुआ था। यही वजह है कि कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान शिव और विष्णु जी दोनों की पूजा की जाती है। चलिए आपको बताते हैं कार्तिक पूर्णिमा की कथा।

कार्तिक पूर्णिमा क्यों मनाते हैं (Kartik Purnima Kyu Manate Hai)

कार्तिक पूर्णिमा की कथा अनुसार एक समय त्रिपुर राक्षस ने एक लाख वर्ष तक प्रयागराज में घोर तपस्या की। उसकी इस तपस्या के प्रभाव से समस्त जीव और देवता भयभीत हो गये। तब देवताओं ने उसके तप को भंग करने के लिए अप्सराएं भेजीं लेकिन तब भी देवताओं को सफलता नहीं मिलेगी। त्रिपुर राक्षस के तप से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी उसके सामने प्रकट हुए और उससे वरदान मांगने को कहा। तब त्रिपुर ने वरदान मांगा कि, ‘मुझे ऐसा वरदान दें कि मैं न देवताओं के हाथों मरूं, न मनुष्यों के हाथों से’। इस वरदान को पाते ही त्रिपुर निडर हो गया और उसने सभी पर अत्याचार करना शुरू दिया। इतना ही नहीं उसने कैलाश पर्वत पर भी चढ़ाई शुरू कर दी। कहते हैं इसके बाद भगवान शंकर ने त्रिपुर का वध कर दिया। त्रिपुर के वध से देवता खूब प्रसन्न हुए और उन्होंने कार्तिक पूर्णिमा पर दीप जलाकर दिवाली मनाई।

कार्तिक पूर्णिमा की कथा (Kartik Purnima Ki Katha)

कार्तिक पूर्णिमा की कथा अनुसार तारकासुर नामक एक राक्षस था। जिसके तीन पुत्र थे- तारकक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली। तारकासुर ने हर जगह आतंक मचा रखा था जिससे परेशान होकर देवताओं ने भगवान शिव से उसका वध करने की प्रार्थना की। इसके बाद भगवान शिव ने तारकासुर का वध कर दिया। अपन पिता की मृत्यु का समाचार सुनकर तारकासुर के तीनों पुत्रों को बड़ा दुख हुआ और उन्होंने इसका बदला लेने के लिए ब्रह्माजी की घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने तीनों से वरदान मांगने को कहा। लेकिन तीनों ने अमर होने का वरदान मांगा। ब्रह्माजी ने अमरता के अलावा कोई दूसरा वरदान मांगने के लिए कहा।

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