करवा चौथ व्रत कथा, पढ़ें गणेश जी की कहानी, अखंड सौभाग्य का मिलेगा आशीर्वाद
करवा चौथ व्रत कथा, पढ़ें गणेश जी की कहानी, अखंड सौभाग्य का मिलेगा आशीर्वाद
करवा चौथ का व्रत करने वाली महिलाएं सुबह स्नानादि नित्य कर्म करके व्रत का संकल्प लेती हैं। साथ ही ईश्वर से अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इसके बाद पूरे दिन निर्जला रहकर शाम में शुभ मुहूर्त में विधि विधान पूजा करती हैं। साथ ही करवा चौथ की कथा सुनती हैं। धार्मिक मान्यताओं अनुसार कोई भी व्रत कथा के बिना अधूरा माना जाता है। इसलिए हम आपके लिए लेकर आएं हैं करवा चौथ व्रत की कुछ पौराणिक कथाएं।
Karwa Chauth 2024 Ka Chand Kitne Baje Niklega
करवा चौथ व्रत कथा समय 2024 (Karwa Chauth Vrat Katha Time 2024)
करवा चौथ व्रत पूजा मुहूर्त और कथा का समय 20 अक्टूबर की शाम 05:46 से 07:02 बजे तक का है। इस दौरान करवा चौथ की कथा पढ़ना बेहद फलदायी साबित होगा।
Karwa Chauth 2024 Moon Rise Time
करवा चौथ व्रत कथा (Karwa Chauth Vrat Katha In Hindi)
करवा चौथ की पौराणिक कथा अनुसार प्राचीन काल में एक साहूकार हुआ करते थे। जिसके सात बेटे और एक बेटी थी। करवा चौथ का पर्व आया तब साहूकार की सातों बहू और बेटी ने ये व्रत रखा। शाम को जब साहूकार और उसके बेटे भोजन के लिए आए तो उनसें अपनी बहन की भूख से व्याकुल हाल देखी नहीं गई। उन्होंने अपनी बहन को भोजन करने के लिए कहा लेकिन बहन ने कहा कि मैं चंद्रमा की पूजा करके ही भोजन करूंगी। काफी समय होगा जब चंद्रमा नहीं निकला तो भाईयों के मन में एक विचार आया। ऐसे में सातों भाई नगर से बाहर चले गए और दूर जाकर उन्होंने आग जला दी। वापस घर आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा कि बहन देखो चांद निकल आया है, अब उसे देख कर अपना व्रत तोड़ दो। बहन भाईयों की ये चाल समझ नहीं पाई और उसने अग्नि को चांद मानकर अपना व्रत तोड़ दिया। छल से तोड़े गए इस व्रत के कारण उसका पति बीमार हो गया और उसका सारा पैसा उसकी बीमारी में खर्च हो गया। जब साहूकार की बेटी को अपने भाइयों के इस छल और अपनी गलती का एहसास हुआ तो उसने गणेश भगवान की विधि-विधान पूजा की और अनजाने में खुद से हुई भूल की क्षमा मांगी, जिससे उसका पति ठीक हो गया।
Karwa Chauth 2024 Puja Time
करवा चौथ की कहानी (Karwa Chauth Ki Kahani)
धार्मिक मान्यताओं अनुसार ये व्रत सबसे पहले शक्ति स्वरूपा देवी पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। कहते हैं इसी व्रत के प्रभाव से उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति हुई थी। कहते हैं तभी से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए ये व्रत रख रही हैं। इस व्रत से जुड़ी एक कहानी के अनुसार एक बार देवताओं और राक्षसों के बीच भयंकर युद्ध छिड़ गया। जिसमें राक्षसों की जीत हो रही थी। तभी ब्रह्मा देव ने सभी देवताओं की पत्नियों को करवा चौथ का पावन व्रत रखने के लिए कहा। कहते हैं इसके बाद कार्तिक माह की कृष्ण चतुर्थी के दिन सभी देवियों ने अपने पतियों के लिए व्रत रखा जिससे देवताओं की जीत हुई। ऐसा माना जाता है कि इसके बाद से ही इस व्रत को रखे जाने की शुरुआत हो गई थी। इसके अलावा कहा ये भी जाता है कि द्रौपदी ने भी पांडवों को कष्टों से मुक्ति दिलाने के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था।
करवा चौथ की पौराणिक कथा (Karwa Chauth Vrat Ki Pauranik Katha)
करवा चौथ व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा अनुसार, देवी करवा अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के पास रहती थीं। एक दिन उनके पति नदी में स्नान करने गए थे। स्नान के समय मगरमच्छ ने देवी करवा क पति का पैर पकड़ लिया और वह उन्हें नदी में खींचने लगा। मदद के लिए पति अपनी पत्नी करवा को पुकारने लगे। पति की दर्द भरी पुकार सुनकर करवा दौड़कर नदी के पास पहुंचीं। पति की रक्षा के लिए करवा ने तुरंत एक कच्चा धागा लेकर मगरमच्छ को एक पेड़ से बांध दिया। करवा के सतीत्व के कारण मगरमच्छ एक कच्चे धागे में ही इस तरह से बंध गया था कि वह थोड़ा भी हिल नहीं पा रहा था। लेकिन अभी भी करवा के पति और मगरमच्छ दोनों के प्राण संकट में फंसे थे।
तब करवा ने यमराज को पुकारा और अपने पति के लिए जीवनदान देने और मगरमच्छ को मृत्युदंड देने की प्रार्थना की। करवा के कहने पर यमराज पधारे और उन्होंने कहा कि मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि अभी मगरमच्छ की आयु शेष है और तुम्हारे पति की अब आयु पूरी हो चुकी है। इस बात पर करवा को क्रोध आ गया और वो बोलीं, यदि आपने ऐसा नहीं किया तो मैं आपको श्राप दूंगी। करवा के क्रोध को देखकर यमराज ने मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और करवा के पति को जीवनदान दिया। कहते हैं करवा चौथ के व्रत में सुहागन महिलाएं करवा माता से प्रार्थना करती हैं कि ‘हे करवा माता जैसे आपने अपने पति को बचाया वैसे ही मेरे सुहाग की भी रक्षा करना।
करवा मैया की आरती (Karwa Mata Ki Aarti)
ओम् जय करवा मैया, माता जय करवा मैया
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया
ओम् जय करवा मैया
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी
ओम् जय करवा मैया।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती
दीर्घायु पति होवे, दुख सारे हरती..
