करवा पूजा शुभ हुआ शुरू, जानिए पूजा विधि, पूजा मंत्र और व्रत कथा, आरती सहित जानकारी
करवा पूजा शुभ हुआ शुरू, जानिए पूजा विधि, पूजा मंत्र और व्रत कथा, आरती सहित जानकारी
हिंदू कैलेंडर अनुसार करवा चौथ का त्योहार कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता है। इस साल ये तिथि 20 अक्टूबर की सुबह 6 बजकर 46 मिनट से लग चुकी है और इसकी समाप्ति 21 अक्टूबर की सुबह 4 बजकर 16 मिनट पर होगी। करवा चौथ व्रत की शुरुआत सुबह सरगी के साथ होती है। ये सरगी सूर्योदय से पहले ली जाती है। महिलाएं शुभ मुहूर्त में सरगी खाकर अपना व्रत शुरू करती हैं। फिर पूरे दिन निर्जला व्रत रहती हैं और शाम में चांद को देखकर अपना व्रत पूरा करती हैं। बता दें करवा चौथ व्रत सूर्योदय से लेकर रात में चांद निकलने तक रखा जाता है।
Karwa Chauth Puja Samagri: Check Full List of Karwa Chauth Puja Item List
करवा चौथ पूजा मुहूर्त 2024 (Karwa Chauth Puja Muhurat 2024)
करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:46 से 07:02 तक रहेगा। जबकि व्रत का समय 06:25 AM से 07:54 PM तक रहेगा।
Karwa Chauth Thali items: Complete List of Karva Chauth Puja Plate
करवा चौथ 2024 पर चांद निकलने का समय (Karwa Chauth Moonrise Time 2024)
करवा चौथ पर चांद निकलने का समय शाम 7 बजकर 54 मिनट का है।
Karwa Chauth Vrat In Periods: करवा चौथ पर पीरियड्स आ जाएं तो क्या करें, जानिए कैसे करें पूजा
करवा चौथ की थाली (Karwa Chauth Thali Samagri List)
करवा चौथ की थाली में चांद को अर्घ्य देने के लिए तांबे का लोटा, फल-फूल, सुहाग से जुड़ा सामान, करवा माता की फोटो, सींक, करवा, छलनी, आटे का दीया, जल, मिठाई, रोली, चंदन, कुमकुम, अक्षत, सिंदूर होता है।
Periods Me Karwa Chauth Vrat Kaise Kare
करवा चौथ पूजा सामग्री (Karwa Chauth Puja Samagri)
करवा माता की तस्वीर, छलनी, कुमकुम, रोली, चन्दन, फूल, कलश भर जल, करवाचौथ व्रत की कथा, हल्दी, चावल, मिठाई, अक्षत, पान, मिट्टी का करवा (कलश), दही, देसी घी, कच्चा दूध, मौली, शक्कर, शहद, नारियल।
Karwa Chauth Vrat Ke Niyam: पहली बार करवा चौथ व्रत कैसे करें? जानें सही विधि और नियम
करवा चौथ व्रत का महत्व (Karwa Chauth Vrat Ka Mahatva)
करवा चौथ व्रत महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। इस व्रत में करवा माता, भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय भगवान के साथ-साथ गणेश जी की पूजा की जाती है। महिलाएं अपने व्रत को चंद्रमा के दर्शन करने के बाद खोलती हैं। ये एक बेहद कठोर व्रत माना जाता है क्योंकि इस दिन अन्न और जल कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता है। कई जगह इस व्रत को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।
Karwa Chauth Puja Time: करवा चौथ 2024: पूजा का शुभ मुहूर्त और चांद देखने का समय क्या रहेगा?
करवा चौथ आरती (Karwa Mata Ki Aarti)
ओम् जय करवा मैया, माता जय करवा मैया
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया
ओम् जय करवा मैया
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी
ओम् जय करवा मैया।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती
दीर्घायु पति होवे, दुख सारे हरती..
