Karwa Chauth Vrat Katha 2022: करवा चौथ व्रत की इस कथा को पढ़ पूजा करें संपन्न
Karwa Chauth 2022 Vrat Katha in Hindi (करवा चौथ व्रत कथा हिंदी | करवा चौथ व्रत कहानी): करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। महिलाएं सफल वैवाहिक जीवन की कामना से यह व्रत करती हैं। यह व्रत सुबह सरगी खाकर और पूरा दिन फिर निर्जला रहकर किया जाता है। यहां पढ़ें करवा चौथ की व्रत कथा हिंदी में और जानें इस व्रत की महिमा।
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Karwa Chauth Vrat Katha , Kahani In Hindi
एक ब्राह्मण के सात पुत्र और एक पुत्री वीरावती थी। सात भाईयों के बीच इकलौती बहन होने के कारण वीरावती सबकी लाडली थी। सभी भाई उससे बहुत प्रेम करते थे। बहन को एक खरोच तक नहीं लगने देते थें। आंखों में आंसू तो बहुत दूर की बात है। जब वीरावती सयानी हो गई तो उसका विवाह एक ब्राह्मण युवक से हुआ। विवाह के तुरंत बाद वीरावती एक दिन मायके आई। फिर अपनी सातों भाभियों को देख उसने भी करवा चौथ का व्रत रखा। लेकिन शाम होते-होते वो भूख और प्यास से बेचैन हो गई।अपनी बहन को व्याकुल देख भाइयों से रहा नहीं गया। सभी मिलकर उसे खाना खाने के लिए मनाने लगे। लेकिन वीरावती ने खाना या पानी पीने से इंकार कर दिया। उसने कहा कि वो चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही अब अन्न और पानी को हाथ लगाएगी। वहीं, चंद्रोदय में देरी को देखते हुए भाईयों ने एक तरकीब खोजा। फिर एक भाई पीपल के पेड़ पर चढ़कर एक दीपक जलाकर उसे चलनी की ओट में रख देता है। ताकि दूर से देखने वह चांद की तरह दिखे और ऐसा ही हुआ। फिर दूसरे ने आकर वीरावती से कहा कि चांद निकल आया है। अब तुम अर्घ्य दे सकती हो। इतने में बहन खुश हो गई। तुरंत जाकर चांद को देख उसने अर्घ्य दिया और खाना खाने बैठ गई। वह जैसे ही पहला टुकड़ा मुंह में डाली तो उसे छींक आ गई। वहीं दूसरे टुकड़े में बाल निकल आया। इसके बाद जैसे ही उसने तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश की तो उसके पति की मृत्यु की खबर आ गई।
फिर, वीरावती की भाभियों ने सारी सच्चाई बताई कि क्यों उसके साथ बुरा हुआ। करवा चौथ का व्रत विधिवत पूरा न होने के कारण पति पर संकट आ गई। क्योंकि ये व्रत गलत तरीके से टूटी थी। इसलिए देवता नाराज होकर आशीर्वाद की जगह श्राप दे दिए।
इसके बाद एक बार इंद्र देव की पत्नी इंद्राणी करवा चौथ के दिन धरती पर आईं। इस दौरान वीरावती भी उनके पास गई और अपने पति की रक्षा और उनकी लंबी आयु के लिए प्रार्थना की। तब देवी इंद्राणी ने वीरावती को करवा चौथ का व्रत पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करने के लिए कहा। इंद्राणी की बात सुनकर वीरावती ने पूरी श्रद्धा के साथ करवा चौथ का व्रत रखा। उसने सच्चे मन और भक्ति से करवा चौथ व्रत पूरा किया। भगवान ने प्रसन्न होकर वीरावती को अखंड सौभाग्यवती भव: का आशीर्वाद देते हुए उसके पति को जीवित कर दिया।
करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा का महत्व
करवा चौथ पर महिलाएं चंद्रमा जल से अर्घ्य देती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की पूजा (Chandrama ki puja) करने से दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ता है। कहते हैं चंद्रमा के समान रिश्तों में भी शीतलता बनी रहती है। देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
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टाइम्स नाउ नवभारत author
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