ओम् जय करवा मैया
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे
ओम् जय करवा मैया
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे
ओम् जय करवा मैया
करवा चौथ की कथा लिखी हुई
एक साहूकार के सात बेटे और सात बेटियां हुआ करती थीं। उसके बेटे अपनी बहनों से बहुत प्यार करते थे। साहूकार की पत्नी के साथ उसकी बहुएं और बेटियां भी करवा चौथ का व्रत रखती थीं। चौथ के दिन जब भाईयों ने भोजन करना शुरू किया, तो उन्होंने अपनी बहनों से भी भोजन करने के लिए कहा, लेकिन उनकी बहनों ने कहा कि वे चांद को अर्घ्य देकर ही अपना व्रत खोलेंगी। इस पर छोटे भाई को अपनी बहनों की हालत नहीं देखी गई और वह एक पेड़ पर चढ़कर एक छलनी में दीपक दिखाने लगा, जिससे बहनों को लगा कि चांद निकल आया। इस पर बहनों ने अपनी भाभियों को भी चांद निकलने के बारे में कहकर व्रत खोलने के लिए कहा। लेकिन, उनकी भाभियां इस बात पर राजी नहीं हुईं। हालांकि, बहनों ने भाभियों की बात नहीं मानी और दीपक को अर्घ्य देकर व्रत खोलना शुरू किया। जैसे ही बहनों ने पहला निवाला खाया, तो छींक आ गई। दूसरा टुकड़ा खाया, तो खाने में बाल आ गया। वहीं, तीसरा टुकड़ा खाया, तो पति की मृत्यु की खबर आ गई। इस पर वे बहुत दुखी हो जाती हैं, तो उनकी भाभियां बताती हैं कि व्रत को गलत तरीके से खोलने से उनके पति की मृत्यु हो गई है। हालांकि, बहनें बोलती हैं कि वे पति की अंतिम संस्कार नहीं करेंगी और अपनी सतित्त्व से अपनी पति को जीवन देंगी। वह दुखी होकर अपने पति के शव को लेकर एक साल तक बैठी रहीं और उस पर उगने वाली घास को इकट्ठा करती रहीं। बहनों ने पूरे साल चतुर्थी का व्रत किया और कार्तिक मास की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत किया। शाम को सुहिगानों से अनुरोध किया कि यम सूई ले लो, पिय सुई दे दो, मुझे अपने जैसी सुहागिन बना दो। इसके फलस्वरूप करवा माता और गणेश जी के आशीर्वाद से उनके पति जीवित हो गए। जैसे माता और गणेश जी ने उनके पति को अमर किया और वैसे ही सभी सुहागिनों के पति अमर रहे।करवा माता की आरती
ओम् जय करवा मैया, माता जय करवा मैयाजो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया
ओम् जय करवा मैया
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी
ओम् जय करवा मैया।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती
दीर्घायु पति होवे, दुख सारे हरती..
ओम् जय करवा मैया
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे
ओम् जय करवा मैया
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे
ओम् जय करवा मैया
करवा चौथ की आरती
ओम् जय करवा मैया, माता जय करवा मैयाजो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया
ओम् जय करवा मैया
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी
ओम् जय करवा मैया।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती
दीर्घायु पति होवे, दुख सारे हरती..
ओम् जय करवा मैया
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे
ओम् जय करवा मैया
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे
ओम् जय करवा मैया
करवा चौथ क्यों मनाई जाती है: karwa chauth kyun manai jati hai
करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घ आयु के लिए रखती हैं। इस व्रत को प्राचीन काल से रखा जा रहा है। पौराणिक कथा के अनुसार ये व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। ऐसा माना जाता है कि करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा करने का भी विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से घर परिवार में सुख समृद्धि आती है। ये व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत काल में अर्जुन जब तपस्या करने के लिए नीलगिरि पर्वत पर थे। उस समय द्रौपदी ने अर्जुन की रक्षा के लिए कृष्ण से मदद ली थी। तब कृष्ण भगवान ने द्रौपदी को निर्जला व्रत रखने को कहा और शिव पार्वती की पूजा करने के लिए कहा। इस व्रत के बाद अर्जुन सुरक्षित वापस आ गए। उसके बाद करवा चौथ का व्रत रखा जानें लगा।करवा चौथ का व्रत कैसे किया जाता है: karwa chauth ka vrat kaise kiya jata hai
करवा चौथ के दिन शादीशुदा महिलाएं सूर्योदय से लेकर रात को चांद निकलने तक कठोर निर्जला व्रत रखती हैं और ईश्वर से अपने पति की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं। इस दिन शाम को महिलाएं सुंदर कपड़े पहनती हैं, सोलह शृंगार करती हैं और हथेलियों में मेहंदी सजाती हैं।karwa chauth aarti: करवा चौथ आरती
ओम् जय करवा मैया, माता जय करवा मैयाजो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया
ओम् जय करवा मैया
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी
ओम् जय करवा मैया।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती
दीर्घायु पति होवे, दुख सारे हरती..
ओम् जय करवा मैया
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे
ओम् जय करवा मैया
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे
ओम् जय करवा मैया
ganesh ji ke aarti: गणेश जी आरती
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
करवा माता की आरती: karwa mata ke aarti
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया.जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया.. ओम जय करवा मैया.
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी.
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी..
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती.
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती..
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया.
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया..
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे.
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे..
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया.
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया..
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे.
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे..
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया.