ओम् जय करवा मैया
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे
ओम् जय करवा मैया
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे
ओम् जय करवा मैया
Karwa Chauth 2024 Puja Samagri List, Vrat Vidhi, Thali ka Saman: Check Here
करवा चौथ की शाम में क्या किया जाता है (Karwa Chauth Ki Sham Me Kya Karte Hain)
करवा चौथ की शाम को महिलाएं श्रृंगार करके एकत्रित होती हैं और फिर फेरी की रस्म करती हैं। इस रस्म के दौरान महिलाएं एक घेरा बनाकर बैठती हैं और अपनी-अपनी पूजा की थाली एक-दूसरे को देकर पूरे घेरे में घुमाती हैं। इस दौरान एक बुज़ुर्ग महिला करवा चौथ की कथा सुनाती है।
करवा चौथ की पूजा-विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi)
करवा चौथ की पूजा के लिए शाम के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें। फिर इसमें 10 से 13 करवे रखे जाते हैं। इसके साथ ही पूजा के स्थान पर पूजन-सामग्री में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर आदि एक थाली में रख लें। मंदिर में दीपक जलाएं। करवा माता के साथ-साथ भगवान शिव, पार्वती जी, कार्तिकेय जी और गणेश भगवान की विधि विधान पूजा करें। फिर करवा चौथ की कथा सुनें। इसके बाद चांद निकलने पर चांद की पूजा करें। इस दिन चन्द्र दर्शन छलनी के द्वारा किया जाता है और साथ ही दर्शन के समय चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। चन्द्र-दर्शन के बाद बहू अपनी सास को थाली में मिष्ठान, फल, मेवे, रूपये आदि चीजें देकर उनका आशीर्वाद लेती हैं।
Karwa Chauth Vrat Vidhi, Puja Katha, Vrat Ke Niyam Kya Hai: Check Here
करवा चौथ पूजा मंत्र (Karwa Chauth Puja Mantra)
करवा चौथ के दिन करवा माता, चांद, माता पार्वती, विघ्नहर्ता गणेश, कार्तिकेय जी और शिव जी की पूजा का विधान है। इसलिए करवा चौथ व्रत के समय उनके मंत्रों का जाप जरूर करें।
1. मां पार्वती की पूजा का मंत्र: देहि सौभाग्य आरोग्यं देहि मे परम् सुखम्। सन्तान देहि धनं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।।
2. गणेश पूजा मंत्र: वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
3. शिव पूजा मंत्र: ओम नम: शिवाय
4. कार्तिकेय जी का: मंत्र 'ॐ षण्मुखाय नमः' का जाप करना चाहिए।
5. चंद्र देव पूजा मंत्र: 'ॐ सोमाय नमः' जपें।
करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देने का मंत्र (Karwa Chauth Par Chand Ko Arghya Dene Ka Mantra)
करवा चौथ पर चंद्रमा को कच्चा दूध, गंगाजल, अक्षत्, फूल आदि से अर्घ्य देते हैं। अर्घ्य देते हुए इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते।
गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥
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करवा चौथ व्रत संकल्प मंत्र (Karwa Chauth Vrat Sankalp Mantra)
मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये कर्क चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।' करवा चौथ के दिन सुबह स्नान के बाद सबसे पहले सूर्य को अर्घ दें। फिर सरगी लेकर इस मंत्र को बोलकर निर्जला व्रत का संकल्प लें।
करवा चौथ कथा (Karwa Chauth Katha)
करवा चौथ व्रत कथा के अनुसार एक साहूकार के सात बेटे थे और साथ ही उसकी करवा नाम की एक बेटी थी। करवा चौथ के दिन बेटी ने अपने मायके में आकर अपनी भाभियों के संग व्रत रखा। जब सब भोजन करने लगे तो करवा के भाइयों ने अपनी बहन को भी भोजन करने के लिए कहा। इस पर करवा ने कहा कि जब तक चांद नहीं निकलेगा तब तक वह भोजन नहीं करेगी। अपनी भूखी-प्यासी बहन की हालत भाइयों से देखी नहीं गयी। तब उसके सबसे छोटे भाई ने एक दीपक दूर एक पीपल के पेड़ में प्रज्वलित किया और अपनी बहन से बोला - बहन चांद आ गया है अब अपना उपवास खोल लो। बहन नकली चांद को अर्घ्य देकर भोजन करने के लिए बैठ गई। जैसे ही उसने एक निवाला खाया वैसे ही उसके पति की मृत्यु हो गई। इसके बाद करवा शोकातुर होकर अपने पति के शव को लेकर एक वर्ष तक बैठी रही और पति के शव पर उगने वाली घास को इकट्ठा करती रही। अगले साल जब कार्तिक कृष्ण चतुर्थी आई तो उसने फिर से पूरे विधि-विधान से करवा चौथ व्रत किया, जिसके फलस्वरूप उसके पति के प्राण वापस आ गए।
करवा चौथ की कहानी
करवा नाम की एक धोबिन हुआ करती थी, जो कि अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के किनारे रहा करती थी। एक दिन उसका पति नदी में कपड़े धो रहा था, तो इस बीच एक मगरमच्छ आया और उसके पति को मुंह में दबोचकर यमलोक ले जाने लगा। इस बीच करवा ने पुकार सुनी और मगरमच्छ के पास पहुंच उसे घागे से बांध दिया। करवा मगर को लकेर यमराज के पास पहुंची और कहा कि यदि यमराज ने उसके पति को नहीं बचाया, तो वह श्राप देगी। करवा का साहस देखकर यमराज ने मगर को यमलोक दिया और पति को दीर्घायु का वरदान दिया। मान्यता है कि इस दिन के बाद से कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ मनाया जाता है।karwa chauth moon puja vidhi
