कार्तिक पूर्णिमा कैसे मनाते हैं, जानिए इसकी पूजा विधि, मंत्र, कथा, आरती, गंगा स्नान मुहूर्त समेत सारी जानकारी
हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का बहुत ही खास महत्व है। ये दिन गंगा स्नान और दान के लिए उत्तम माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा इस साल 15 नवंबर 2024 को पड़ रही है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस दिन गंगा स्नना और दान का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है।
कार्तिक पूर्णिमा कैसे मनाते हैं, जानिए इसकी पूजा विधि, मंत्र, कथा, आरती, गंगा स्नान मुहूर्त समेत सारी जानकारी
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने की पूर्णिमा तिथि के दिन कार्तिक मास की पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है। इस साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन देव दीपावली का पर्व भी मनाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा तिथि की सारी पूर्णिमा से बहुत ही खास मानी जाती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दान करने से व्यक्ति को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए जानें कि इस साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दान करने का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।
तुलसी जी के मंत्र (Tulsi Ji Ke Mantra)
महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।तुलसी विदाई भजन
मेरी प्यारी तुलसा जी बनेंगी दुल्हनियां...सजके आयेंगे दूल्हे राजा।
देखो देवता बजायेंगे बाजा...
सोलह सिंगार मेरी तुलसा करेंगी।
हल्दी चढ़ेगी मांग भरेगी...
देखो होठों पे झूलेगी नथनियां।
देखो देवता...
देवियां भी आई और देवता भी आए।
साधु भी आए और संत भी आए...
और आई है संग में बरातिया।
देखो देवता...
गोरे-गोरे हाथों में मेहंदी लगेगी...
चूड़ी खनकेगी ,वरमाला सजेगी।
प्रभु के गले में डालेंगी वरमाला।
देखो देवता...
लाल-लाल चुनरी में तुलसी सजेगी...
आगे-आगे प्रभु जी पीछे तुलसा चलेगी।
देखो पैरो में बजेगी पायलियां।
देखो देवता...
सज धज के मेरी तुलसा खड़ी है...
डोली मंगवा दो बड़ी शुभ घड़ी है।
देखो आंखों से बहेगी जलधारा।
देखो देवता...
Tulsi Vidai 2024 Date And Time: तुलसी विदाई 2024 तिथि व मुहूर्त
इस साल तुलसी जी की विदाई 15 नवंबर 2024 को की जाएगी। इस दिन आप दोपहर के बाद तुलसी जी की विदाई कर सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि अंधेरा होने से पहले ही आपको ये काम पूरा करना है।Kartik Purnima 2024 Don't (कार्तिक पूर्णिमा के दिन क्या ना करें)
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन मांस और मदिरा का भूलकर भी सेवन ना करें।
- इस दिन दूध और चांदी के बर्तन का गलती से भी दान ना करें।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए ना ही दाढ़ी बनवानी चाहिए।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन गरीबों को खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए।
- इसके साथ ही इस दिन काले रंग का वस्त्र पहनने से बचना चाहिए।
- कार्तिक पूर्णिमा पर सारे घर में रोशनी करनी चाहिए। इस दिन अंधेरा नहीं रखना चाहिए।
Kartim Purnima Puja Vidhi: कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लें और फिर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर ऐसा कर पाना संभव नहीं है तो आप घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर उससे स्नान जरूर करें।
- चंद्रोदय होने पर शिव, संभूति, संतति, प्रीति, अनसूया और क्षमता इन 6 कृतिकाओं की विधि विधान पूजा करें।
- इस दिन बैल, गाय, हाथी, घोड़ा, रथ या घी का दान करना बेहद शुभ माना जाता है।
- इस दिन रात्रि जागरण का भी विशेष महत्व होता है।
- कार्तिक पूर्णिमा पर जरूरतमंद लोगों को भोजन अवश्य कराना चाहिए। साथ ही इस दिन हवन भी करना चाहिए।
- इस दिन यमुना जी पर कार्तिक स्नान का समापन करके राधा-कृष्ण का पूजन और दीपदान करने की भी परंपरा है।
Kartik Purnima Ganga Snan Vidhi (कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान की विधि)
कार्तिक पूर्णिमा के दिन यदि आप गंगा जी स्नान के लिए जा पाए तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान जरूर करें। इसके साथ ही पूर्णिमा पर गंगा स्नना के लिए शुभ मुहूर्त में गंगा घाट के पास पहुंच जाएं। शुभ मुहूर्त में स्नान करना फलदायी माना जाता है। सुबह नित्य कर्म करने के बाद ही साफ मन से गंगा नदी में मां गंगा का ध्यान लगाएं और गंगा जी में प्रवेश करें। गंगा नदी में बिना वस्त्र प्रवेश ना करें। तन पर कोई ना कोई वस्त्र जरूर होना चाहिए। स्नान करते समय मां लक्ष्मी और विष्णु जी के मंत्रों का जाप करें। विधिवत स्नान करने के बाद सूर्य देवता को जल जरूर अर्पित करें।Kartik Purnima Tulsi Puja Vidhi (कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी की पूजा कैसे करें)
कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी की पूजा करने से पहले तुलसी के गमले को अच्छे से सफाई करें। फिर तुलसी के गमले में गेरू या हल्दी का लेप लगाएं। इसके बाद तुलसी महारानी को श्रृंगार की सामग्री जैसे चुनरी, चूड़ी, बिंदी, मेहंदी आदि चढ़ाएं। फिर घी का दीपक जलाकर तुलसी माता की आरती उतारें। कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी माता की कम से कम 11 बार परिक्रमा जरूर करें। साथ ही तुलसी जी को हलवा और पूरी का भोग चढ़ाएं। पूजा के बाद प्रसाद सभी में बांट दें।कार्तिक पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?