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया..
karwa chauth katha timinge 2024: करवा चौथ की कथा का समय
करवा चौथ पूजा का मुहूर्त शाम 5 बजकर 46 मिनट से शाम 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त के अंदर ही करवा चौथ व्रत की पूजा संपन्न कर लें।ganesh ji aarti: गणेश जी आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
करवा चौथ व्रत कथा हिंदी में: karwa chauth vrat katha
एक अंधी बुढ़िया हुआ करती थी, जिसके एक बेटा-बहु थे। वह प्रतिदिन भगवान श्रीगणेश का पूजन किया करती थी। बुढ़िया माई की पूजा से खुश होकर एक दिन भगवान श्रीगणेश ने बुढ़िया माई को दर्शन दिए और कहा कि मैं तुम्हारी निस्वार्थ पूजा से बहुत खुश हुआ हूं, जो तुम्हें मांगना है, मांगो। मैं तुम्हारी कामना पूरी करूंगा। इस पर माई ने कहा कि मुझे तो कुछ मांगना नहीं आता है। ऐसे में गणेश जी ने कहा कि मैं कल फिर से आऊंगा, जब तक तू अपने बेटे-बहु से पूछ ले। ऐसे में बुढ़िया माई अपने बेटे से पूछती है, तो बेटा बोलता है कि माई धन मांग ले, वहीं बहु बोलती है कि पोता मांग ले। बुढ़िया माई बोलती है कि ये तो अपना-अपना देख रहे हैं, ऐसे में वह पड़ोसियों से पूछती है, तो पड़ोसी बोलते हैं कि माई तेरी कुछ समय की जिंदगी है, तो तू धन और पोते का क्या करेगी। तू एक काम कर, तू अपनी आंखे मांग ले, जिससे बची हुई जिंदगी को आराम से बिता सके। इस पर बूढ़िया माई बोली कि ऐसा क्या मांगूं, जिससे मेरी इच्छा भी पूरी हो जाए और बेटे-बहु का मन भी न दुखे। अगले दिन भगवान श्रीगणेश प्रकट हुए और बूढ़िया माई से मांगने के लिए कहा, जिस पर बूढ़िया माई ने कहा कि हे विघ्नहर्ता, अन्नदेवो, धनदेवो, निरोगी काया देवो, अमर सुहाग देवो, दीदा गोढ़ा देवो, सोने के कटोरे में पोते को दूध पीता देखूं, अमर सुहाग देवो और समस्त परिवार सुख देवो और आपके श्रीचरणों में मुझे स्थान देवो। इस पर गणेश जी ने कहा कि बूढ़िया माई तूने तो मुझे ठग लिया, तू तो कह रही थी तुझे कुछ मांगना नहीं आता है। मैं तेरी सभी इच्छाएं पूरी करूंगा। जिस प्रकार भगवान श्रीगणेश ने बूढ़िया माई की इच्छा पूरी की, इसी प्रकार सभी की इच्छाएं पूरी हों और सभी पर भगवान पर आशीर्वाद बना रहे।कार्तिक की करवा चौथ की कहानी: kartik karwa chauth ke kahani
करवा नाम की एक धोबिन हुआ करती थी, जो कि अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के किनारे रहा करती थी। एक दिन उसका पति नदी में कपड़े धो रहा था, तो इस बीच एक मगरमच्छ आया और उसके पति को मुंह में दबोचकर यमलोक ले जाने लगा। इस बीच करवा ने पुकार सुनी और मगरमच्छ के पास पहुंच उसे घागे से बांध दिया। करवा मगर को लकेर यमराज के पास पहुंची और कहा कि यदि यमराज ने उसके पति को नहीं बचाया, तो वह श्राप देगी। करवा का साहस देखकर यमराज ने मगर को यमलोक दिया और पति को दीर्घायु का वरदान दिया। मान्यता है कि इस दिन के बाद से कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ मनाया जाता है।साहूकार के सात लड़के और एक लड़की की पौराणिक कहानी
एक साहूकार के सात बेटे और सात बेटियां हुआ करती थीं। उसके बेटे अपनी बहनों से बहुत प्यार करते थे। साहूकार की पत्नी के साथ उसकी बहुएं और बेटियां भी करवा चौथ का व्रत रखती थीं। चौथ के दिन जब भाईयों ने भोजन करना शुरू किया, तो उन्होंने अपनी बहनों से भी भोजन करने के लिए कहा, लेकिन उनकी बहनों ने कहा कि वे चांद को अर्घ्य देकर ही अपना व्रत खोलेंगी। इस पर छोटे भाई को अपनी बहनों की हालत नहीं देखी गई और वह एक पेड़ पर चढ़कर एक छलनी में दीपक दिखाने लगा, जिससे बहनों को लगा कि चांद निकल आया। इस पर बहनों ने अपनी भाभियों को भी चांद निकलने के बारे में कहकर व्रत खोलने के लिए कहा। लेकिन, उनकी भाभियां इस बात पर राजी नहीं हुईं। हालांकि, बहनों ने भाभियों की बात नहीं मानी और दीपक को अर्घ्य देकर व्रत खोलना शुरू किया। जैसे ही बहनों ने पहला निवाला खाया, तो छींक आ गई। दूसरा टुकड़ा खाया, तो खाने में बाल आ गया। वहीं, तीसरा टुकड़ा खाया, तो पति की मृत्यु की खबर आ गई। इस पर वे बहुत दुखी हो जाती हैं, तो उनकी भाभियां बताती हैं कि व्रत को गलत तरीके से खोलने से उनके पति की मृत्यु हो गई है। हालांकि, बहनें बोलती हैं कि वे पति की अंतिम संस्कार नहीं करेंगी और अपनी सतित्त्व से अपनी पति को जीवन देंगी। वह दुखी होकर अपने पति के शव को लेकर एक साल तक बैठी रहीं और उस पर उगने वाली घास को इकट्ठा करती रहीं। बहनों ने पूरे साल चतुर्थी का व्रत किया और कार्तिक मास की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत किया। शाम को सुहिगानों से अनुरोध किया कि यम सूई ले लो, पिय सुई दे दो, मुझे अपने जैसी सुहागिन बना दो। इसके फलस्वरूप करवा माता और गणेश जी के आशीर्वाद से उनके पति जीवित हो गए। जैसे माता और गणेश जी ने उनके पति को अमर किया और वैसे ही सभी सुहागिनों के पति अमर रहे।karwa chauth puja samagri: करवा चौथ पूजा सामग्री
करवा चौथ के दिन बन रहे ये शुभ चौघड़िया मुहूर्त- करवा चौथ सामग्री लिस्ट- करवा चौथ में मिट्टी या तांबे का बर्तन और उसका ढक्कन, पान का पत्ता, कलश, साबुत चावल के दाने, मिट्टी का दीया, करवा, फल, फूल, हल्दी, देसी घी, कच्चा दूध, शहद, चीनी, रोली, मौली, मिठाई व छलनी आदि चीजों की जरूरत पड़ती है।करवा चौथ व्रत कथा लिरिक्स