=एक पूजा थाली लें और उसमें फूल, फल, मिठाई, धूप-दीप, रोली आदि रखें। इसके पश्चात करवा लें और उसमें चावल भरकर उसे दक्षिणा के रूप में रख दें। चांद निकलने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें। फिर छन्नी में जलता हुआ दीपक रखें और चंद्र दर्शन करें।करवा चौथ व्रत कथा लिरिक्स: karwa chauth katha lyrics
करवा नाम की एक धोबिन हुआ करती थी, जो कि अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के किनारे रहा करती थी। एक दिन उसका पति नदी में कपड़े धो रहा था, तो इस बीच एक मगरमच्छ आया और उसके पति को मुंह में दबोचकर यमलोक ले जाने लगा। इस बीच करवा ने पुकार सुनी और मगरमच्छ के पास पहुंच उसे घागे से बांध दिया। करवा मगर को लकेर यमराज के पास पहुंची और कहा कि यदि यमराज ने उसके पति को नहीं बचाया, तो वह श्राप देगी। करवा का साहस देखकर यमराज ने मगर को यमलोक दिया और पति को दीर्घायु का वरदान दिया। मान्यता है कि इस दिन के बाद से कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ मनाया जाता है।गणेश जी की कथा: ganesh ji ke katha
करवा चौथ व्रत की पौराणिक कथा अनुसार एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। एक बार कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उसकी सभी सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा। रात के समय जब साहूकार के लड़के भोजन करने आए तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन करने के लिए कहा। इस पर बहन बोली- भाई, अभी चांद नहीं निकला है। आज मैं चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही भोजन करूंगी। साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे इसलिए उनसें अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देखा नहीं जा रहा है। साहूकार के बेटे नगर के बाहर चले गए और उन्होंने वहां एक पेड़ पर चढ़कर अग्नि जला दी। थोड़ी देर बाद घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चांद आ आया है। अब तुम पूजा करते भोजन कर लो। साहूकार की बेटी अपनी भाभियों से बोली- देखो, चांद निकल आया है, आप सभी भी अर्घ्य देकर अपना व्रत खोल लो। ननद की बात सुनकर भाभियों ने कहा- बहन अभी चांद निकलने में समय है ये तो तुम्हारे भाई धोखे से अग्नि जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे हैं। जिससे तुम अपना व्रत खोल सको।साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों की बात अनसुनी तक दी और उसने भाइयों द्वारा दिखाए गए चांद को ही अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार उसका करवा चौथ का व्रत खंडित हो गया। जिससे भगवान श्री गणेश साहूकार की लड़की पर अप्रसन्न हुए और इस कारण उस लड़की का पति बीमार पड़ गया। लड़की के घर का सारा धन पति की बीमारी को ठीक कराने में लग गया।
साहूकार की बेटी को जब अपने द्वारा किए गए पाप का पता लगा तो उसे बहुत दुख हुआ। उसने गणेश जी से क्षमा मांगी और फिर से विधि-विधान चतुर्थी का व्रत किया और सभी से आशीर्वाद ग्रहण किया।
लड़की के श्रद्धा-भक्ति को देखकर गणेश जी प्रसन्न हो गए और उन्होंने उसके पति को जीवनदान प्रदान किया। साथ ही भगवान गणेश ने उसे धन, संपत्ति और वैभव से युक्त कर दिया। बोलो करवा चौथ माता की जय !
karwa chauth simple puja vidhi: करवा चौथ सिंपल पूजा विधि
एक पूजा थाली लें और उसमें फूल, फल, मिठाई, धूप-दीप, रोली आदि रखें। इसके पश्चात करवा लें और उसमें चावल भरकर उसे दक्षिणा के रूप में रख दें। चांद निकलने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें। फिर छन्नी में जलता हुआ दीपक रखें और चंद्र दर्शन करें।1karwa chauth puja vidhi in up: करवा चौथ पूजा विधि यूपी
एक पूजा थाली लें और उसमें फूल, फल, मिठाई, धूप-दीप, रोली आदि रखें। इसके पश्चात करवा लें और उसमें चावल भरकर उसे दक्षिणा के रूप में रख दें। चांद निकलने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें। फिर छन्नी में जलता हुआ दीपक रखें और चंद्र दर्शन करें।करवा चौथ व्रत कथा गणेश जी और बुढ़िया की कहानी
एक अंधी बुढ़िया हुआ करती थी, जिसके एक बेटा-बहु थे। वह प्रतिदिन भगवान श्रीगणेश का पूजन किया करती थी। बुढ़िया माई की पूजा से खुश होकर एक दिन भगवान श्रीगणेश ने बुढ़िया माई को दर्शन दिए और कहा कि मैं तुम्हारी निस्वार्थ पूजा से बहुत खुश हुआ हूं, जो तुम्हें मांगना है, मांगो। मैं तुम्हारी कामना पूरी करूंगा। इस पर माई ने कहा कि मुझे तो कुछ मांगना नहीं आता है। ऐसे में गणेश जी ने कहा कि मैं कल फिर से आऊंगा, जब तक तू अपने बेटे-बहु से पूछ ले। ऐसे में बुढ़िया माई अपने बेटे से पूछती है, तो बेटा बोलता है कि माई धन मांग ले, वहीं बहु बोलती है कि पोता मांग ले। बुढ़िया माई बोलती है कि ये तो अपना-अपना देख रहे हैं, ऐसे में वह पड़ोसियों से पूछती है, तो