Karwa Chauth 2022: करवा चौथ व्रत का इतिहास और महत्व

Karwa Chauth Vrat 2022: करवा चौथ विवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण त्योहार है। जोकि उत्तर भारत समेत देशभर में मनाया जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु की कामना के लिए रखती हैं। जानते हैं कैसे शुरू हुआ करवा चौथ और क्या है इसका महत्व।

Karwa Chauth 2022: इस साल करवा चौथ व्रत 13 अक्टूबर को रखा जाएगा।

मुख्य बातें
  • 1. कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है करवा चौथ का व्रत
  • 2. महाभारत काल से चली आ रही है करवा चौथ व्रत की परंपरा
  • 3. करवा चौथ पर शिव परिवार समेत चंद्रमा और करवा माता की पूजा का है विधान

Karwa Chauth 2022 Vrat Puja History and Importamce: करवा चौथ उत्तर भारत जैसे पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, यूपी, मध्यप्रदेश, बिहार का महत्वपूर्ण त्योहार होता है। इस दिन विवाहित स्त्रियां पति की दीर्घायु और स्वस्थ जीवन कामना के लिए व्रत रखती हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार करवा चौथ का व्रत प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस साल करवा चौथ का व्रत गुरुवार 13 अक्टूबर 2022 को रखा जाएगा। करवा चौथ के दिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं और रात्रि में चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है।

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करवा चौथ व्रत की महत्ता आज देशभर में देखी जा सकती है। यही कारण है कि आज केवल उत्तर भारत ही नहीं बल्कि देशभर में इस त्योहार को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ श्रगी गणेश और कार्तिकेय की पूजा करने का विधान है। इसके साथ ही इस दिन करवा माता की पूजा की जाती है। वहीं रात्रि में चंद्रोदय होने के बाद चंद्रम को अर्घ्य दिया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि करवा चौथ के त्योहार की शुरुआत कैसे हुई और यह कितना पुराना है। जानते हैं करवा चौथ के इतिहास के बारे में।

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