पौराणिक कथा के अनुसार, एक द्विज नामक ब्राह्मण था। उसके सात बेटे व वीरावती नाम की एक कन्या थी। एक बार वीरावती ने मायके में करवा चौथ का व्रत किया। उन्होंने व्रत के दौरान अन्न और जल का सेवन नहीं किया, जिसकी वजह से वीरावती बेहद परेशान हो गई थी। ऐसे में उसके भाइयों ने गांव के बाहर वट के वृक्ष पर एक लालटेन जला दी और अपनी बहन से कहा कि चन्द्रमा निकल आया है और उनसे अर्घ्य देने के लिए कहा। अर्घ्य देने के बाद वीरावती भोजन (Karwa Chauth ki Kahani) करने के लिए बैठी तो पहले कौर में बाल निकला, दूसरे कौर में छींक आई और तीसरे कौर में ससुराल से बुलावा और जब वीरावती ससुराल पहुंची, तो उसके पति की मृत्यु हो चुकी थी, जिसकी वजह से वीरावती बिलख बिलखकर रोने लगी।उसी समय इंद्राणी ने वीरावती से कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चर्तुथी तिथि का व्रत करने के लिए कहा। इसके बाद वीरावती ने विधिपूर्वक व्रत किया। व्रत के पुण्य-प्रताप से वीरावती के पति को पुन: जीवन मिल गया। तभी से पति की लंबी आयु के लिए सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत करती है, जिससे पति को दीर्घायु का वरदान प्राप्त होता है। इस परंपरा को आज भी निभाया जा रहा है।karwa chauth ke puri katha: करवा चौथ व्रत की संपूर्ण कथा
करवा चौथ व्रत की पौराणिक कथा अनुसार एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। एक बार कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उसकी सभी सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा। रात के समय जब साहूकार के लड़के भोजन करने आए तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन करने के लिए कहा। इस पर बहन बोली- भाई, अभी चांद नहीं निकला है। आज मैं चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही भोजन करूंगी। साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे इसलिए उनसें अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देखा नहीं जा रहा है। साहूकार के बेटे नगर के बाहर चले गए और उन्होंने वहां एक पेड़ पर चढ़कर अग्नि जला दी। थोड़ी देर बाद घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चांद आ आया है। अब तुम पूजा करते भोजन कर लो। साहूकार की बेटी अपनी भाभियों से बोली- देखो, चांद निकल आया है, आप सभी भी अर्घ्य देकर अपना व्रत खोल लो। ननद की बात सुनकर भाभियों ने कहा- बहन अभी चांद निकलने में समय है ये तो तुम्हारे भाई धोखे से अग्नि जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे हैं। जिससे तुम अपना व्रत खोल सको।साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों की बात अनसुनी तक दी और उसने भाइयों द्वारा दिखाए गए चांद को ही अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार उसका करवा चौथ का व्रत खंडित हो गया। जिससे भगवान श्री गणेश साहूकार की लड़की पर अप्रसन्न हुए और इस कारण उस लड़की का पति बीमार पड़ गया। लड़की के घर का सारा धन पति की बीमारी को ठीक कराने में लग गया।
साहूकार की बेटी को जब अपने द्वारा किए गए पाप का पता लगा तो उसे बहुत दुख हुआ। उसने गणेश जी से क्षमा मांगी और फिर से विधि-विधान चतुर्थी का व्रत किया और सभी से आशीर्वाद ग्रहण किया।
लड़की के श्रद्धा-भक्ति को देखकर गणेश जी प्रसन्न हो गए और उन्होंने उसके पति को जीवनदान प्रदान किया। साथ ही भगवान गणेश ने उसे धन, संपत्ति और वैभव से युक्त कर दिया। बोलो करवा चौथ माता की जय !
Karwa Chauth Rangoli: करवा चौथ रंगोली
Karwa Chauth 2024 Ganesh Ji Aur Budiya Ki Kahani: करवा चौथ की गणेश जी वाली कथा
बहुत समय पहले की बात है। एक अन्धी बुढ़िया थी जिसका एक लड़का और बहू थी। वो लोग बहुत गरीब थे। वह अन्धी बुढ़िया रोजाना गणेश जी की पूजा किया करती थी। गणेश जी उस बुढ़िया से प्रसन्न होकर एक दिन साक्षात् सन्मुख आकर कहते हैं कि मैं आपकी पूजा से प्रसन्न हूं आपको जो वर मांगना है वो मांग लें। बुढिया कहती है, मुझे मांगना नहीं आता तो कैसे और क्या मांगू।तब गणेश जी बोले कि अपने बहू- बेटे से पूछकर मांग लो। तब बुढिया ने अपने पुत्र और वधु से पूछा तो बेटा बोला कि धन मांग ले और बहु ने कहा की पोता मांग लें। तब बुढ़िया ने सोचा कि ये तो अपने-अपने मतलब की बातें कर रहे हैं। फिर बुढ़िया ने पड़ोसियों से पूछा तो, पड़ोसियों ने कहा कि बुढ़िया तेरी थोड़ी सी जिंदगी बची है। क्यूँ मांगे धन और पोता, तू तो केवल अपने नेत्र मांग ले जिससे तेरी बाकी की जिंदगी सुख से व्यतीत हो जाए।
उस बुढ़िया ने बेटे और बहू तथा पडौसियों की बातें सुनकर घर में जाकर सोचा, कि क्यों न ऐसी चीज मांग लूं जिसमें बेटा बहू और मेरा सबका ही भला हो। जब दूसरे दिन श्री गणेश जी आये और बोले, कि आपको क्या मांगना है कृप्या बताइए? हमारा वचन है जो आप मांगेगी सो वो हो जाएगा। गणेश जी के वचन सुनकर बुढ़िया बोली, हे गणराज! यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मुझे नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आँखों में प्रकाश दें, नाती पोते दें, और समस्त परिवार को सुख दें। फिर अंत में मोक्ष दें।