पड़ोसी बोलते हैं कि माई तेरी कुछ समय की जिंदगी है, तो तू धन और पोते का क्या करेगी। तू एक काम कर, तू अपनी आंखे मांग ले, जिससे बची हुई जिंदगी को आराम से बिता सके। इस पर बूढ़िया माई बोली कि ऐसा क्या मांगूं, जिससे मेरी इच्छा भी पूरी हो जाए और बेटे-बहु का मन भी न दुखे। अगले दिन भगवान श्रीगणेश प्रकट हुए और बूढ़िया माई से मांगने के लिए कहा, जिस पर बूढ़िया माई ने कहा कि हे विघ्नहर्ता, अन्नदेवो, धनदेवो, निरोगी काया देवो, अमर सुहाग देवो, दीदा गोढ़ा देवो, सोने के कटोरे में पोते को दूध पीता देखूं, अमर सुहाग देवो और समस्त परिवार सुख देवो और आपके श्रीचरणों में मुझे स्थान देवो। इस पर गणेश जी ने कहा कि बूढ़िया माई तूने तो मुझे ठग लिया, तू तो कह रही थी तुझे कुछ मांगना नहीं आता है। मैं तेरी सभी इच्छाएं पूरी करूंगा। जिस प्रकार भगवान श्रीगणेश ने बूढ़िया माई की इच्छा पूरी की, इसी प्रकार सभी की इच्छाएं पूरी हों और सभी पर भगवान पर आशीर्वाद बना रहे।करवा चौथ की पूजा
सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के बीच प्यार, स्नेह और विश्वास का प्रतीक माना गया है। यह पर्व पति की लंबी आयु और दांपत्य जीवन में खुशहाली का महापर्व है। करवा चौथ के दिन चन्द्रमा की पूजा कर महिलाएं चंद्रदेव से यह आशीर्वाद मांगती हैं कि किसी भी कारण से उन्हें अपने प्रियतम का वियोग न सहना पड़े । सुहागिन महिलाएं करवा चौथ पर देवी पार्वती के स्वरूप चौथ माता, भगवान शिव और कार्तिकेय के साथ-साथ श्री गणेशजी की पूजा करती हैं।करवा चौथ पर शाम को लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं, इस पर भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर दें। एक लोटे में जल भरकर उसके ऊपर श्रीफल रखकर कलावा बांध दें और दूसरा मिट्टी का करवा लेकर उसमें जल भरकर व ढक्कन में शक्कर भर दें, उसके ऊपर दक्षिणा रखें, रोली से करवे पर स्वास्तिक बनाएं। इसके बाद धूप, दीप, अक्षत व पुष्प चढाकर भगवान का पूजन करें, पूजा के उपरांत भक्तिपूर्वक हाथ में गेहूं के दाने लेकर चौथमाता की कथा पढ़ें या सुने। फिर रात्रि में चंद्रोदय होने पर चंद्रदेव को अर्ध्य देकर बड़ों का आशीर्वाद लेते हुए व्रत को समाप्त करें।
karwa chauth katha in hindi: करवा चौथ की कथा
एक अंधी बुढ़िया हुआ करती थी, जिसके एक बेटा-बहु थे। वह प्रतिदिन भगवान श्रीगणेश का पूजन किया करती थी। बुढ़िया माई की पूजा से खुश होकर एक दिन भगवान श्रीगणेश ने बुढ़िया माई को दर्शन दिए और कहा कि मैं तुम्हारी निस्वार्थ पूजा से बहुत खुश हुआ हूं, जो तुम्हें मांगना है, मांगो। मैं तुम्हारी कामना पूरी करूंगा। इस पर माई ने कहा कि मुझे तो कुछ मांगना नहीं आता है। ऐसे में गणेश जी ने कहा कि मैं कल फिर से आऊंगा, जब तक तू अपने बेटे-बहु से पूछ ले। ऐसे में बुढ़िया माई अपने बेटे से पूछती है, तो बेटा बोलता है कि माई धन मांग ले, वहीं बहु बोलती है कि पोता मांग ले। बुढ़िया माई बोलती है कि ये तो अपना-अपना देख रहे हैं, ऐसे में वह पड़ोसियों से पूछती है, तो पड़ोसी बोलते हैं कि माई तेरी कुछ समय की जिंदगी है, तो तू धन और पोते का क्या करेगी। तू एक काम कर, तू अपनी आंखे मांग ले, जिससे बची हुई जिंदगी को आराम से बिता सके। इस पर बूढ़िया माई बोली कि ऐसा क्या मांगूं, जिससे मेरी इच्छा भी पूरी हो जाए और बेटे-बहु का मन भी न दुखे। अगले दिन भगवान श्रीगणेश प्रकट हुए और बूढ़िया माई से मांगने के लिए कहा, जिस पर बूढ़िया माई ने कहा कि हे विघ्नहर्ता, अन्नदेवो, धनदेवो, निरोगी काया देवो, अमर सुहाग देवो, दीदा गोढ़ा देवो, सोने के कटोरे में पोते को दूध पीता देखूं, अमर सुहाग देवो और समस्त परिवार सुख देवो और आपके श्रीचरणों में मुझे स्थान देवो। इस पर गणेश जी ने कहा कि बूढ़िया माई तूने तो मुझे ठग लिया, तू तो कह रही थी तुझे कुछ मांगना नहीं आता है। मैं तेरी सभी इच्छाएं पूरी करूंगा। जिस प्रकार भगवान श्रीगणेश ने बूढ़िया माई की इच्छा पूरी की, इसी प्रकार सभी की इच्छाएं पूरी हों और सभी पर भगवान पर आशीर्वाद बना रहे।karva chauth ke kahani: करवा चौथ की कहानी
पौराणिक कथा (Karwa Chauth Vrat Katha) के अनुसार, एक द्विज नामक ब्राह्मण था। उसके सात बेटे व वीरावती नाम की एक कन्या थी। एक बार वीरावती ने मायके में करवा चौथ का व्रत किया। उन्होंने व्रत के दौरान अन्न और जल का सेवन नहीं किया, जिसकी वजह से वीरावती बेहद परेशान हो गई थी। ऐसे में उसके भाइयों ने गांव के बाहर वट के वृक्ष पर एक लालटेन जला दी और अपनी बहन से कहा कि चन्द्रमा निकल आया है और उनसे अर्घ्य देने के लिए कहा। अर्घ्य देने के बाद वीरावती भोजन (Karwa Chauth ki Kahani) करने के लिए बैठी तो पहले कौर में बाल निकला, दूसरे कौर में छींक आई और तीसरे कौर में ससुराल से बुलावा और जब वीरावती ससुराल पहुंची, तो उसके पति की मृत्यु हो चुकी थी, जिसकी वजह से वीरावती बिलख बिलखकर रोने लगी। उसी समय इंद्राणी ने वीरावती से कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चर्तुथी तिथि का व्रत करने के लिए कहा। इसके बाद वीरावती ने विधिपूर्वक व्रत किया। व्रत के पुण्य-प्रताप से वीरावती के पति को पुन: जीवन मिल गया। तभी से पति की लंबी आयु के लिए सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत करती है, जिससे पति को दीर्घायु का वरदान प्राप्त होता है। इस परंपरा को आज भी निभाया जा रहा है।Chandra arghya mantra: चंद्रमा अर्घ्य मंत्र
