Khar Mas Niyam: चाहते हैं जीवन में रहे मंगल तो भूल से भी न करें खरमास में ये छह काम, उठाना पड़ सकता है भारी नुकसान
Khar Mas Niyam: 16 दिसंबर से खरमास यानी मल मासशुरू हो रहा है। तामसिक भाेजन के साथ इस माह में शुभ कार्यों की मनाही होती है। विवाह संस्कार के अलावा गृह प्रवेश, वाहन खरीद, भूमि पूजन तक निषेध माने गए हैं। सूर्य का तेज मंद होने के कारण खरमास में तांबे के बर्तन में रखे जल या भाेजन का त्याग करना आवश्यक बताया गया है। 14 जनवरी,2023 को मकर राशि में सूर्य के प्रवेश करते ही यह मास समाप्त हो जाएगा।
खार मॉस में नहीं करने चाहिए ये 6 काम
मुख्य बातें
- 16 दिसंबर से शुरू हो रहा खरमास,धनु राशि में गोचर होंगे सूर्य
- शुभ कार्य होते हैं इस माह में निषेध
- 14 जनवरी,2023 को मकर राशि में सूर्य के प्रवेश करते ही यह मास समाप्त हो
Khar Mas Niyam: 16 दिसंबर से खरमास यानी मल मासशुरू हो रहा है। भारतीय ज्योतिष गणना के अनुसार सूर्य देव हर महीने राशि परिवर्तन करते हैं। सूर्य का राशि में गोचर करना संक्रांति कहलाता है। साल के अंतिम महीने यानी 16 दिसंबर से सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करेंगे। जिसे ‘धनु संक्रांति’ कहते हैं। इसी दिन से खरमास आरंभ होगा। मलमास पूरा होने के बाद सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे मकर संक्रांति कहा जाता है। यानी 14 जनवरी , 2023 को मकर राशि में सूर्य के प्रवेश करते ही यह मास समाप्त हो जाएगा। इस दिन से सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।संबंधित खबरें
खरमास में न करें ये कामसंबंधित खबरें
1- इस महीने में तामसिक भोजन का त्याग करें।संबंधित खबरें
2- इस महीने में कोई भी शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।संबंधित खबरें
3- इस पूरे महीने में तांबे के बर्तन में रखे भोजन या पानी का सेवन नहीं करना चाहिए।संबंधित खबरें
4- खरमास में नया घर खरीदने या घर का निर्माण कार्य शुरू करने की भी मनाही की गई है।संबंधित खबरें
5-खरमास के दौरान गाड़ी, गहने आदि कीमती चीजें भी नहीं खरीदें।संबंधित खबरें
6- खरमास में भूमिपूजन नहीं करना चाहिए।संबंधित खबरें
क्या है खरमास का अर्थसंबंधित खबरें
खरमास को खरमास क्यों कहा जाता है यह भी एक पौराणिक किंवदंती है। ‘खर’ गधे को कहते हैं। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार सूर्य अपने सात घोड़ों के रथ पर बैठकर ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं और परिक्रमा के दौरान कहीं भी सूर्य को एक क्षण भी रुकने की इजाजत नहीं है। लेकिन एक बार सूर्य के सातों घोड़े वर्षभर दौड़ लगाते-लगाते प्यास से तड़पने लगे। उनकी इस दयनीय स्थिति से निपटने के लिए सूर्य एक तालाब के निकट अपने सातों घोड़ों को पानी पिलाने हेतु रुकने जाते हैं।संबंधित खबरें
लेकिन तभी उन्हें यह प्रतिज्ञा याद आई कि घोड़े बेशक प्यासे रह जाएं लेकिन उनकी यात्रा में विराम नहीं लेना है, नहीं तो सौर मंडल में अनर्थ हो जाएगा। सूर्य भगवान ने चारों ओर देखा तत्काल ही सूर्य भगवान पानी के कुंड के आगे खड़े दो गधों को अपने रथ पर जोत कर आगे बढ़ गए और अपने सातों घोड़े तब अपनी प्यास बुझाने के लिए खोल दिए गए। अब स्थिति यह रही कि गधे यानी खर अपनी मन्द गति से पूरे पौष मास में ब्रह्मांड की यात्रा करते रहे। इसलिए इस मास में सूर्य देव का तेज मंद होता है।संबंधित खबरें
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)संबंधित खबरें
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
End of Article
टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल author
अक्टूबर 2017 में डिजिटल न्यूज़ की दुनिया में कदम रखने वाला टाइम्स नाउ नवभारत अपनी एक अलग पहचान बना च...और देखें
End Of Feed
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited