Khichdi 2025 Date: खिचड़ी कब है 2025 में, जानिए मकर संक्रांति पर्व को इस नाम से क्यों जाना जाता है
Khichdi 2025 Date (Makar Sankranti Kab Hai 2025): मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व के नाम से भी जाना जाता है जो हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन से शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। जानिए इस साल खिचड़ी पर्व कब मनाया जाएगा।
Khichdi 2025 Date
Khichdi 2025 Date (Makar Sankranti Kab Hai 2025): जब भी सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति मनाई जाती है। इस त्योहार को उत्तर भारत और बिहार में खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि इस दिन खिचड़ी बनाने और दान करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण होता है जिसका अर्थ होता है कि सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ता है। चलिए जानते हैं 2025 में खिचड़ी यानी मकर संक्रांति कब है।
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Khichdi 2025 Date (खिचड़ी कब है 2025)
मकर संक्रान्ति | 14 जनवरी 2025, मंगलवार |
मकर संक्रान्ति पुण्य काल | 09:03 से 05:46 PM |
मकर संक्रान्ति महा पुण्य काल | 09:03 से 10:48 |
मकर संक्रान्ति का क्षण | 09:03 PM |
मकर संक्रांति का त्योहार भारत के लगभग हर राज्य में मनाया जाता है। दक्षिण भारत में इस त्योहार को पोंगल के नाम से मनाते हैं तो वहीं पंजाब और जम्मू कश्मीर में इसे ‘लोहड़ी’ के नाम से मनाते हैं। जब्कि यूपी और बिहार में इसे ‘खिचड़ी’ के नाम से सेलिब्रेट किया जाता है। मकर संक्रांति पर कहीं खिचड़ी तो कहीं दही-चूड़ा और तिल से बनी चीजें खाने का रिवाज है। मध्य भारत में इस त्योहार को माघी/ भोगली बिहू आदि के नाम से मनाया जाता है।
मकर संक्रांति को खिचड़ी क्यों कहा जाता है (Makar Sankranti Ko Khichdi Kyon Kha Jata Hai)
कहा जाता है कि जब भारत पर खिलजी ने आक्रमण किया था तो उस युद्ध में भारत के कई योद्धा और योगी भी शामिल हुए थे। हर तरफ लड़ाई का माहौल था। जिसकी वजह से किसी को खाने का समय नहीं मिल पाता था। जिसके कारण लोग कमजोर होने लगे थे। तब गुरु गोरखनाथ जी ने इस समस्या का हल निकालते हुए सभी को दाल, चावल और सब्जियों को अलग-अलग पकाने की जगह एक साथ पकाने के लिए कहा। जो सभी के लिए बेहद आसान था। इस नए व्यंजन को खाकर सभी का पेट भी आसानी से भर जाता था। कहते हैं खिलजी को हराने के बाद गोरखनाथ जी समेत सभी योगियों ने मिलकर इस नए पकवान को बनाया। फिर इस पकरान को सभी में बांटा और इसे खिचड़ी का नाम दिया गया। कहते हैं जिस दिन ये कार्य किया गया उस दिन मकर संक्रांति थी। कहते हैं तभी से लेकर आज तक मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने की परंपरा चली आ रही है और इस वजह से कई जगह इस पर्व को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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