अर्घ्य मंत्रगगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते।
गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥
करवा चौथ व्रत कथा एंव आरती
एक अंधी बुढ़िया हुआ करती थी, जिसके एक बेटा-बहु थे। वह प्रतिदिन भगवान श्रीगणेश का पूजन किया करती थी। बुढ़िया माई की पूजा से खुश होकर एक दिन भगवान श्रीगणेश ने बुढ़िया माई को दर्शन दिए और कहा कि मैं तुम्हारी निस्वार्थ पूजा से बहुत खुश हुआ हूं, जो तुम्हें मांगना है, मांगो। मैं तुम्हारी कामना पूरी करूंगा। इस पर माई ने कहा कि मुझे तो कुछ मांगना नहीं आता है। ऐसे में गणेश जी ने कहा कि मैं कल फिर से आऊंगा, जब तक तू अपने बेटे-बहु से पूछ ले। ऐसे में बुढ़िया माई अपने बेटे से पूछती है, तो बेटा बोलता है कि माई धन मांग ले, वहीं बहु बोलती है कि पोता मांग ले। बुढ़िया माई बोलती है कि ये तो अपना-अपना देख रहे हैं, ऐसे में वह पड़ोसियों से पूछती है, तो पड़ोसी बोलते हैं कि माई तेरी कुछ समय की जिंदगी है, तो तू धन और पोते का क्या करेगी। तू एक काम कर, तू अपनी आंखे मांग ले, जिससे बची हुई जिंदगी को आराम से बिता सके। इस पर बूढ़िया माई बोली कि ऐसा क्या मांगूं, जिससे मेरी इच्छा भी पूरी हो जाए और बेटे-बहु का मन भी न दुखे। अगले दिन भगवान श्रीगणेश प्रकट हुए और बूढ़िया माई से मांगने के लिए कहा, जिस पर बूढ़िया माई ने कहा कि हे विघ्नहर्ता, अन्नदेवो, धनदेवो, निरोगी काया देवो, अमर सुहाग देवो, दीदा गोढ़ा देवो, सोने के कटोरे में पोते को दूध पीता देखूं, अमर सुहाग देवो और समस्त परिवार सुख देवो और आपके श्रीचरणों में मुझे स्थान देवो। इस पर गणेश जी ने कहा कि बूढ़िया माई तूने तो मुझे ठग लिया, तू तो कह रही थी तुझे कुछ मांगना नहीं आता है। मैं तेरी सभी इच्छाएं पूरी करूंगा। जिस प्रकार भगवान श्रीगणेश ने बूढ़िया माई की इच्छा पूरी की, इसी प्रकार सभी की इच्छाएं पूरी हों और सभी पर भगवान पर आशीर्वाद बना रहे।करवा चौथ की आरती : Karwa Chauth Ki Aarti Lyrics
ओम् जय करवा मैया, माता जय करवा मैयाजो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया
ओम् जय करवा मैया
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी
ओम् जय करवा मैया।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती
दीर्घायु पति होवे, दुख सारे हरती..
ओम् जय करवा मैया
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे
ओम् जय करवा मैया
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे
ओम् जय करवा मैया
Puja Time for karwa chauth 2024: करवा चौथ पूजा टाइम
करवा चौथ पूजा का मुहूर्त शाम 5 बजकर 46 मिनट से शाम 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त के अंदर ही करवा चौथ व्रत की पूजा संपन्न कर लें।गणेश आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
Karwa Chauth Chowk Design: करवा चौथ चौक डिजाइन
Karwa Chauth Vrat Katha Time Today: करवा चौथ व्रत कथा टाइम
करवा चौथ व्रत की कथा का समय शाम 05:46 से 07:02 बजे तक का है। इस दौरान करवा चौथ की कथा पढ़ना बेहद फलदायी साबित होगा।पहली बार करवा चौथ कैसे करें: pheli baar karwa chauth kaise karen
करवा चौथ पर पवित्र स्नान करें।इस दिन सूर्योदय से पहले सरगी लें।
नवविवाहित महिलाएं 16 शृंगार अवश्य करें।
इस शुभ अवसर पर शादी का जोड़ा पहनें।
निर्जला व्रत का पालन अवश्य करें।
इस तिथि पर च्रंदमा को अर्घ्य जरूर दें।
विधिवत पूजा करें और करवा चौथ कथा जरूर सुनें।
करवा चौथ आरती: karwa chauth aarti
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया.जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया.. ओम जय करवा मैया.
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी.
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी..
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती.
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती..
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया.
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया..
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे.
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे..
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया.
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया..
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे.
