karwa Chauth Vrat Katha And Moonrise Time: करवा चौथ पूजा मुहूर्त 2022 और व्रत कथा

Karwa Chauth Ki Kahani In Hindi: आज है करवा चौथ व्रत। जानें इस व्रत की पूजा विधि, व्रत कथा, आरती, मंत्र।

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Karwa Chauth Puja Vidhi, Katha, Mantra, Aarti, Puja Muhurat: करवा चौथ की कथा, आरती, मंत्र, पूजा विधि जानें यहां

मुख्य बातें
  • करवा चौथ व्रत सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजा की जाती है।
  • करवा चौथ व्रत रखने वाली महिलाओं को व्रत कथा सुनना बेहद जरूरी माना जाता है।
  • करवा चौथ व्रत चांद के दर्शन करने के बाद ही खोला जाता है।
karwa Chauth 2022 Katha, Puja Vidhi, Mantra, Aarti, Muhurat: आज सुहागिनों के लिए सबसे खास पर्व करवा चौथ है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को ये व्रत रखा जाता है। इस दिन शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत करती हैं। यानी इस दिन अन्न-जल कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता। इस बार ये व्रत 13 अक्टूबर को रखा जा रहा है। अविवाहित लड़कियां भी योग्य वर की प्राप्ति के लिए ये व्रत रखती हैं। जानें करवा चौथ व्रत की पूजा सामग्री, विधि, मंत्र, आरती, कथा, मुहूर्त और सबकुछ हमारे इस आर्टिकल में।
Karwa Chauth 2022 Puja Vidhi, Vrat Katha, Aarti Live Updates

करवा चौथ 2022 पूजा मुहूर्त (Karwa Chauth 2022 Puja Muhurat)

  • चतुर्थी तिथि का प्रारम्भ 3 अक्टूबर को 01:59 AM से हो चुका है।
  • चतुर्थी तिथि की समाप्ति 14 अक्टूबर को 03:08 AM पर होगी।
  • करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:53 PM से 07:08 PM तक रहेगा।
  • करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय रात 08:09 PM पर होगा।
Karwa Chauth 2022 Moonrise Timings Live Updates

करवा चौथ पूजा विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi):

  1. इस व्रत की पूजा शाम के समय शुभ मुहूर्त में की जाती है।
  2. पूजा के लिए मिट्टी की वेदी पर भगवान की प्रतिमा या फोटो रख लें। साथ में 10-13 करवे भी रखें।
  3. फिर पूजा की थाली तैयार करें जिसमें धूप, दीप, चंदन, रोली, सिंदूर आदि होना चाहिए।
  4. पूजा में फल और मिठाई भी रखें।
  5. घी का दीपक जला लें। ध्यान रखें कि दीपक पूजा के पूरे समय तक जलता रहे। क्योंकि आपको कथा भी करनी है।
  6. फिर गणेश जी की आरती करें।
  7. करवा चौथ व्रत कथा सुनें या इसका पाठ करें।
  8. माता करवा की आरती करें।
  9. भगवान को प्रसाद चढ़ाएं लेकिन अभी खुद प्रसाद न ग्रहण करें।
  10. चंद्रोदय होने के बाद छलनी से चंद्र दर्शन करें और चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें।
  11. चंद्र दर्शन करने के बाद अपनी सास को मिठाई, फल, मेवे, रुपये आदि एक थाली में रख कर अर्पित करें और उनका आशीर्वाद लें।
  12. इस व्रत में भगवान शिव, माँ पार्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की पूजा जरूरी की जानी चाहिए।

करवा चौथ व्रत कथा (Karwa Chauth Vrat Katha):