कार्तिक पूर्णिमा को देवताओं की दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है।कार्तिक पूर्णिमा Special Bhajan
Kartik Purnima Katha: कार्तिक पूर्णिमा कथा
एक अन्य कथा के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण किया था, जो उनके दशावतारों में से पहला अवतार माना जाता है। इस अवतार में भगवान विष्णु ने धरती को जलप्रलय से बचाया था और सभी प्राणियों को सुरक्षा दी थी। इस कारण, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।Can we do tulsi vivah on kartika purnima: कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी विवाह कर सकते हैं
जी हां, कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी-विवाह किया जा सकता है। शास्त्रों के अनुसार, तुलसी विवाह उत्सव कार्तिक माह की एकादशी से लेकर पूर्णिमा तक चलता है।kartik purnima ko kya karna chahiye: कार्तिक पूर्णिमा को क्या करना चाहिए
कार्तिक माह में आने वाली पूर्णिमा को साल की सबसे पवित्र और बड़ी पूर्णिमा माना जाता है। इसलिए इस दिन किसी पवित्र नदी आदि में स्नान करना चाहिए। कार्तिक पूर्णिमा के दिन शाम के समय तुलसी में दीपक जलाना चाहिए। साथ ही भगवान विष्णु औप भगवान शिव के मंदिर में जाकर भी दीप दान करना चाहिए।What is kartik purnima 2024: कार्तिक पूर्णिमा क्या है
कार्तिक पूर्णिमा को देव दिवाली के रूप में मनाते हैं। इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। इस उपलक्ष्य में लोग दीपदान करते हैं और इसे देवताओं की दिवाली कहते हैं। कार्तिक पूर्णिमा को स्नान और दान का विशेष महत्व है।kartika purnima timing 2024: कार्तिक पूर्णिमा टाइमिंग 2024
15 नवंबर को देव दिवाली और कार्तिक पूर्णिमा पूजा का मुहूर्त शाम 5 बजकर 10 मिनट से शुरू होकर शाम 7 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में दीप दान भी कर सकते हैं।कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि (Kartik Purnima Puja Vidhi)
कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लें और फिर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर ऐसा कर पाना संभव नहीं है तो आप घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर उससे स्नान जरूर करें।चंद्रोदय होने पर शिव, संभूति, संतति, प्रीति, अनसूया और क्षमता इन 6 कृतिकाओं की विधि विधान पूजा करें।
इस दिन बैल, गाय, हाथी, घोड़ा, रथ या घी का दान करना बेहद शुभ माना जाता है।
इस दिन रात्रि जागरण का भी विशेष महत्व होता है।
कार्तिक पूर्णिमा पर जरूरतमंद लोगों को भोजन अवश्य कराना चाहिए। साथ ही इस दिन हवन भी करना चाहिए।
इस दिन यमुना जी पर कार्तिक स्नान का समापन करके राधा-कृष्ण का पूजन और दीपदान करने की भी परंपरा है।
आरती श्री लक्ष्मी जी (Laxmi Mata Aarti)
ॐ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता।तुमको निशिदिन सेवत,हरि विष्णु विधाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी,तुम ही जग-माता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत,नारद ऋषि गाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी,सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत,ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं,सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता,मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते,वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
देव दिवाली और कार्तिक पूर्णिमा पूजा मुहूर्त 2024 (Dev Diwali Or Kartik Purnima Puja Time 2024)
15 नवंबर को देव दिवाली और कार्तिक पूर्णिमा पूजा का मुहूर्त शाम 5 बजकर 10 मिनट से शुरू होकर शाम 7 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में दीप दान भी कर सकते हैं।15 November 2024 Panchang: 15 नवंबर 2024 पंचांग
अभिजीत-11:54 am से 12:34 pm तकविजय मुहूर्त-02:24pm से 03:24pm तक
गोधुली मुहूर्त--06:23pm से 07:21pm
ब्रम्ह मुहूर्त-4:09m से 05:07am तक
अमृत काल-06:06am से 07:41am तक
निशीथ काल मुहूर्त-रात्रि 11:43से 12:22तक रात
संध्या पूजन-06:22 pm से 07:07pm तक
कार्तिक पूर्णिमा कब है: kartik purnima 2024 Date