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे..
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया.
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया..
आज चांद कितने बजे निकलेगा: AAj chand kitne baje niklega
पंचांग अनुसार करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय शाम 07:54 पर होगा।Karwa Chauth 2024 Puja Vidhi: करवा चौथ पूजा विधि
करवा चौथ की पूजा शाम में की जाती है।कहते हैं करवा चौथ की पूजा 16 श्रृंगार के साथ करनी चाहिए।
पूजन के समय दीवार पर करवा चौथ माता का चित्र बनाएं या बाजार से लाया हुआ करवा चौथ माता का फोटो दीवार पर लगाएं।
पूजा स्थल पर विधि विधान कलश की स्थापना करें। कलश में सिक्का, सुपारी, हल्दी की गांठ, थोड़े अक्षत डाल सकते हैं। फिर उसके ऊपर आम या अशोक के 5 से 7 पत्ते रखें। फिर कलश का मुंह किसी पात्र से ढक दें और उस पर अक्षत डाल दें। अब कलश के ऊपर घी का दीपक रख दें।
अब एक करवा लें उसमें जल भर दें। इसके बाद करवा के छेद में 4 सींकें लगा दें। करवा आप मिट्टी या तांबे किसी भी चीज का ले सकते हैं। करवे के अंदर आप चांदी का सिक्का या अंगूठी भी डाल सकते हैं। फिर इस पर ढक्कन लगाकर उसके मुख पर कुछ मीठा रख दें। इसी करवे से चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।
इसके बाद एक करवा अपने लिए तैयार करें। इस करवे को दान किया जाता है। आप चाहें तो खांड का करवा भी ले सकते हैं। इस करवे में खील, बताशे, मिठाई, गुलगुले, आदि चीजें भर लें। इस बात का ध्यान रखें कि जो महिलाएं घर पर अकेले करवा चौथ की पूजा करती हैं वो दो करवे भरती हैं एक अपने लिए एक गौरी माता के लिए। करवे के ऊपर दीपक जलाकर जरूर रखें।
पूजा स्थान पर चंद्रमा को अर्घ्य देने वाली छलनी भी रख दें।
पूजा स्थान पर एक कटोरी में गेहूं भरकर भी जरूर रखें।
इसके बाद सभी देवी-देवताओं का ध्यान करते हुए पूजन शुरू करें।
फिर धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर आदि से विधिवत पूजा करें। ध्यान रहे कि पूजा के समय दीपक में पर्याप्त मात्रा में घी रहे जिससे वो देर तक जलता रहे।
इसके बाद करवा चौथ की व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
करवा चौथ की पूजा में मुख्य रूप से चावल के आटे का प्रसाद तैयार किया जाता है। व्रत खोलते समय जल के बाद सबसे पहले इसी प्रसाद को महिलाएं खाती हैं।
पूजा के समय कई महिलाएं सुहाग की सामग्री भी चढ़ाती हैं।
जब चांद निकल जाए तो छलनी की ओट से पति को देखने के बाद फिर चांद के दर्शन करें।
rahukaal today: राहुकाल समय
राहुकाल-प्रातःकाल 09 बजे से 10:30 बजे तकKarwa Chauth muhurat 2024: करवा चौथ पूजा मुहूर्त 2024
करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर की शाम 05 बजकर 46 मिनट से 07 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। तो वहीं करवा चौथ व्रत का समय सुबह 06:25 से 07:54 बजे तक रहेगा।घर पर अकेले कैसे करें करवा चौथ की पूजा : How To Do Karwa Chauth Puja Alone At Home In Hindi
अगर घर पर अकेले करवा चौथ की पूजा कर रही हैं तो ऊपर दी गई विधि से पूजा शुरू करें। करवा बदलने की रस्म के लिए दो करवा तैयार करें। एक अपने लिए और एक माता गौरी के लिए। जो महिलाएं अकेले करवा चौथ की पूजा करती हैं वो करवा गौरी माता से बदलती हैं। इसके लिए आपको पार्वती माता की तस्वीर की जरूरत होगी। आप चाहें तो मिट्टी या गोबर से गौरी माता की प्रतिमा बनाकर उनके साथ करवा बदल सकती हैं। दोनों करवे में एक जैसा सामान भरें। करवे के ऊपर दिया जला लें। भोग लगाने के बाद गौरी माता के साथ करवा बदल लें। इस दौरान आपको सात बार हाथ क्रॉस करके करवा बदलना है और साथ में बोलें 'ले सुहागन ले करवा, दे सुहागन दे करवा'। इस विधि से सात बार करवा बदलने पर आपका करवा आपके सीधे हाथ पर आखिरी बार में आ जाएगा। करवा चौथ पूजा के बाद करवा दान कर दिया जाता है।Karwa Chauth 2024 Puja Muhurat - Katha Timing (करवा चौथ पूजा मुहूर्त 2024)
करवा चौथ पूजा का मुहूर्त शाम 5 बजकर 46 मिनट से शाम 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त के अंदर ही करवा चौथ व्रत की पूजा संपन्न कर लें।chand timing today: चांद निकलने का समय
20 अक्टूबर 2024 की शाम 7 बजकर 55 मिनट के करीब दिखाई दे सकता है।कार्तिक की करवा चौथ की कहानी