बुढ़िया की बात सुनकर गणेश जी बोले बुढ़िया माँ तूने तो मुझे ठग लिया। खैर जो कुछ तूने मांग लिया वह सभी तुझे मिलेगा। यूँ कहकर गणेश जी अंतर्ध्यान हो गये। हे गणेश जी! जैसे बुढिया माँ को मांगे अनुसार आपने सब कुछ दिया वैसे ही सबको देना। और हमको भी देने की कृपा करना।
today karwa chauth katha time: करवा चौथ की कथा का समय
करवा चौथ पूजा का मुहूर्त शाम 5 बजकर 46 मिनट से शाम 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त के अंदर ही करवा चौथ व्रत की पूजा संपन्न कर लें।करवा चौथ व्रत कथा बुढ़ियां और गणेश जी की कहानी
बहुत समय पहले की बात है। एक अन्धी बुढ़िया थी जिसका एक लड़का और बहू थी। वो लोग बहुत गरीब थे। वह अन्धी बुढ़िया रोजाना गणेश जी की पूजा किया करती थी। गणेश जी उस बुढ़िया से प्रसन्न होकर एक दिन साक्षात् सन्मुख आकर कहते हैं कि मैं आपकी पूजा से प्रसन्न हूं आपको जो वर मांगना है वो मांग लें। बुढिया कहती है, मुझे मांगना नहीं आता तो कैसे और क्या मांगू। तब गणेश जी बोले कि अपने बहू- बेटे से पूछकर मांग लो। तब बुढिया ने अपने पुत्र और वधु से पूछा तो बेटा बोला कि धन मांग ले और बहु ने कहा की पोता मांग लें। तब बुढ़िया ने सोचा कि ये तो अपने-अपने मतलब की बातें कर रहे हैं। फिर बुढ़िया ने पड़ोसियों से पूछा तो, पड़ोसियों ने कहा कि बुढ़िया तेरी थोड़ी सी जिंदगी बची है। क्यूँ मांगे धन और पोता, तू तो केवल अपने नेत्र मांग ले जिससे तेरी बाकी की जिंदगी सुख से व्यतीत हो जाए।उस बुढ़िया ने बेटे और बहू तथा पडौसियों की बातें सुनकर घर में जाकर सोचा, कि क्यों न ऐसी चीज मांग लूं जिसमें बेटा बहू और मेरा सबका ही भला हो। जब दूसरे दिन श्री गणेश जी आये और बोले, कि आपको क्या मांगना है कृप्या बताइए? हमारा वचन है जो आप मांगेगी सो वो हो जाएगा। गणेश जी के वचन सुनकर बुढ़िया बोली, हे गणराज! यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मुझे नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आँखों में प्रकाश दें, नाती पोते दें, और समस्त परिवार को सुख दें। फिर अंत में मोक्ष दें।
बुढ़िया की बात सुनकर गणेश जी बोले बुढ़िया माँ तूने तो मुझे ठग लिया। खैर जो कुछ तूने मांग लिया वह सभी तुझे मिलेगा। यूँ कहकर गणेश जी अंतर्ध्यान हो गये। हे गणेश जी! जैसे बुढिया माँ को मांगे अनुसार आपने सब कुछ दिया वैसे ही सबको देना। और हमको भी देने की कृपा करना।
Karwa Chauth Kyon Manaya jata Hai 2024: करवा चौथ क्यों मनाया जाता है
करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घ आयु के लिए रखती हैं। इस व्रत को प्राचीन काल से रखा जा रहा है। पौराणिक कथा के अनुसार ये व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। ऐसा माना जाता है कि करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा करने का भी विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से घर परिवार में सुख समृद्धि आती है। ये व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत काल में अर्जुन जब तपस्या करने के लिए नीलगिरि पर्वत पर थे। उस समय द्रौपदी ने अर्जुन की रक्षा के लिए कृष्ण से मदद ली थी। तब कृष्ण भगवान ने द्रौपदी को निर्जला व्रत रखने को कहा और शिव पार्वती की पूजा करने के लिए कहा। इस व्रत के बाद अर्जुन सुरक्षित वापस आ गए। उसके बाद करवा चौथ का व्रत रखा जानें लगा।Karwa Chauth History : करवा चौथ का इतिहास
करवा चौथ के व्रत का इतिहास बहुत ही पुराना है। इस व्रत को प्राचीन समय से महिलाओं के द्वारा किया जा रहा है। इस व्रत में करवा माता की पूजा की जाती है। करवा के पति को मगरमच्छ ने पकड़ लिया। अपने पति को मगरमच्छ के चुंगल से बचाने के लिए करवा ने दृढ़ संकल्प लेकर मगरमच्छ को दंड दिया और अपना व्रत पूरा किया। करवा के व्रत से प्रसन्न होकर यमराज ने उसके पति को लंबी आयु का वरदान दिया। उसके बाद करवा चौथ का व्रत पति की लंबी उम्र के लिए रखा जानें लगा।karwa chauth katha in hindi pdf: करवा चौथ कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है गणेश जी अपने दोनों हाथों में 2 कटोरी लेकर पृथ्वी पर भ्रमण कर रहे थे। जिनमें से एक कटोरी में दूध था तो वहीं, दूसरी कटोरी में कच्चे चावल थे। दोनों कटोरियां काफी छोटी थीं। लिहाजा दूध और चावल बहुत ही कम थे।गणेश जी ने पृथ्वी पर कई लोगों से खीर बनाने का आग्रह किया लेकिन सभी ने मना कर दिया क्योंकि जरा से मुट्ठी चावल और थोड़े से दूध से खीर बनना संभव नहीं था। तभी श्री गणेश एक बुढ़िया के दरवाजे पर पहुंचे। बूढ़ी अम्मा खीर बनाने के लिए मान गईं। तब गणेश जी ने बूढ़ी अम्मा से 2 बोर लाने को कहा। अम्मा ने कारण पूछा तो गणेश जी ने कहा कि इन दोनों कटोरी में मौजूद दूध और चावल को बोर में खाली करना है ताकि बोरा भरकर खीर बन सके जिससे पूरा गांव इस खीर का सेवन कर सके।बूढ़ी अम्मा ये बात सुनकर चौंक गईं और बोलीं कि यह तो संभव ही नहीं कि जरा से दूध और चावल से बोरा भर जाए। लेकिन फिर गणेश जी के कहने पर वह 2 बोरे ले आईं और उनमें चावल और दूध को उन बोरों में डाल दिया। इसके बाद बोरे चावल और दूध से भर गए जिसे देख बूढ़िया हैरान रह गई। इसके बाद उन्होंने खीर बनाना शुरू किया।