इस साल कार्तिक पूर्णिमा का पर्व 15 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा।Kartik Purnima Ganga Snan Vidhi : कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान की विधि
कार्तिक पूर्णिमा के दिन यदि आप गंगा जी स्नान के लिए जा पाए तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान जरूर करें। इसके साथ ही पूर्णिमा पर गंगा स्नना के लिए शुभ मुहूर्त में गंगा घाट के पास पहुंच जाएं। शुभ मुहूर्त में स्नान करना फलदायी माना जाता है। सुबह नित्य कर्म करने के बाद ही साफ मन से गंगा नदी में मां गंगा का ध्यान लगाएं और गंगा जी में प्रवेश करें। गंगा नदी में बिना वस्त्र प्रवेश ना करें। तन पर कोई ना कोई वस्त्र जरूर होना चाहिए। स्नान करते समय मां लक्ष्मी और विष्णु जी के मंत्रों का जाप करें। विधिवत स्नान करने के बाद सूर्य देवता को जल जरूर अर्पित करें।Kartik Purnima Mahatav 2024 (कार्तिक पूर्णिमा महत्व)
कार्तिक पूर्णिमा का दिन हिंदू धर्म और सिख धर्म दोनों के लिए बहुत ही खास माना गया है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा एक साथ की जाती है। इस दिन गुरु नानक जयंती भी मनाई जाती है, जिसे गुरु पर्व के नाम से भी जाना जाता है। विष्णु पुराण के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि पर ही भगवान विष्णु ने अपने प्रथम अवतार मत्स्य अवतार का रूप धारण किया था। शिव कथा के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव जी ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इस तिथि पर गंगा स्नान, दान और दीपदान करने से साधक को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। पूर्णिमा तिथि पर चंद्रोदय के समय शिव जी की पूजा करने से व्यक्ति को धन और ज्ञान की प्राप्ति होती है।कार्तिक पूर्णिमा के दिन क्या करें (Kartik Purnima Par Kya Kare)
इस दिन सत्यनारायण कथा का पाठ करवाने की सलाह दी जाती है। कहते हैं इससे घर में सुख-समृद्धि आरती है। इसके अलावा इस दिन दीपदान करना भी शुभ माना जाता है। इससे मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि (Kartik Purnima Puja Vidhi)
कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लें और फिर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर ऐसा कर पाना संभव नहीं है तो आप घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर उससे स्नान जरूर करें।चंद्रोदय होने पर शिव, संभूति, संतति, प्रीति, अनसूया और क्षमता इन 6 कृतिकाओं की विधि विधान पूजा करें।
इस दिन बैल, गाय, हाथी, घोड़ा, रथ या घी का दान करना बेहद शुभ माना जाता है।
इस दिन रात्रि जागरण का भी विशेष महत्व होता है।
कार्तिक पूर्णिमा पर जरूरतमंद लोगों को भोजन अवश्य कराना चाहिए। साथ ही इस दिन हवन भी करना चाहिए।
इस दिन यमुना जी पर कार्तिक स्नान का समापन करके राधा-कृष्ण का पूजन और दीपदान करने की भी परंपरा है।
कार्तिक पूर्णिमा क्यों मनाते हैं (Kartik Purnima Kyu Manate Hai)
कार्तिक पूर्णिमा की कथा अनुसार एक समय त्रिपुर राक्षस ने एक लाख वर्ष तक प्रयागराज में घोर तपस्या की। उसकी इस तपस्या के प्रभाव से समस्त जीव और देवता भयभीत हो गये। तब देवताओं ने उसके तप को भंग करने के लिए अप्सराएं भेजीं लेकिन तब भी देवताओं को सफलता नहीं मिलेगी। त्रिपुर राक्षस के तप से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी उसके सामने प्रकट हुए और उससे वरदान मांगने को कहा। तब त्रिपुर ने वरदान मांगा कि, ‘मुझे ऐसा वरदान दें कि मैं न देवताओं के हाथों मरूं, न मनुष्यों के हाथों से’। इस वरदान को पाते ही त्रिपुर निडर हो गया और उसने सभी पर अत्याचार करना शुरू दिया। इतना ही नहीं उसने कैलाश पर्वत पर भी चढ़ाई शुरू कर दी। कहते हैं इसके बाद भगवान शंकर ने त्रिपुर का वध कर दिया। त्रिपुर के वध से देवता खूब प्रसन्न हुए और उन्होंने कार्तिक पूर्णिमा पर दीप जलाकर दिवाली मनाई।कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान मुहूर्त 2024 (Kartik Purnima Ganga Snan Muhurat 2024)
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त का समय सबसे शुभ माना जाता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 31 मिनट से सुबह 5 बजकर 23 मिनट तक रहेगा।मार्गशीर्ष महीने में इन संस्कृत मंत्रों का जरूर करें जाप, हर मनोकामना होगी पूरी
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