पौराणिक कथा के अनुसार, एक द्विज नामक ब्राह्मण था। उसके सात बेटे व वीरावती नाम की एक कन्या थी। एक बार वीरावती ने मायके में करवा चौथ का व्रत किया। उन्होंने व्रत के दौरान अन्न और जल का सेवन नहीं किया, जिसकी वजह से वीरावती बेहद परेशान हो गई थी। ऐसे में उसके भाइयों ने गांव के बाहर वट के वृक्ष पर एक लालटेन जला दी और अपनी बहन से कहा कि चन्द्रमा निकल आया है और उनसे अर्घ्य देने के लिए कहा। अर्घ्य देने के बाद वीरावती भोजन करने के लिए बैठी तो पहले कौर में बाल निकला, दूसरे कौर में छींक आई और तीसरे कौर में ससुराल से बुलावा और जब वीरावती ससुराल पहुंची, तो उसके पति की मृत्यु हो चुकी थी, जिसकी वजह से वीरावती बिलख बिलखकर रोने लगी। उसी समय इंद्राणी ने वीरावती से कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चर्तुथी तिथि का व्रत करने के लिए कहा। इसके बाद वीरावती ने विधिपूर्वक व्रत किया। व्रत के पुण्य-प्रताप से वीरावती के पति को पुन: जीवन मिल गया। तभी से पति की लंबी आयु के लिए सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत करती है, जिससे पति को दीर्घायु का वरदान प्राप्त होता है। इस परंपरा को आज भी निभाया जा रहा है।pooja time for karwa chauth 2024: पूजा टाइम करवा चौथ
करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:46 से 07:02 तक रहेगा। जबकि व्रत का समय 06:25 AM से 07:54 PM तक रहेगा।karwa chauth katha: करवा चौथ कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार पर्वत पर अर्जुन नीलगिरी तपस्या में लीन थे। तब पांडवों पर कई प्रकार के संकट आने लगे। ऐसे में द्रौपदी ने जगत के पालनहार श्रीकृष्ण से मदद मांगी। श्रीकृष्ण ने कहा कि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन करवा माता का व्रत करें। उनके कहने पर द्रौपदी ने विधिपूर्वक व्रत किया। इसके प्रभाव से पांडवों को संकटों से छुटकारा मिल गया।20 October 2024 Panchang: 20 अक्टूबर 2024 पंचांग
माह-कार्तिक ,कृष्ण पक्षतिथि- तृतीया,व्रत-करवा चौथ
दिन- रविवार
सूर्योदय-06:22am
सूर्यास्त-06:02pm
नक्षत्र- कृतिका
चन्द्र राशि -वृष,स्वामी-शुक्र
सूर्य राशि- तुला,स्वामी ग्रह-शुक्र
करण- वणिज
योग: व्यत्तिपात
karwa chauth ke puja vidhi in hindi: करवा चौथ की पूजा विधि
करवा चौथ व्रत के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर सरगी लें।इसके बाद ही नहा धोकर निर्जला व्रत का संकल्प लें।
फिर पूरे दिन कुछ भी खाना-पीना नहीं है।
शाम की पूजा से पहले व्रती महिलाएं फिर से स्नान कर सुंदर वस्त्र धारण करें।
कहते हैं करवा चौथ की पूजा 16 श्रृंगार के साथ करनी चाहिए।
पूजन के समय दीवार पर करवा चौथ की पूजा का चित्र बनाएं या बाजार से लाया हुआ कैलेंडर दीवार पर लगाएं।
फिर एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें और इन पर 10 से 13 करवे रखें।
करवा में 21 सींकें लगाएं और उसके अंदर खील, बताशे, चूरा और साबुत अनाज डालें।
करवा के ऊपर रखे दीपक को जलाएं। फिर इसके पास पूड़ियां, मीठा हलवा, खीर और अन्य पकवान रखें।
पूजा के समय एक लोटे में जल भी रखें। पूजा के बाद इसी जल से चन्द्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।
फिर धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर आदि से विधिवत पूजा करें। ध्यान रहे कि पूजा के समय दीपक में पर्याप्त मात्रा में घी रहे जिससे वो देर तक जलता रहे।
इसके बाद करवा चौथ की व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
करवा चौथ की पूजा में मुख्य रूप से चावल के आटे का प्रसाद तैयार किया जाता है। व्रत खोलते समय जल के बाद सबसे पहले इसी प्रसाद को महिलाएं खाती हैं।
पूजा के समय कई महिलाएं सुहाग की सामग्री भी चढ़ाती हैं।
जब चांद निकल जाए तो छलनी की ओट से पति को देखने के बाद फिर चांद के दर्शन करें।
इसके बाद चन्द्रमा को जल से अर्घ्य दें और पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करें।
फिर पति के हाथ से पानी पीकर और कुछ मीठा खाकर अपना व्रत खोल लें।
करवा चौथ का शुभ मुहूर्त 2024: karwa chauth ka shubh muhurat
करवा चौथ पूजा मुहूर्त - 20 अक्टूबर की शाम 05:46 पी एम से 07:02 पी एम तककरवा चौथ व्रत समय - 06:25 ए एम से 07:54 पी एम तक
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - 20 अक्टूबर 2024 को 06:46 ए एम बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त - 21 अक्टूबर 2024 को 04:16 ए एम बजे
करवा चौथ की पूजा कैसे की जाती है: karwa chauth ke puja kaise ke jati hai