बूढ़ी अम्मा खीर बनाकर गांव वालों को बुलाने के लिए जाने लगीं और गणेश जी से बोली कि आप स्नान कर लीजिए। मैं आपको भोग लगाकर ही गांव में खीर बाटूंगी। इसके बाद गणेश जी स्नान के लिए चले गए और दूसरी तरफ बूढ़ी अम्मा गांव वालों को बुलाने के लिए चली गईं कि तभी बुढ़िया की बहु आई।
बूढ़ी अम्मा की बहु गर्भवती थी। इसलिए खीर देखकर उसका मन ललचा गया और उसने सबसे पहले खीर खाली। इसके बाद जब गणेश जी स्नान करके आए तब तक अम्मा भी अपने घर आ चुकी थी और उन्होंने जैसे ही गणेश जी को भोग लगाने के लिए खीर निकालना शुरू किया। तब गणेश जी ने भोग लगाने से मना कर दिया।
अम्मा ने कारण पूछा तब उन्होंने बताया कि माई खीर का भोग तो पहले ही लग गया है। गणेश जी ने कहा ये खीर किसी और ने नहीं बल्कि तुम्हारी बहु ने ही खाई है। यह जान अम्मा को बहुत दुख हुआ और बहु को उदास मन से देखने लगीं। तब श्री गणेश ने बुढ़िया को समझाया कि खीर नवजात बालक ने खाई है। गर्भवती मां द्वारा खीर खा लेने से भोग गणेश जी को ही लगा है क्योंकि गर्भ में पल रहा बालक सबसे शुद्ध और पवित्र माने जाते हैं। इसके बाद बुढ़िया ने गांव के सभी लोगों को खीर खिलाई। साथ ही, गणेश जी ने भी खीर खाई। कहते हैं जिस दिन यह घटना हुई उस दिन करवा चौथ थी। यही वजह है कि करवा चौथ के दिन ये कथा जरूर सुनी जाती है।
करवा चौथ व्रत कथा एंव आरती: karwa chauth vrat katha
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवी-देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध छिड़ गया था। युद्ध बहुत भयंकर था। ऐसे में देवी-देवताओं ने अपनी शक्तियों का प्रयोग किया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल रही थी। देवताओं पर राक्षस हावी हो रहे थे। इस स्थिति में ब्रह्मदेव ने सभी देवियों को कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चर्तुथी का व्रत करने के लिए कहा, जिसे करवा चौथ के नाम से जाना जाता है। ब्रह्मदेव ने कहा कि इस व्रत को करने से उनके पति दानवों से यह युद्ध जीत जाएंगे। इसके बाद सभी देवियों ने अपने पतियों के लिए करवा चौथ का व्रत किया। इसके प्रभाव से सभी देवताओं ने युद्ध में जीत हासिल की। तभी से करवा चौथ के व्रत की परंपरा शुरू हुई।करवा चौथ 2024 पूजा मुहूर्त (Karwa Chauth 2024 Puja Muhurat)
करवा चौथ पूजा मुहूर्त - 20 अक्टूबर की शाम 05:46 पी एम से 07:02 पी एम तककरवा चौथ व्रत समय - 06:25 ए एम से 07:54 पी एम तक
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - 20 अक्टूबर 2024 को 06:46 ए एम बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त - 21 अक्टूबर 2024 को 04:16 ए एम बजे
कार्तिक की करवा चौथ की कहानी
पौराणिक कथा के अनुसार, एक द्विज नामक ब्राह्मण था। उसके सात बेटे व वीरावती नाम की एक कन्या थी। एक बार वीरावती ने मायके में करवा चौथ का व्रत किया। उन्होंने व्रत के दौरान अन्न और जल का सेवन नहीं किया, जिसकी वजह से वीरावती बेहद परेशान हो गई थी। ऐसे में उसके भाइयों ने गांव के बाहर वट के वृक्ष पर एक लालटेन जला दी और अपनी बहन से कहा कि चन्द्रमा निकल आया है और उनसे अर्घ्य देने के लिए कहा। अर्घ्य देने के बाद वीरावती भोजन करने के लिए बैठी तो पहले कौर में बाल निकला, दूसरे कौर में छींक आई और तीसरे कौर में ससुराल से बुलावा और जब वीरावती ससुराल पहुंची, तो उसके पति की मृत्यु हो चुकी थी, जिसकी वजह से वीरावती बिलख बिलखकर रोने लगी। उसी समय इंद्राणी ने वीरावती से कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चर्तुथी तिथि का व्रत करने के लिए कहा। इसके बाद वीरावती ने विधिपूर्वक व्रत किया। व्रत के पुण्य-प्रताप से वीरावती के पति को पुन: जीवन मिल गया। तभी से पति की लंबी आयु के लिए सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत करती है, जिससे पति को दीर्घायु का वरदान प्राप्त होता है। इस परंपरा को आज भी निभाया जा रहा है।गणेश जी की कहानी: ganesh ji ke khanai
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है गणेश जी अपने दोनों हाथों में 2 कटोरी लेकर पृथ्वी पर भ्रमण कर रहे थे। जिनमें से एक कटोरी में दूध था तो वहीं, दूसरी कटोरी में कच्चे चावल थे। दोनों कटोरियां काफी छोटी थीं। लिहाजा दूध और चावल बहुत ही कम थे। गणेश जी ने पृथ्वी पर कई लोगों से खीर बनाने का आग्रह किया लेकिन सभी ने मना कर दिया क्योंकि जरा से मुट्ठी चावल और थोड़े से दूध से खीर बनना संभव नहीं था। तभी श्री गणेश एक बुढ़िया के दरवाजे पर पहुंचे। बूढ़ी अम्मा खीर बनाने के लिए मान गईं। तब गणेश जी ने बूढ़ी अम्मा से 2 बोर लाने को कहा। अम्मा ने कारण पूछा तो गणेश जी ने कहा कि इन दोनों कटोरी में मौजूद दूध और चावल को बोर में खाली करना है ताकि बोरा भरकर खीर बन सके जिससे पूरा गांव इस खीर का सेवन कर सके।बूढ़ी अम्मा ये बात सुनकर चौंक गईं और बोलीं कि यह तो संभव ही नहीं कि जरा से दूध और चावल से बोरा भर जाए। लेकिन फिर गणेश जी के कहने पर वह 2 बोरे ले आईं और उनमें चावल और दूध को उन बोरों में डाल दिया। इसके बाद बोरे चावल और दूध से भर गए जिसे देख बूढ़िया हैरान रह गई। इसके बाद उन्होंने खीर बनाना शुरू किया।
बूढ़ी अम्मा खीर बनाकर गांव वालों को बुलाने के लिए जाने लगीं और गणेश जी से बोली कि आप स्नान कर लीजिए। मैं आपको भोग लगाकर ही गांव में खीर बाटूंगी। इसके बाद गणेश जी स्नान के लिए चले गए और दूसरी तरफ बूढ़ी अम्मा गांव वालों को बुलाने के लिए चली गईं कि तभी बुढ़िया की बहु आई।
