Karwa Chauth 2024 Ganesh Ji Ki Katha: करवा चौथ व्रत के दिन जरूर पढ़ें गणेश जी की कहानी
Ganesh Ji Ki Katha For Karwa Chauth Vrat in Hindi: करवा चौथ व्रत पूजा के समय गणेश जी की कहानी पढ़ना बिल्कुल भी न भूलें। कहते हैं जो महिला इस दिन गणेश जी की कथा पढ़ती है उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

Karwa Chauth Vrat Ganesh Ji Ki Katha
Ganesh Ji Ki Katha For Karwa Chauth Vrat in Hindi: करवा चौथ व्रत का विशेष महत्व माना गया है। कहते हैं जो महिला इस व्रत को सच्चे मन से करती है उसके वैवाहिक जीवन में सदैव खुशियां बनी रहती हैं। इस दिन महिलाएं शुभ मुहूर्त में करवा चौथ की पूजा करती हैं और इस पूजा में कथा भी सुनती हैं। कम ही महिलाएं ये जानती होंगी कि करवा चौथ के दिन गणेश जी की भी कथा जरूर सुनी जाती है। ऐसे में करवा चौथ व्रत कथा के बाद गणेश जी की कहानी जरूर पढ़ें।
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करवा चौथ गणेश जी की कहानी (Karwa Chauth Ganesh Ji Ki Kahani)
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है गणेश जी अपने दोनों हाथों में 2 कटोरी लेकर पृथ्वी पर भ्रमण कर रहे थे। जिनमें से एक कटोरी में दूध था तो वहीं, दूसरी कटोरी में कच्चे चावल थे। दोनों कटोरियां काफी छोटी थीं। लिहाजा दूध और चावल बहुत ही कम थे।
गणेश जी ने पृथ्वी पर कई लोगों से खीर बनाने का आग्रह किया लेकिन सभी ने मना कर दिया क्योंकि जरा से मुट्ठी चावल और थोड़े से दूध से खीर बनना संभव नहीं था। तभी श्री गणेश एक बुढ़िया के दरवाजे पर पहुंचे। बूढ़ी अम्मा खीर बनाने के लिए मान गईं। तब गणेश जी ने बूढ़ी अम्मा से 2 बोर लाने को कहा। अम्मा ने कारण पूछा तो गणेश जी ने कहा कि इन दोनों कटोरी में मौजूद दूध और चावल को बोर में खाली करना है ताकि बोरा भरकर खीर बन सके जिससे पूरा गांव इस खीर का सेवन कर सके।
बूढ़ी अम्मा ये बात सुनकर चौंक गईं और बोलीं कि यह तो संभव ही नहीं कि जरा से दूध और चावल से बोरा भर जाए। लेकिन फिर गणेश जी के कहने पर वह 2 बोरे ले आईं और उनमें चावल और दूध को उन बोरों में डाल दिया। इसके बाद बोरे चावल और दूध से भर गए जिसे देख बूढ़िया हैरान रह गई। इसके बाद उन्होंने खीर बनाना शुरू किया।
बूढ़ी अम्मा खीर बनाकर गांव वालों को बुलाने के लिए जाने लगीं और गणेश जी से बोली कि आप स्नान कर लीजिए। मैं आपको भोग लगाकर ही गांव में खीर बाटूंगी। इसके बाद गणेश जी स्नान के लिए चले गए और दूसरी तरफ बूढ़ी अम्मा गांव वालों को बुलाने के लिए चली गईं कि तभी बुढ़िया की बहु आई।
बूढ़ी अम्मा की बहु गर्भवती थी। इसलिए खीर देखकर उसका मन ललचा गया और उसने सबसे पहले खीर खाली। इसके बाद जब गणेश जी स्नान करके आए तब तक अम्मा भी अपने घर आ चुकी थी और उन्होंने जैसे ही गणेश जी को भोग लगाने के लिए खीर निकालना शुरू किया। तब गणेश जी ने भोग लगाने से मना कर दिया।
अम्मा ने कारण पूछा तब उन्होंने बताया कि माई खीर का भोग तो पहले ही लग गया है। गणेश जी ने कहा ये खीर किसी और ने नहीं बल्कि तुम्हारी बहु ने ही खाई है। यह जान अम्मा को बहुत दुख हुआ और बहु को उदास मन से देखने लगीं। तब श्री गणेश ने बुढ़िया को समझाया कि खीर नवजात बालक ने खाई है। गर्भवती मां द्वारा खीर खा लेने से भोग गणेश जी को ही लगा है क्योंकि गर्भ में पल रहा बालक सबसे शुद्ध और पवित्र माने जाते हैं। इसके बाद बुढ़िया ने गांव के सभी लोगों को खीर खिलाई। साथ ही, गणेश जी ने भी खीर खाई। कहते हैं जिस दिन यह घटना हुई उस दिन करवा चौथ थी। यही वजह है कि करवा चौथ के दिन ये कथा जरूर सुनी जाती है।
करवा चौथ व्रत 2024 से जुड़ी जानकरी
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