प्राचीन समय में एक साहूकार रहता था। उसके सात पुत्र और एक करवा नाम की पुत्री थी। सभी भाई अपनी बहन करवा को बहुत प्यार करते थे। सभी एक साथ ही बैठकर भोजन करते थे। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी जहां उसने अपनी भाभियों के साथ करवाचौथ का व्रत रखा। लेकिन शाम होते-होते करवा भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी। जब रात के समय सभी भाई खाना खाने आए तो उन्होंने बहन से भी खाना खाने को कहा। तब करवा की मां ने कहा कि इसका करवाचौथ का व्रत है ये चांद निकलने के बाद उसकी पूजा कर ही कुछ खाएगी।
बहन की हालत उसके सबसे छोटे भाई से देखी नहीं गयी और उसने दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख दिया। दूर से देखने पर ये दीपक चांद जैसा दिखाई दे रहा था। इसके बाद भाई ने अपनी बहन से कहा कि देखो चांद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देकर भोजन कर सकती हो। बहन ने खुशी से चांद को देखा और उसे अर्घ्‍य देकर भोजन करने के लिए बैठ गई।
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जैसे ही उसने पहला टुकड़ा तोड़ा तो उसे छींक आ गई और दूसरे टुकड़े में बाल निकल आया। वहीं जैस ही उसने तीसरा टुकड़ा तोड़ा तो उसके पति की मृत्यु की खबर प्राप्त हो गई। ये सुनकर करवा रोने लगी और कहने लगी कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ है। फिर उसकी भाभी ने उसे भाई द्वारा की गई हरकत की सच्चाई बताई। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण ही देवता उससे नाराज हो गए और उन्होंने ऐसा किया। सच्चाई जानने के बाद उसने निश्चय किया कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी।
फिर करवा पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रही। उसकी देखभाल करती रही। उसके ऊपर उगने वाली घास को अपने पास एकत्रित करती रही। एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है। उसने अपनी सभी भाभियों के साथ फिर से करवा चौथ का व्रत किया और जब उसकी भाभियां उससे आशीर्वाद लेने आती हैं तो वह प्रत्येक भाभी से ‘यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो’ ऐसा आग्रह करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कह चली जाती है।
ये प्रक्रिया चलती रहती है और जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उस भाभी से भी यही बात दोहराती है। यह भाभी उसे बताती है कि चूंकि सबसे छोटे भाई के कारण उसका यह व्रत टूटा था अतः उसकी पत्नी में ही शक्ति है कि वो तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है। उसकी छठे नंबर की भाभी उसे बताती है कि इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जिंदा न कर दे, उसे छोड़ना नहीं। ऐसा कह कर वह चली जाती है।
सबसे अंत में जब छोटी भाभी आती है। करवा उनसे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है, लेकिन वह इधर-उधर की बात करने लगती है। फिर करवा उन्हें जोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को जिंदा करने के लिए कहती है। उसकी भाभी उससे छुड़ाने के लिए नोचती है, खसोटती है, लेकिन करवा नहीं छोड़ती है।
अंत में उसकी तपस्या को देख भाभी का मन पसीज जाता है और वह अपनी छोटी उंगली को चीरकर उसमें से अमृत उसके पति के मुंह में डाल देती है। करवा का पति तुरंत श्रीगणेश-श्रीगणेश कहता हुआ जीवित हो जाता है। इस प्रकार से करवा को अपना सुहाग वापस मिल जाता है। तभी से हर सुहागिन महिला करवा चौथ का व्रत पूर नियम के साथ रखती है।
करवा चौथ की आरती (Karwa Chauth Aarti)
ओम जय करवा मैया,
माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा,
पार करो नइया।।
ओम जय करवा मैया।
सब जग की हो माता,
तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत,
जग के सब प्राणी।।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी,
जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे ,
दुख सारे हरती।।
ओम जय करवा मैया,
माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा,
पार करो नइया।।
होए सुहागिन नारी,
सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु,
विघ्न सभी नाशे।।
ओम जय करवा मैया,
माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा,
पार करो नइया।।
करवा मैया की आरती,
व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन,
सब विधि सुख पावे।।
ओम जय करवा मैया,
माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा,
पार करो नइया।।
करवा चौथ मंत्र: (Karwa Chauth Mantra)
1- व्रत संकल्प का मंत्र
मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये
2- गणपति की पूजा का मंत्र
ॐ श्रीम गम सौभाग्य गणपतये। वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥
3- देवी पार्वती की पूजा का मंत्र
नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्‌। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥
4- करवा दान करने का मंत्र
करकं क्षीरसम्पूर्णा तोयपूर्णमथापि वा। ददामि रत्नसंयुक्तं चिरञ्जीवतु मे पतिः॥
5- महादेव की पूजा का मंत्र
'ऊँ अमृतांदाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तत्रो सोम: प्रचोदयात'
6- कार्तिकेय की पूजा का मंत्र
'ॐ षण्मुखाय नमः
7- चंद्रमा की पूजा का मंत्र
'देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि मे परमं सुखम। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।'
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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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