बूढ़ी अम्मा की बहु गर्भवती थी। इसलिए खीर देखकर उसका मन ललचा गया और उसने सबसे पहले खीर खाली। इसके बाद जब गणेश जी स्नान करके आए तब तक अम्मा भी अपने घर आ चुकी थी और उन्होंने जैसे ही गणेश जी को भोग लगाने के लिए खीर निकालना शुरू किया। तब गणेश जी ने भोग लगाने से मना कर दिया।
अम्मा ने कारण पूछा तब उन्होंने बताया कि माई खीर का भोग तो पहले ही लग गया है। गणेश जी ने कहा ये खीर किसी और ने नहीं बल्कि तुम्हारी बहु ने ही खाई है। यह जान अम्मा को बहुत दुख हुआ और बहु को उदास मन से देखने लगीं। तब श्री गणेश ने बुढ़िया को समझाया कि खीर नवजात बालक ने खाई है। गर्भवती मां द्वारा खीर खा लेने से भोग गणेश जी को ही लगा है क्योंकि गर्भ में पल रहा बालक सबसे शुद्ध और पवित्र माने जाते हैं। इसके बाद बुढ़िया ने गांव के सभी लोगों को खीर खिलाई। साथ ही, गणेश जी ने भी खीर खाई। कहते हैं जिस दिन यह घटना हुई उस दिन करवा चौथ थी। यही वजह है कि करवा चौथ के दिन ये कथा जरूर सुनी जाती है।
करवा चौथ कथा टाइम- karwa chauth katha time
शाम 05 बजकर 47 मिनट से 07 बजकर 04 मिनट तककरवा चौथ क्यों मनाया जाता है: karwa chauth kyon manaya jata hai
करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घ आयु के लिए रखती हैं। इस व्रत को प्राचीन काल से रखा जा रहा है। पौराणिक कथा के अनुसार ये व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। ऐसा माना जाता है कि करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा करने का भी विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से घर परिवार में सुख समृद्धि आती है। ये व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत काल में अर्जुन जब तपस्या करने के लिए नीलगिरि पर्वत पर थे। उस समय द्रौपदी ने अर्जुन की रक्षा के लिए कृष्ण से मदद ली थी। तब कृष्ण भगवान ने द्रौपदी को निर्जला व्रत रखने को कहा और शिव पार्वती की पूजा करने के लिए कहा। इस व्रत के बाद अर्जुन सुरक्षित वापस आ गए। उसके बाद करवा चौथ का व्रत रखा जानें लगा।karwa chauth ke kahani: करवा चौथ की कहानी
पौराणिक कथा के अनुसार, एक द्विज नामक ब्राह्मण था। उसके सात बेटे व वीरावती नाम की एक कन्या थी। एक बार वीरावती ने मायके में करवा चौथ का व्रत किया। उन्होंने व्रत के दौरान अन्न और जल का सेवन नहीं किया, जिसकी वजह से वीरावती बेहद परेशान हो गई थी। ऐसे में उसके भाइयों ने गांव के बाहर वट के वृक्ष पर एक लालटेन जला दी और अपनी बहन से कहा कि चन्द्रमा निकल आया है और उनसे अर्घ्य देने के लिए कहा। अर्घ्य देने के बाद वीरावती भोजन करने के लिए बैठी तो पहले कौर में बाल निकला, दूसरे कौर में छींक आई और तीसरे कौर में ससुराल से बुलावा और जब वीरावती ससुराल पहुंची, तो उसके पति की मृत्यु हो चुकी थी, जिसकी वजह से वीरावती बिलख बिलखकर रोने लगी। उसी समय इंद्राणी ने वीरावती से कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चर्तुथी तिथि का व्रत करने के लिए कहा। इसके बाद वीरावती ने विधिपूर्वक व्रत किया। व्रत के पुण्य-प्रताप से वीरावती के पति को पुन: जीवन मिल गया। तभी से पति की लंबी आयु के लिए सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत करती है, जिससे पति को दीर्घायु का वरदान प्राप्त होता है। इस परंपरा को आज भी निभाया जा रहा है।गणेश जी की आरती pdf : Ganesh Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
Period Mein Karva Chauth Ki Puja Kaise Karen: पीरियड्स में करवा चौथ व्रत कैसे रखें)
पीरियड्स के दौरान भी करवा चौथ का व्रत रखा जा सकता है। बस इस समय आपको पूजा के सामान को हाथ नहीं लगाना है। आप इस स्थिति में करवा चौथ की पूजा करने के लिए किसी सुहागिन महिला की सहायता ले सकती हैं। आप पूजा के स्थान से थोड़ा दूर बैठकर करवा चौथ की व्रत कथा सुन सकती हैं। साथ ही मन ही मन ईश्वर की अराधना करती रहें। वहीं जब चांद निकल जाए तो उसे अर्घ्य देकर अपना व्रत खोल लें।करवा चौथ 2024 पूजा मुहूर्त (Karwa Chauth 2024 Puja Time)
करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:46 से 07:02 तक रहेगा। जबकि व्रत का समय 06:25 AM से 07:54 PM तक रहेगा।Karwa Chauth 2024 Chand Puja: चांद को अर्घ्य देने के बाद अपने पति का नाम बोलें
चंद्रमा को अर्घ्य देते समय अपने पति का पांच बार नाम लें और फिर एक सफेद फूल चंद्रमा को चढ़ाएं। कहते हैं करवा चौथ की रात में पति का नाम लेते हुए चंद्रमा को सफेद फूल या वस्त्र अर्पित करने से पति के जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं।Karwa Chauth Ke Din Kya Kare: करवा चौथ के दिन क्या करें
- इस दिन बिना पानी और अन्न का सेवन किए निर्जला व्रत रखना चाहिए।
- करवा चौथ के दिन माता पार्वती, भगवान शिव, गणेश जी और करवा की पूजा विधिपूर्वक करें। पूजा में करवा, दीपक, रोली, चावल, मिष्ठान और श्रृंगार सामग्री अर्पित करें।
- पूजा के दौरान करवा चौथ की कथा सुनना आवश्यक होता है।
- इस दिन स्त्रियों के लिए सोलह श्रृंगार करना शुभ माना जाता है।
करवा चौथ का चांद कितने बजे निकलेगा?