मां पार्वती को श्रृंगार सामग्री अर्पित करें और मिट्टी के करवा में जल भर कर पूजा स्थान पर रखें। अब भगवान श्री गणेश, मां गौरी, भगवान शिव और चंद्र देव का ध्यान कर करवा चौथ व्रत की कथा सुनें। चंद्रमा की पूजा कर उन्हें अर्घ्य दें। फिर छलनी की ओट से चंद्रमा को देखें और उसके बाद अपने पति का चेहरा देखें।Karwa Chauth Rules For Unmarried Girls In Hindi: कुंवारी लड़कियों के लिए करवा चौथ व्रत के नियम
करवा चौथ पर सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का निर्जला व्रत रखती हैं, लेकिन कुंवारी कन्याओं के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है। उन्हें निर्जला व्रत नहीं रखना चाहिए बल्कि उन्हें सिर्फ फलाहार पर रहना चाहिए। कुंवारी लड़कियों के लिए सरगी और बायना का नियम नहीं है, इसलिए निर्जला व्रत नहीं कर सकते। यदि कोई अविवाहित लड़की करवा चौथ का व्रत रखती है, तो उसे चंद्रमा को जल अर्पित नहीं करना चाहिए, बल्कि तारों को जल देकर व्रत का पारण करना चाहिए। वो भगवान शिव और माता पार्वती का पूजा में शामिल हो सकती हैं, लेकिन पूजन कर नहीं सकती।Karwa Chauth 2024 Puja Timing (करवा चौथ पूजा समय 2024 शहर अनुसार)
- नई दिल्ली करवा चौथ पूजा मुहूर्त05:46 पी एम से 07:02 पी एम
- मुंबई करवा चौथ पूजा मुहूर्त06:12 पी एम से 07:26 पी एम
- नोएडा करवा चौथ पूजा मुहूर्त05:46 पी एम से 07:01 पी एम
- बेंगलुरु करवा चौथ पूजा मुहूर्त05:58 पी एम से 07:11 पी एम
- चेन्नई करवा चौथ पूजा मुहूर्त05:47 पी एम से 07:00 पी एम
- अहमदाबाद करवा चौथ पूजा मुहूर्त06:10 पी एम से 07:25 पी एम
- कोलकाता करवा चौथ पूजा मुहूर्त05:07 पी एम से 06:22 पी एम
- जयपुर करवा चौथ पूजा मुहूर्त05:53 पी एम से 07:09 पी एम
- पुणे करवा चौथ पूजा मुहूर्त06:08 पी एम से 07:23 पी एम
- कानपुर करवा चौथ पूजा मुहूर्त05:36 पी एम से 06:51 पी एम
- लखनऊ करवा चौथ पूजा मुहूर्त05:33 पी एम से 06:49 पी एम
- पटना करवा चौथ पूजा मुहूर्त05:17 पी एम से 06:33 पी एम
- गाजियाबाद करवा चौथ पूजा मुहूर्त05:45 पी एम से 07:01 पी एम
करवा चौथ 2024 चांद निकलने का समय (Karwa Chauth 2024 Chand Time)
- नई दिल्ली में आज चांद कितने बजे निकलेगा07:55 PM
- मुंबई में आज चांद कितने बजे निकलेगा08:38 PM
- नोएडा में आज चांद कितने बजे निकलेगा07:55 PM
- बेंगलुरु में आज चांद कितने बजे निकलेगा08:32 PM
- चेन्नई में आज चांद कितने बजे निकलेगा08:21 PM
- अहमदाबाद में आज चांद कितने बजे निकलेगा08:29 PM
- कोलकाता में आज चांद कितने बजे निकलेगा07:25 PM
- जयपुर में आज चांद कितने बजे निकलेगा08:06 PM
- पुणे में आज चांद कितने बजे निकलेगा08:35 PM
- कानपुर में आज चांद कितने बजे निकलेगा07:48 PM
- लखनऊ में आज चांद कितने बजे निकलेगा07:44 PM
- पटना में आज चांद कितने बजे निकलेगा07:30 PM
चांद को अर्घ्य देने का मंत्र (Chand Ko Arghya Dene Ka Mantra)
- ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:
- ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम:
- ऊँ दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसंभवम। नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुटभूषणम।
Karwa Chauth Par Kya Na Kare: करवा चौथ पर क्या न करें
- व्रत के दौरान पानी या भोजन का सेवन न करें, जब तक स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या न हो।
- किसी से विवाद या क्रोध करने से व्रत का फल कम हो सकता है।
- मन में नकारात्मक विचार न लाएं।
- इस दिन अपने शब्दों का ध्यान रखें और किसी के साथ अपशब्दों का प्रयोग न करें।
आरती करवा माता की, करवा चौथ की आरती | Karwa Chauth Ki Aarti Lyrics
ओम् जय करवा मैया, माता जय करवा मैयाजो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया
ओम् जय करवा मैया
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी
ओम् जय करवा मैया।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती
दीर्घायु पति होवे, दुख सारे हरती..
ओम् जय करवा मैया
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे
ओम् जय करवा मैया
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे
ओम् जय करवा मैया
करवा चौथ पूजा सामग्री (Karva Chauth Puja Samagri In Hindi)
- करवा माता की तस्वीर और छलनी
- करवाचौथ व्रत की कथा
- मौली
- अक्षत
- कुमकुम
- रोली
- चन्दन
- फूल
- कलश भर जल
- हल्दी
- चावल
- मिठाई
- कच्चा दूध
- पान
- मिट्टी का करवा (कलश)
- दही, देसी घी
- शक्कर
- शहद
- नारियल
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