करवा चौथ का चांद कितने बजे निकलेगा?20 अक्टूबर 2024 की रात 07 बजकर 53 मिनट पर चांद निकलेगा। हालांकि शहर के अनुसार चंद्रोदय समय अलग हो सकता है।
करवा चौथ का महत्व क्या है?
यह पर्व सुहागिन स्त्रियों द्वारा अपने पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और परिवार की खुशहाली के लिए किया जाता है।Karwa Chauth 2024: करवा चौथ का अर्थ
करवा का अर्थ है मिट्टी का पात्र और चौथ का अर्थ चतुर्थी का दिन। करवा चौथ में महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। उसके बाद शाम को छलनी से चांद देखकर और पति की आरती उतारकर अपना व्रत खोलती हैं।करवा चौथ व्रत की कहानी: karwa chauth vrat ke kahani
करवा चौथ के त्योहार को लेकर एक ऐसी मान्यता है कि जब देवताओं ओर दानवों के बीच युद्ध हो रहा था तब ब्रह्रााजी ने सभी देवताओं की पत्नियों को कहा था कि अपने पति की युद्ध में विजय और सुरक्षा के लिए व्रत रखें। तभी से करवा चौथ व्रत रखने की परांपरा चली आ रही है। पौराणिक कथा के अनुसार करवा चौथ व्रत एक ब्राह्राण की कन्या वीरावती से संबंधित है। इंद्रप्रस्थ राज्य में एक वेद शर्मा और उनकी पत्नी लीलावती रहती हैं। इनके सात पुत्र और एक पुत्री थी, इस पुत्री का नाम वीरावती था। वीरावती का विवाह होने के बाद वह अपने ससुराल चली गई। एक बार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को वीरावती अपने सभी सातों भाईयों से मिलने उनके घर आई थी। सभी भाईयों की पत्नियों ने इस दिन चौथ का व्रत रखा था। तब वीरावती ने भी यह व्रत रख लिया। वीरावती ने सुबह से बिना जल ग्रहण किए व्रत रखा, लेकिन भूख और प्यास वह सहन नहीं कर पा रही थी और चंद्रोदय से पहले ही बेहोश की मुद्रा में चली गई। सभी सातो भाईयों ने अपनी अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देख बेहद दुःख हुआ। तब भाईयों ने एक पेड़ पर चढ़कर अग्नि जला दी। घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चांद निकल आया है। अब तुम अर्ध्य देकर भोजन ग्रहण करो। साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से कहा- देखों, चांद निकल आया है, तुम लोग भी अर्ध्य देकर भोजन कर लो। ननद की बात सुनकर भाभियों ने कहा-बहन अभी चांद नहीं निकला है, तुम्हारे भाई धोखे से अग्नि जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे हैं।तब वीरावती ने अपनी भाभियों की बात को अनसुनी करते हुए भाइयों द्वारा दिखाए गए चांद को अर्ध्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार करवा चौथ का व्रत भंग करने के कारण विध्नहर्ता भगवान श्री गणेश साहूकार की लड़की पर अप्रसन्न हो गए। गणेश जी की अप्रसन्नता के कारण उस लड़की का पति बीमार पड़ गया और घर में बचा हुआ सारा धन उसकी बीमारी में लग गया।
वीरावती बेटी को जब अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसे बहुत पश्चाताप हुआ। उसने गणेश जी से क्षमा प्रार्थना की और फिर से विधि-विधान पूर्वक चतुर्थी का व्रत शुरू कर दिया। उसने उपस्थित सभी लोगों का श्रद्धानुसार आदर किया और तदुपरांत उनसे आर्शीवाद ग्रहण किया। इस प्रकार उस लड़की की श्रद्धा-भक्ति को देखकर एकदंत गणेश जी उस पर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवनदान प्रदान किया।
20 October 2024 Panchang: 20 अक्टूबर 2024 पंचांग
सूर्यास्त- 05:46 पी एमचंद्रोदय- 07:54 पी एम
तिथि- तृतीया - 06:46 ए एम तक फिर चतुर्थी
नक्षत्र- कृत्तिका - 08:31 ए एम तक फिर रोहिणी
योग- व्यतीपात - 02:12 पी एम तक फिर वरीयान्
चंद्र राशि- वृषभ
सूर्य राशि-तुला
दिसंबर में इन राशि वालों की बढ़ेगी टेंशन, किसी बड़ी दुर्घटना के हैं प्रबल आसार, रहें सावधान!
मकर, कुंभ या मीन? जानिए 2025 में कौन सी राशि शनि साढ़े साती से हो रही है मुक्त
Aaj Ka Panchang 23 November 2024: मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का पंचांग, जानिए शुभ मुहूर्त और राहुकाल
Mundan Muhurat 2025: मुंडन मुहूर्त 2025, जानिए जनवरी से दिसंबर तक की डेट्स
एकादशी व्रत की करना चाहते हैं शुरुआत, तो नवंबर की ये एकादशी है खास
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited